नई दिल्ली: हिंदुस्तान में एकता की मिसाल पेश करने के लिए गंगा-जमुनी तहजीब की बातें की जाती हैं. लेकिन मां दुर्गा की आराधना करना और भक्ति में लीन होना टीएमसी सांसद नुसरत जहां को महंगा पड़ गया है. श्रद्धा में सराबोर होकर नुसरत ने एक मिसाल पेश करने की कोशिश की तो मौलाना ये हजम नहीं हुआ. मजहबी कट्टरपंथी ने इसे इस्लाम का अपमान बता दिया और इस पूरे वाकये को हराम बता दिया.


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इत्तेहाद उलेमा ए हिन्द के उपाध्यक्ष मुफ्ती असद कासमी का एक बयान सामने आया है, जिससे ये साफ हो रहा है कि जिस बंगाल की दुर्गा पूजा का डंका पूरी दुनिया में बजता है वहां खुद नुसरत जहां का भी डंका बजाना कट्टरपंथियों के गले नहीं उतर रहा है.


मौलाना का कहना है कि ''नुसरत जहां ने जो इस मर्तबा पूजा अर्चना की है वो कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी वो पूजा करती चली आ रही हैं. इस मर्तबा भी उन्होंने दुर्गा की पूजा की है. तो मैं कहता हूं कि इस्लाम का जो हुक्म है. इस्लाम के अंदर है कि अल्लाह की इज्जत के सिवा किसी और की इबादत करना किसी और की पूजा करना शऱीअत के हिसाब से जायज नहीं है. हराम है और उन्होंने ये हराम काम किया है.''


बंगाल की दुर्गा पूजा में ढोल-ताशे बजने पर नुसरत जहां ने भी ढाक पर हाथ आजमा लिया तो भला ये हराम कैसे हो गया? पूरे लय और ताल के साथ सधे हाथों से नुसरत ने ढाक बजाना शुरू किया तो वहां मौजूद सभी भक्त हैरान रह गए. लेकिन मौलवियों को इससे मिर्ची लग गई. और मजहबी खेल शुरू हो गया.


पूजा-अर्जना करने पर देवबंदी उलेमा नाराज हो गए हैं. उन्होंने नुसरत जहां को अपना नाम बदलने की नसीहत दी है.


पीले बॉर्डर की लाल बंगाली साड़ी पहने मां दुर्गा की भक्ति में लीन नुसरत जहां को देखकर हर कोई भाव-विभोर हो जाएगा. लेकिन उनकी इस भक्ति ने उन्हें इस्लाम का दुश्मन बना दिया है. आलम ये है कि उन्हें अब अपना नाम तक बदलने की नसीहतें दी जा रही हैं.


हालांकि नुसरत का कहना है कि ''मैं बंगाली रीति-रिवाज और संस्कृति को लंबे समय से मानती आ रही हूं...यहां हम सभी लोग हर धर्म के पर्व को मिल-जुलकर मनाते हैं.''


इससे पहले भी नुसरत को लेकर कई दफा सियासी सरगर्मी और धर्म के ठेकेदारों ने अपनी दुकान गरम किया है. आपको सिलसिलेवार तरीके से पूरा टाइमलाइन दिखाते हैं. नीचे पढ़ें,


  • मई 2019 


पहली बार सांसद बनने पर संसद परिसर में फोटो खिंचवाने को लेकर ट्रोलर्स ने नुसरत को खूब खरी खोटी सुनाई थी.


  • 19 जून, 2019


हिंदू युवक निखिल जैन से शादी करने पर बवाल शुरू हो गया. उनके ही धर्म के लोगों ने नुसरत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.


  • 25 जून, 2019


सिंदूर लगाकर शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने पर कोहराम मच गया. नुसरत को मजहबी कट्टरपंथियों ने गालियां तक देनी शुरू कर दी.


  • 4 जुलाई, 2019


टीएमसी सांसद नुसरत जहां के इस्कॉन जाने पर बखेड़ा खड़ा हो गया. 


इससे पहले अक्टूबर 2017 में दुर्गापूजा के समय भी नुसरत जहां पर कट्टरपंथी उस समय टूट पड़े थे, जब उन्होंने दुर्गापूजा की बधाई देने का कथित रूप से दुस्साहस किया था. इसी साल जून के महीने में नुसरत के मंगलसूत्र पहनने पर दारुल उल उलूम देवबंद ने उनके खिलाफ फतवा जारी कर दिया था. उनके फिल्मों में काम करने को लेकर भी उल्टे-सीधे बयानात दिए गए. ऐसे में इस ओछी राजनीति का नजारा कबतक देखने को मिलेगा ये वाकई बड़ा सवाल है.