नई दिल्लीः Boy, you're gonna carry that weight, Carry that weight a long time. मशहूर रॉक बैंड बीटल्स का एक फेमस अल्बम रहा है Abbey Road. इसी अल्बम में फेमस सॉग है  कैरी द वेट. ऊपर लिखी पंक्तियां Boy, you're gonna carry that weight... इसी मशहूर गीत की पंक्तियां हैं. रॉक बैंड की धुन के साथ गीत जैसे-जैसे बढ़ता जाता है आप अपने अंदर कुछ... नहीं-नहीं सब कुछ हल्का सा महसूस करते जाते हैं.


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ऐसा कह लीजिए कि खुद को हवा में उड़ता हुए सा महसूस होता है. ये बीटल्स का जादू है. इसका म्यूजिक, इसका गीत सिर्फ झुमाता नहीं था. लगता था कि हवा में उड़ा ले जाएगा. एक नई यात्रा पर... आप अपना वेट कैरी करने के लिए तैयार हो जाते हैं. बीटल्स के पास ये जादू आया कैसे?


बीटल्स आश्रम अपनी ओर खींचता है


इसका जवाब खोज लेना कोई बहुत कठिन नहीं. ऋषिकेश में शांति खोजने जाने वाले बहुत से लोग पहाड़ों और जंगलों की मिली-जुली जगह की ओर बढ़ जाते हैं. यहीं बने हुए हैं कुछ खंडहर और कुछ भुतहे से गोल गुंबदाकार भवन. यही बीटल्स आश्रम है.



बीटल्स आश्रम के साथ समय की तह में जाएं तो यह ध्यान, आध्यात्म के साथ एक आधुनिक योगी का चेहरा उभरता है. यह चेहरा है महर्षि महेश योगी का. एक समय था कि दुनियाभर में लाखों लोग महर्षि महेश योगी के दीवाने रहे हैं. 


कौन थे महर्षि महेश योगी


ये बात आज के दौर में बाबा रामदेव, मोरारी बापू और अन्य तमाम आध्यात्म या योग के गुरुओं से पहले की है. पश्चिम में जब हिप्पी संस्कृति अपने चरम पर थी तो इसी के सामानांतर दुनिया भर के लोग महर्षि महेश योगी के पीछे चलना चुन रहे थे. इनकी संख्या हजारों से शुरू हुई और देखते-देखते लाखों में पहुंच गई. आज महर्षि की बात इसलिए क्योंकि आज शुक्रवार 5 फरवरी को उनकी पुण्यतिथि है. 5 फरवरी 2008 को महर्षि महेश योगी का नीदरलैंड्स स्थित उनके घर में 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. 


ध्यान-योग के लिए भारत की ओर देखता है विश्व


ध्यान और योग के लिए विदेशी हस्तियों का भारत की ओर रुख करना कोई नई बात नहीं है. आज के दौर की बात करें तो एप्पल के स्टीव जॉब्स और फेसबुक के मार्क जकरबर्ग भी योग-ध्यान के ज्ञान के लिए भारत के कायल रहे हैं. हॉलिवुड की मशहूर अभिनेत्रियों ने भी ऋषिकेश और प्रयागराज से लेकर केरल-कर्नाटक के गांवों तक से ध्यान-साधना सीखने की दिलचस्पी दिखाई है.


ये सिलसिला आजादी से पहले का है और आजादी के बाद 60-70 का दशक ऐसा रहा है कि बड़ी संख्या में दुनिया भारत के योग की ओर देख रही थी. 


महर्षि का अनुभवातीत ध्यान


इस दौर में उन्हें आकर्षित कर रहे थे महर्षि महेश योगी. उन्होंने 'ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन' (अनुभवातीत ध्यान) के ज़रिए दुनिया भर में अपने लाखों अनुयायी बनाए थे. साठ के दशक में मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के सदस्यों के साथ ही वे कई बड़ी हस्तियों के आध्यात्मिक गुरु हुए और दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गए.



मशहूर रॉक बैंड बीटल्स को ब्रिटेन के चार नौजवानों ने मिल कर बनाया था और "फैब फोर" के नाम से मशहूर हुए. उन्होंने अपने बैंड के लिए जो लिरिक्स लिखे उनके लिखे जाने की जगह ऋषिकेश का बीटल्स आश्रम ही है. 


ऐसे छा गए महर्षि


महर्षि महेश योगी का असली नाम महेश प्रसाद वर्मा था. 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका में बाबा का जन्म हुआ था. उन्होंने इलाहाबाद से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली फिर 40 और 50 के दशक में वे हिमालय में अपने गुरु से ध्यान और योग की शिक्षा लेते रहे. महर्षि महेश योगी ने ध्यान और योग से बेहतर स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ज्ञान का ऐसा दावा किया कि देश-दुनिया के कई मशहूर लोग उनसे जुड़ गए. रॉक बैंड बीटल्स के सदस्य उत्तरी वेल्स में उनके साथ सप्ताहांत बिताया करते थे.


