नई दिल्ली: नशा एक ऐसी चीज़ होती है कि कभी कभी जान जल्दी भी ले लेती है. नशे की तलब में नशेबाज़ कई बार ऐसी हरकतें कर गुज़रते हैं कि उनकी जान बचने की संभावना उनकी तलब के मुकाबले में कम हो जाती है. यहां भी ऐसे ही एक व्यक्ति की सच्ची कहानी पढ़िए जिसने आज के कोरोना-काल में भी सिगरेट की तलब को अपनी जान से ज्यादा अहमियत दी.
चल रहा है लॉकडाउन खत्म हुई सिगरेट
फ़्रांस की है ये घटना जहां पर भारत की तरह ही कोरोना संकट फैला हुआ है और सरकार ने सुरक्षा की दृष्टि से लॉकडाउन लगा दिया है. ऐसे में इन फ्रेंच सज्जन को अचानक पता चला कि उनकी सिगरेट खत्म हो गई है. जब सिगरेट खत्म हुई तो इन्होंने अपनी जेब टटोली किन्तु इनको निराशा हुई क्योंकि अगले महीने भर के लिए इनको जितनी सिगरेटें चाहिए थीं उतनी लोकल फ़्रांसिसी मार्केट में बहुत महंगी मिल रही थीं और उतने पैसे उनके पास नहीं थे.
आधी रात को लगी सिगरेट की तलब
धूम्रपान के आदी इन फ्रांसीसी सज्जन ने दिन भर सोच विचार में समय बिता दिया कि महंगी सिगरेट खरीदें या महीने के राशन के लिए पैसे बचाएं. इन सज्जन ने दिन में संकल्प किया कि आज से धूम्रपान छोड़ दूंगा. किन्तु शाम ढलते ढलते उनकी हालत खराब हो गई और आधी रात को तो संकल्प खुद ही तोड़ दिया.
अपनी बुझी हुई सिगरेट के कुछ कश लेने के बाद थोड़ी चैन पड़ी लेकिन कुछ ही देर में सिगरेट की तलब इतनी आसमानी हो गई कि इन सिगरेटबाज़ महोदय ने एक बड़ा फैसला कर लिया.
कर लिया बड़ा फैसला
सिगरेट को लोकल मार्केट में ढूंढने की बजाये कहीं और से खरीदना इनको बेहतर नज़र आया इससे महीने का राशन खरीदना भी सम्भव हो सकता था और सस्ती सिगरेट महीने भर के लिए खरीदी भी जा सकती थी. बस इन सिगरेट-प्रेमी सज्जन ने बड़ा कदम उठाने का फैसला कर लिया और वे घर से निकल पड़े. निकलते समय इन्होने घड़ी पर नज़र डालने की ज़रूरत भी नहीं समझी लेकिन घड़ी की सुइयां आधी रात के बारह बजा रहीं थीं.
पैदल ही निकल पड़े सिगरेट की खोज में
पेर्पिग्नान था फ्रांस में जहां ये सज्जन रहते थे. पेर्पिग्नान फ्रांस की बॉर्डर सिटी है जिससे पडोसी देश स्पेन की सीमा लगती थी. सिगरेट के शौक़ीन ये सज्जन अपने घर से निकले तो कार से थे लेकिन बॉर्डर पर जब पुलिस ने पकड़ कर इनको लौटा दिया तब इन्होने छुप कर पैदल ही पार जाने का फैसला किया. लेकिन ऐसा नहीं है कि इनको फ्रांस और स्पेन के बीच के भौगोलिक मानचित्र की जानकारी नहीं थी.
इनको अच्छी तरह पता था कि इन दोनों देशों के बीच में एक बहुत बड़ा पर्वत है जिसका नाम है पायरेनीज़ माउंटेन और इसको पार करना नामुमकिन तो नहीं था लेकिन आसान भी नहीं था.
पेर्पिग्नान से लो जोंकेरा की यात्रा
सिगरेट के दीवाने ये सज्जन घर से पैदल ही चल पड़े और बचते-बचाते पुलिस से छुपते-छुपाते फ्रांस की सीमा पर पहुंच गए. लेकिन अब शुरू हुई इनकी अग्नि-परीक्षा. एक तरफ थी सिगरेट और दूसरी तरफ था विशाल पर्वत पायरेनीज़ माउंटेन जिसे बगल से चढ़ कर पार करते हुए स्पेन की सीमा में प्रवेश करना था.
स्पेन की सीमा में प्रवेश करने के बाद जो शहर सबसे पहले था वो भी पहाड़ी शहर ही था जिसका नाम लो जोंकेरा है. ये सज्जन पहाड़ पर भी चढ़ गए लेकिन इसके बाद वो हुआ जो उन्होंने सोचा नहीं था.
भूल गए रास्ता और हुए बीमार
एक तो रात ऊपर से पहली बार लो जोंकेरा पहुँचने के लिए पहाड़ की चढ़ाई कर रहे थे ये धूम्रपान-प्रेमी सज्जन. ये भूल गए थे कि सिगरेट पीते पीते इन्होने अपनी इम्युनिटी का सत्यानाश कर लिया है. हाँफते हाँफते पहाड़ पर तो चढ़ गए किन्तु वहां वे रास्ता भटक गए. रात में पहाड़ की सर्दी ने मानो उनके प्राण ही निकाल दिए.
श्रीमान थकहार कर एक जगह बैठे तो उन्हें पता चला कि उनको बुखार हो चुका है. कड़कती सर्दी तेज़ बुखार और ऊपर से भटका हुआ मुसाफिर- इनको आज लगा कि शायद सिगरेट के लिए प्राणों का बलिदान देने वाले वे दुनिया के पहले मनुष्य बनने जा रहे थे.
पुलिस ने किया रेस्क्यू
अब प्राण बचाने का एक ही रास्ता था और उन्होंने प्राण बचाने की ये कोशिश भी कर डाली. इमरजेंसी नंबर डायल करके पुलिस को फ़ोन किया. उस समय स्थानीय पुलिस पहले ही पेट्रोलिंग पर निकली हुई थी. जेंडरमेरी पुलिस फ़ोर्स को इन सज्जन की खोज के लिए हेलिकोप्टर्स और सर्च लाइट की जरूरत पडी. लेकिन काफी मशक्क्त के बाद पुलिस ने घने जंगल की झाड़ियों में फंसे धूम्रपान के लिए जान कुर्बान करने को तैयार इन सज्जन को ढूंढ ही निकला.
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इन सज्जन को सिगरेट तो फिर भी नहीं मिली किन्तु फाइन मिल गया जो इन पर पुलिस ने लगाया था. इन्हें लगभग एक सौ पैंतीस फ्रैंक्स सरकार को चुकाने पड़े और इतनी रकम में तो महीना का राशन और सिगरेट दोनों ही आसानी से आ जाती.
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