क्या इस्लामाबाद के मंदिर को उलेमा परिषद का समर्थन एक साजिश है?
ये खबर हैरान करती है क्योंकि जिस देश में अल्पसंख्यकों पर सबसे ज्यादा हमले होते हैं और जिस देश में अल्पसंख्यकों की संख्या लगातार कम होती जा रही है वहां राजधानी के प्रथम हिन्दू मंदिर को उलेमा परिषद का समर्थन एक षडयन्त्र भी हो सकता है..
नई दिल्ली. कुछ समय पहले जब इस्लामाबाद में हिन्दू मंदिर की आधारशिला रखी जा रही थी और जिस दौरान इसका भूमिपूजन हुआ था तब इमरानी सरकार ने इसके समर्थन का खूब ढोल पीटा था. लेकिन देखते ही देखते इस मंदिर के विरोध करने वालों का तांता लग गया. अब उतर jहा है उलेमा परिषद इसके समर्थन में. ये हो क्या रहा है इस इस्लामिक देश की राजधानी इस्लामाबाद में?
परिषद ने अल्पसंख्यकों के हक की बात कही
ये नाटक बड़ा गहरा हो सकता है जिसको बहुत दूर तक ले जाने की भी योजना हो सकती है क्योंकि पाकिस्तान में अल्पसंंख्यकों को तो कोई अधिकार प्राप्त ही नहीं है. आज भी जब ये खबर लिखी जा रही है, पाकिस्तान में एक हिन्दू लड़की का अपहरण कर लिया गया है और उसे जबर्दस्ती मुसलमान बना कर उसका निकाह पढ़वाया गया है. ऐसे में राजधानी इस्लामाबाद के प्रथम हिन्दू मंदिर का समर्थन करने वाली उलेमा परिषद का कहना है कि पाकिस्तानी संविधान ने गैर-मुस्लिमों के हकूक (अधिकार) भी साफ तौर पर तय किये हुए हैं.
चल रही है हिन्दू मंदिर की मुखालफत
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में बन रहे हिन्दू मंदिर को इस देश में कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है. इस इस्लामी देश के कई संगठनों ने और कई कट्टरपंथी नेताओं ने मंदिर निर्माण को इस्लाम विरोधी करार दिया है. इतना ही नहीं मंदिर बनाने को लेकर भयावह नतीजों की चेतावनी तक दी गई है.
विचारधारा परिषद से करेंगे बैठक
ऐसे में पाकिस्तान के उलेमा परिषद द्वारा इस विवाद की निंदा और इस मंदिर को समर्थन देना हैरान करता है. संगठन ने न केवल ये कहा है कि पाकिस्तान के संविधान में प्रत्येक धर्म को लोगों के अधिकारों की बात साफ साफ कही गई है. इतना ही नहीं उलेमा परिषद ने ये भी कहा है कि वे बैठक बुलाकर विचारधारा परिषद से इस विषय को लेकर बातचीत करने वाले हैं.
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