नई दिल्ली: 82 साल पहले जिस बिस्किट को बनाने की शुरुआत हुई थी वो आज भी लोगों की पसंद बना हुआ है. कोरोना काल में लोगों ने PARLE- G की खूब खरीददारी की. आम लोगों में इस बिस्किट की बहुत लोकप्रियता है. आज भी इस बिस्किट की भारत के ग्रामीण अंचल में खूब पहुंच है और लोग इसको बड़े चाव के साथ खाते है. बताया गया है कि लॉकडाउन के दौरान पारले-जी बिस्कुट की इतनी अधिक बिक्री हुई है कि पिछले 82 सालों का रिकॉर्ड टूट गया है.


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पिछले तीन महीनों में पारले ने बनाया कीर्तिमान



पारले प्रोडक्ट्स के कैटेगरी हेड मयंक शाह ने मीडिया को बताया कि बीते तीन महीनों में लॉक डाउन की अवधि में कंपनी का कुल मार्केट शेयर करीब 5 फीसदी बढ़ा है और इसमें से 80-90 फीसदी ग्रोथ पारले-जी की सेल से हुई है. इसका सबसे बड़ा कारण ये रहा है कि लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर पैदल चलकर घर जा रहे थे तब रास्ते में उन्हें ये बिस्किट बहुत सही लगा. एक तो ये बिस्किट सस्ता भी है और इसको खाने से ग्लूकोज़ भी मिलता है. एक तथ्य ये भी है कि कई लोगों ने पैदल चल रहे मजदूरो की मदद करने के लिए उनमे इसी बिस्किट का वितरण किया.


पीछे छूटा आठ दशकों का रिकॉर्ड


कम्पनी की तरफ से कहा गया है कि पारले ने अपने 82 वर्षो में इतिहास में सबसे अधिक बिक्री का नया रिकॉर्ड बनाया है. कम्पनी की तरफ से ये तो नहीं बताया गया है कि कितने रुपये का लाभ हुआ लेकिन ये जरूर बताया गया है कि कम्पनी ने पिछले आठ दशकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. इस लॉक डाउन के पारले को देशभर में सबसे अधिक पसंद किया गया.


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1938 में हुई थी पारले की स्थापना


आपको बता दें कि पारले जी की स्थापना सन 1938 में कई गयी थी. 1938 से ही ये बिस्किट लोगों के बीच एक फेवरेट ब्रांड रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण है इसका सस्ता होना और अच्छी क्वालिटी. इस बिस्किट के सबसे अधिक बिकने के और भी कई कारण हैं. कम्पनी की ओर से बताया गया है कि पारले प्रोडक्ट्स ने अपने सबसे अच्छे बिकने वाले लेकिन कम कीमत वाले ब्रांड पारले-जी पर फोकस किया. 


ग्राहकों की ओर से इसकी खूब डिमांड आ रही थी. कंपनी ने अपने डिस्ट्रिब्यूशन चैनल को भी एक हफ्ते के अंदर रीसेट कर दिया, ताकि रिटेल आउटलेट पर बिस्कुट की कमी ना हो. इसकी वजह से कंपनी ने लॉक डाउन के दौरान आपूर्ति में कोई कमी नहीं आने दी.