दिल्ली: भारत ने दुश्मन को हराने के लिए अपनी सामरिक क्षमता में विस्तार करते हुए रविवार को शक्तिशाली के-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. आंध्र प्रदेश के समुद्री तट से दागी गई इस मिसाइल की रेंज 3,500 किलोमीटर है और यह पनडुब्बी से दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम है.


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बढ़ रही है भारतीय नौसेना की ताकत


भारतीय नौसेना के पास फिलहाल अरिहंत ही एक ऐसा परमाणु क्षमता वाला पोत है, जो परिचालन में है। के-4 उन दो अंडरवाटर मिसाइलों में से एक है, जिन्हें भारत नौसेना के लिए तैयार कर रहा है. दूसरी मिसाइल का नाम बीओ-5 है और उसकी रेंज 700 किलोमीटर है. इससे भारत की नौसेना की मजबूती बढ़ रही है.



K-4 मिसाइल को INS अरिहंत से लॉन्च किया गया


आपको बता दें कि K-4 मिसाइल को पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत से लॉन्च किया गया. K-4 का नाम भारत के दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन डॉक्टर APJ अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है, यहां K का मतलब है कलाम. K-4 का निर्माण DRDO ने जिस प्रोजेक्ट के तहत किया है उसका नाम ब्लैक प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट को ये नाम, इसमें बरती जा रही गोपनीयता की वजह से दिया गया है. 


बेहद गुप्त रखा गया लॉन्चिंग का कार्यक्रम


DRDO के टॉप सीक्रेट कार्यक्रम के तहत बनाई जा रही K-4, एक हल्की, तेज़ और आसानी से रडार की पकड़ में ना आने वाली मिसाइल है. K-4 मिसाइल का सबसे महत्वपूर्ण फीचर उसका बूस्ट गाइड फ्लाइट सिस्टम है, जिसकी मदद से ये किसी भी एंटी-बैलेस्टिक मिसाइल सिस्टम को चकमा दे सकती है. इस पूरे कार्यक्रम को पूरी तरह गुप्त रखा गया. K-4 बैलेस्टिक मिसाइल को पहली बार 2014 में समुद्र के अंदर 30 फीट की गहराई से एक पंटून यानी नकली पनडुब्बी से टेस्ट फायर किया गया था. 


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