ऐसे कहलाए संत


70 के दशक में महर्षि दिल्ली से अमेरिका तक छा चुके थे. इसकी वजह थी उनका खास ध्यान योग ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन. उस दौर में महेश योगी प्रसिद्धि के ऐसे शिखर पर थे कि संत कहलाने लगे थे. इसके पीछे का कारण वे बताते थे कि 'मैं लोगों को ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन सिखाता हूँ जो लोगों को जीवन के भीतर झांकने का अवसर देता है. इससे लोग शांति और ख़ुशी के हर क्षण का आनंद लेने लगते हैं.



पहले भी सभी संतों का यही संदेश रहा है इसलिए लोग मुझे भी संत कहते हैं.' हालांकि भारत में बाबा के योग को मानने वाले विदेशियों के बजाय कम ही थे. इसका भी उन्होंने एक बार जवाब दिया कि 'अगर पश्चिमी देशों में लोग किसी बात में वैज्ञानिक वजह देख लेते हैं को उसे अपनाने में देर नहीं करते, मेरा ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन योग के सिद्धांतों पर कायम है और वैज्ञानिक भी है.' उनकी प्रसिद्धि का स्तर यह था कि 90 के दशक में ब्रिटेन और यूरोप के चुनाव में 'नेचुरल लॉ पार्टी' के उम्मीदवार बड़े चर्चित रहे क्योंकि वे महर्षि से प्रभावित थे और योग-ध्यान की बातें करते थे. 


ऋषिकेश में बीटल्स का आश्रम


ऋषिकेश में 18 एकड़ में बीटल्स आश्रम इसी 60-70 के दशक में बनाया गया था. तब फैब फोर महर्षि के खास अनुयायी थे. हालांकि बाद में उनका महर्षि से मनमुटाव हुआ और बीटल्स आश्रम समय की पर्तों के साथ एक भव्य खंडहर नजर आ गया. हालांकि इसे अब पर्यटन के लिहाज से सजाया-संवारा गया है.



यह आश्रम नेशनल पार्क में स्थित है, आस-पास जंगली जानवर भी हैं. आश्रम अत्याधुनिक सुविधाओं से भरी-पूरी जगह थी और ध्यान के साथ-साथ इसकी किचन बेहद खास थी. 


बाबा, जो उड़ना सिखाते थे


महेश योगी लोगों को 'उड़ना सिखाने' की बात करते हुए सुर्खियों में आए थे. उन्होंने दावा किया कि वह लोगों को उड़ना सिखा सकते हैं.  ये महर्षि योगी के 'ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन' (अनुभवातीत ध्यान) का ही अंग था. उनके भक्त फुदकते हुए उड़ने की कोशिश करते थे.



'फ़्लाइंग योगा' को महर्षि ने 'ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन सिद्धी प्रोग्राम' कहा था. नीदरलैंड्स में रहने के दौरान महर्षि महेश योगी ने 'राम' नाम की एक मुद्रा भी चलाई थी जिसे नीदरलैंड्स ने साल 2003 में क़ानूनी मान्यता दी थी. 'राम' नाम की इस मुद्रा में चमकदार रंगों वाले एक, पांच और दस के नोट थे. नीदरलैंड्स के कुछ गांवों और शहरों की सौ से अधिक दुकानों में ये नोट चलने लगे थे.


मेरा काम पूरा हुआ, 2011 में की घोषणा


अक्सर योग या आध्यात्म गुरुओं का निधन या तो रहस्य बन गया है या विवादित. महर्षि योगी इससे अछूते नहीं रहे. हालांकि साल 2008 में 11 जनवरी को उन्होंने अपने निधन से पहले ही रिटायरमेंट की घोषणा कर दी थी और कहा कि उनका काम पूरा हो गया है. साल 2008 में जारी हुई उनकी संस्था से जुड़ी एक रिपोर्ट के मुताबिक महेश योगी ने 150 देशों में पांच सौ स्कूल, दुनिया में चार महर्षि विश्वविद्यालय और चार देशों में वैदिक शिक्षण संस्थान खोल रखे थे.



महर्षि महेश योगी का संगठन वैसे पर 'गैर लाभकारी' संगठन था लेकिन साल 2008 की इसी रिपोर्ट में उनके संगठन के पास दो अरब पाउंड यानी तक़रीबन 160 अरब रुपयों की संपत्ति होने की बात कही गई थी. उनके निधन के बाद विरासत को लेकर तनाव भी हुआ, जिसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं थी. यह तो होता ही है. 


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