कोझिकोडः कोरोना महामारी के इस दौर में शुक्रवार की शाम बड़ी बुरी खबर लेकर आई. दुबई से आया एयर इंडिया का विमान कोझिकोड हवाई अड्डे के रनवे पर फिसल गया और आगे बढ़ते हुए गहरी घाटी में गिर गया. हादसा इतना भयानक हुआ कि अंदाजा लगाइए, प्लेन दो हिस्सों में बंट गया. 190 सवार यात्री वाले इस विमान दुर्घटना के बाद कितनी जानें गईं, इसकी ठीक-ठीक स्पष्ट गिनती सामने नहीं आई है. 


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हादसे की वजह को लेकर जांच के आदेश दिए गए हैं, लेकिन पहली नजर में इस भीषण दुर्घटना की एक वजह भौगोलिक स्थिति भी है. कोझिकोड के कारिपुर नामक स्थान पर बना यह एयरपोर्ट घाटियों और पहाड़ियों जैसी स्थिति में बनाया गया है.



यानी कि रनवे के लिए सीमित स्थान. ऐसे में विमान को टेकऑफ करने या लैंडिंग के समय अधिक जगह वाला लंबा रनवे ट्रैक नहीं मिल पाता है, लिहाजा असावधानी हुई और नतीजा दुर्घटना. 


इस स्थिति को भौगोलिक नजरिए से समझिए
भूगोल की भाषा में, पर्वतों-घाटियों के बीच का यह समतल क्षेत्र टेबल टॉप कहलाता है. यानी कि स्थल को समु्द्र तल से काफी ऊंचाई मिली है, लेकिन शीर्ष का हिस्सा शंकु आकार या चोटीनुमा न होकर समतल है. कुछ इस तरह जैसे कि जमीन से ऊंचाई पर मेज का समतल होता है.



दरअसल ऊंचाई वाले यह क्षेत्र पूरी तरह पठारी इलाके भी नहीं होते हैं. हालांकि पठार इलाके टेबल टॉप की भौगोलिक स्थिति के लिए मुफीद जगह होते हैं. आवश्यकता के मुताबिक, इस स्थल पर एयर पोर्ट बनाए जाते हैं. 


मंगलुरू में भी टेबलटॉप एयरपोर्ट
कोझिकोड देश का अकेला टेबलटॉप एयरपोर्ट नहीं है. बल्कि कर्नाटक के मंगलुरू में स्थित एयरपोर्ट भी टेबल टॉप है. जानकारी के मुताबिक 10 साल पहले यहां भी हादसा हो चुका है. बिल्कुल ऐसा ही, बस फर्क यह रहा कि तब विमान में घाटी में गिरने के कारण आग भी लग गई थी.



कोझिकोड में विमान के सिर्फ दो टुकड़े हुए. आग न लगना एक राहत की बात रही है. 


मिजोरम का लेंगपुई एयरपोर्ट
पूर्वोत्तर में स्थित राज्य मिजोरम में भी एक ऐसा एयरपोर्ट है, जहां लैंडिंग के वक्त सांसे थम जाती हैं. पहाड़ी झरने और बहती नदियों के बीच बने इस एयरपोर्ट का रनवे 2500 मीटर लंबा है.



टेबल टॉप वाली स्थिति के कारण यहां से विमान की लैंडिंग और टेकऑफ बड़ी ही सावधानी के साथ की जाती है. यह रनवे पायलट को ऑप्टिकल भ्रम पैदा करता है. 


क्या होता है ऑप्टिकल इल्यूजन
दरअसल ऑप्टिकल इल्यूजन भौतिकी की शब्दावली है. वस्तु और प्रकाश के परावर्तन से देखने वाले को भ्रम पैदा होता है. दरअसल जब पठारी रनवे के दोनों तरफ ढालू स्थिति और घाटी होती है तो पायलटों को पहाड़ी पर स्थित एयरपोर्ट व नीचे के मैदानी इलाके समानांतर नजर आने लगते हैं. मिजोरम का एयरपोर्ट नदियों के समानंतर है इसलिए यहां भ्रम की स्थिति अधिक ही होती है. 


भारत में और भी हैं खतरनाक हवाई पट्टियां और रनवे
गोवा का इंटरनेशनल डबोलिम एयरपोर्ट लैंडिंग के समय यात्रियों की सिट्टी-पिट्टी गुम करा देता है. अरब सागर के ठीक ऊपर से गुजरना रोमांचक भी है और डरावना भी. वहीं लेह का कुशोक बाकुला रिमपोची एयरपोर्ट बर्फ से ढकी पहाड़ियों के बीच है.



काफी ऊंचाई पर स्थित इस एयरपोर्ट के रनवे पर भी भ्रम की स्थिति होती है. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थिति गग्गल एयरपोर्ट भी ऐसे ही डराता है. 


केरल के कारिपुर एयरपोर्ट पर खाई में गिरा विमान, 191 लोग थे सवार


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