बिक रहा है चांद, खरीदना हो तो पढ़ें ये खबर
चांद सदियों से मानव सभ्यता का अहम हिस्सा रहा है. गीत संगीत, लोक कला, लोक संस्कृति के जरिए मनुष्य हमेशा चांद से अपनत्व महसूस करते हैं. इंसान और चंद्रमा के इसी संबंध का व्यापारिक फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है.
नई दिल्ली: इंसानों में चांद के प्रति आकर्षण हमेशा से रहा है. चांद का नाम लेकर सौंदर्य की मिसालें दी जाती हैं. अपने हर दिल अजीज के लिए चांद तोड़ कर लाने की बातें तो हमारी सभ्यता में सदियों से घुली मिली रही है. लेकिन अब ये चांद सिर्फ जुमलों का हिस्सा नहीं रहा.
चांद की लगा दी गई है कीमत
अब आप चाहें तो चांद के टुकड़े को खरीद भी सकते हैं और अपने किसी बेहद प्रिय को तोहफे के तौर पर दे सकते हैं. शर्त ये है कि आपकी जेब में 25 लाख डॉलर यानी करीब 19 करोड़ रुपये होने चाहिए. कनाडा की नामी गिरामी कंपनी क्रिस्टी चांद के टुकड़े को बेचने को तैयार है.
ऐसे खरीद सकते हैं चांद को
चांद के खरीदने की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है. साढ़े तेरह(13.5) किलो के चांद के टुकड़े को पाने के लिए आपको खर्च करने होंगे करीब 20 करोड़ पाउंड यानी 19 करोड़ रुपये.
दावा किया जा रहा है कि चांद की सतह पर कोई क्षुद्र ग्रह या धूमकेतू टकराया जिसके बाद चांद की सतह का एक हिस्सा निकलकर नीचे की ओर गिरा. करीब 2 लाख 40 हजार मील का सफर तय करने के बाद चांद का ये टुकड़ा सहारा के रेगिस्तान में आ गिरा. चांद की सतह से निकली ये चट्टान किसी व्यक्ति को मिली और फिर एक दूसरे और दूसरे से तीसरे हाथ का सफर तय करता हुआ ये चट्टान अब कनाडाई कंपनी क्रिस्टी को मिल गया है. ये कंपनी अब इसे बेचना चाहती है.
विशेषज्ञों ने बताया है कि ये चांद की सतह का असली टुकड़ा है. ये फुटबॉल के आकार का है. इसका वजन करीब 13.5 किलो है. ये धरती पर चांद का पांचवां सबसे बड़ा टुकड़ा है. इस को नाम दिया गया है NWA 12691.
धरती पर हैं चांद के कई टुकड़े
धरती पर आधिकारिक तौर पर कुल 650 किलो चांद के टुकड़े मौजूद हैं. NWA 12691 उन्हीं में से एक है. वैज्ञानिकों ने सहारा रेगिस्तान से मिलने के बाद चांद के इस पिंड का परीक्षण किया. अमेरिका के अपोलो अंतरिक्ष अभियान के जरिए चंद्रमा से लाए गए रॉक पीसेज के साथ वैज्ञानिकों ने इसकी तुलना भी की और इसे चांद का ऑरिजनल हिस्सा करार दिया.
एक अमेरिकी संस्थान में विज्ञान और प्राकृतिक इतिहास के प्रमुख जेम्स हाइसलॉप ने बताया है कि कि 'तमाम उल्का पिंड जिनकी खोज हुई है उसी तरह ये भी एक अज्ञात व्यक्ति को सहारा रेगिस्तान में मिला था. उस समय बस ये माना गया कि ये किसी दूसरे ग्रह का पिंड है. जिस व्यक्ति को ये पिंड मिला उसने किसी और को दे दिया और दूसरे ने तीसरे को. आखिरकार डॉक्टर स्टाइफ्लर ने इसे हासिल किया और फिर उन्होंने वैज्ञानिकों के जरिए इसका परीक्षण करवाया और तब जाकर ये तय हुआ कि ये चंद्रमा का ही हिस्सा है'.
इस तरह हुई चांद के टुकड़े की पहचान
साल 1960 और 70 के दशक में नासा के अपोलो अभियानों के जरिए चंद्रमा से करीब 400 किलो चट्टानें लाई गई थीं. जिसका बाद उन चट्टानों का रासायनिक विश्लेषण किया गया और सहारा रेगिस्तान में मिले मून रॉक का उससे मिलान किया गया. धरती पर इस तरह के बहुत सारे उल्कापिंड गिरते हैं. जिनपर शोध चलता रहता है.
सोने की तरह दुर्लभ हैं उल्कापिंड
धरती पर जितने उल्कापिंड हैं वो सब दुर्लभ हैं. धरती पर जितने उल्कापिंड हैं उनका वजन उतना ही है जितना एक साल में धरती के गर्भ से सोना निकलता है. इस लिहाज से उल्कापिंड उतने ही दुर्लभ हैं जितना कि सोना. धरती पर जितने उल्कापिंड हैं उनमें चांद के टुकड़ों का हिस्सा 0.1 फीसदी है. साफ है कि चांद का जो टुकड़ा क्रिस्टी कंपनी के पास है वो कितना दुर्लभ है.
कोई भी कवि हृदय करोड़पति इस चांद के दुर्लभ टुकड़े को अपना बना सकता है. बस उसे अपनी दौलत को इसके लिए खर्च करना होगा.
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