नई दिल्ली: 69वें मन की बात (Mann ki bat) में पीएम मोदी (PM Modi) ने कहानियां कहने और सुनने की परंपरा के कमजोर होने पर चिंता जाहिर की. कोरोना संकट काल (Corona PAndemic) में घर बैठे समय काटने के लिए कहानियां अच्छा माध्यम साबित हो सकती हैं. प्रधानमंत्री ने भारत (India) में कहानी कहने की परंपरा पर गर्व करते हुए हितोपदेश और पंचतंत्र का हवाला दिया. प्रधानमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि 'कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी कि मानव सभ्यता.' 


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आईए आपको ले चलते हैं कहानियों की जादुई दुनिया में. जो कि जाने अनजाने हम सभी ने सुनी है. लेकिन समय के साथ भूल गए होंगे. देखिए एक झलक-

 कहानियों की दुनिया
कहानियों का संसार अनूठा है. यहां हर तरह की कथाएं होती है. कहानियां कहने वाले को किस्सागो या बातपोश कहते हैं. अक्सर घरों के बड़े-बुजुर्ग किस्सागोई (कहानियां कहना) करते हैं. लेकिन प्रोफेशनल किस्सागोई की बात ही कुछ अलग है. इसके लिए राजाओं के समय में चारण-भाट की परंपरा थी. देश के कुछ हिस्सों में घुमक्कड़ कथा वाचक होते हैं. जो तरह तरह की कथाएं सुनाते हैं. पूर्वांचल के इलाकों में आल्हा गाने की परंपरा है. उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में महाभारत की कथाएं कही जाती हैं. रामायण को गाकर सुनाने की परंपरा तो भगवान राम के जमाने से ही शुरु है. जब लव-कुश ने उनके दरबार में आकर रामायण सुनाई थी. 
कहानियां या किस्से सिर्फ एक आख्यान नहीं होता, बल्कि उसमें पहेलियां, कहावतें, वीरगाथाएं, तीर्थयात्रा, पूजा पाठ, सामाजिक परंपराएं, नाते रिश्ते आदि सभी का समावेश होता है. कथा साहित्य पर बेहद रिसर्च भी हुआ है. लोक कथाएं आम और पर क्लासिक से अलग होती हैं. क्लासिक आम तौर पर रामायण, महाभारत, कालिदास की रचनाएं जैसे बड़े विषय पर होती हैं. लेकिन लोक गाथाएं उन बड़े पौराणिक आख्यानों से जुड़ी छोटी उप कथाएं होती हैं. जैसे महाभारत में मूल कथा के साथ साथ अर्जुन के अन्य विवाह या फिर बर्बरीक के जन्म की कथा मिलती है. यह पौराणिक और लोक आख्यानों का मिश्रण है. लोककथाओं के संसार को कई हिस्सों में बांटा गया है. 


1. पुरुष प्रधान वीर गाथाएं


इस तरह की कहानियां दुनिया के हर हिस्सों में कही जाती हैं. बच्चे इन्हें बेहद पसंद भी करते हैं. इसमें एक बहादुर योद्धा या राजकुमार होता है. जो काफी मुश्किलों का सामना करने के बाद किसी राजकुमारी को मुक्त कराता है या फिर जन कल्याण का कोई कार्य करता है. इसमें उसके सामने कोई राक्षस, जादूगर या फिर बड़े सांप या ड्रैगन जैसा कोई खतरनाक जानवर विलेन के रुप में होता है. 



बल और पौरुष संपन्न यह हीरो कोई भी हो सकता है. महाभारत के अर्जुन, अभिमन्यु या फिर रामायण के हनुमान या देवी भक्त आल्हा-ऊदल भारत में प्रसिद् हैं. रूस में ईवान नाम के नायक की कहानियां कही जाती हैं. वहीं रोमन साहित्य में हरक्यूलिस की कथाएं प्रसिद्ध हैं.  


2. नारी प्रधान कहानियां


इस तरह का कहानियों की नायिका अक्सर कोई स्त्री होती है. ऐसी कहानियां हम सभी ने सुनी होगी. जिसमें सौतेली मां के अत्याचार सहती हुई बेटी, या फिर अपने पति को मुश्किल से बचाने वाली पत्नी, डाकुओं को बुद्धि से मात देने वाली सास-बहू जैसी कहानियां होती हैं. जिसमें स्त्रियां ऐसे कारनामों को अंजाम देती हैं. जिसे करने में उनके परिवार के पुरुष अक्षम हो जाते हैं. 
अरब के प्रसिद्ध कथा साहित्य अलिफ लैला (Arabian nights) या कश्मीर के कथा सरित्सागर जैसी किताबों में अक्सर महिलाओं की बहादुरी की दास्तानें मिलती हैं. 



पौराणिक भारतीय साहित्य में भयानक असुरों से पराजित देवता गण अपनी सहायता के लिए देवी दुर्गा का आह्वान करते हैं. जिसके उपलक्ष्य में दुर्गापूजा मनाई जाती है. 


3. नाते रिश्ते आधारित पारिवारिक कहानियां


इस तरह की कहानियों का उद्देश्य बच्चों को रिश्ते नातों की जानकारी प्रदान करना है. इसमें दो भाईयों, भाई-बहनों, सास-बहू, पति-पत्नी, मां-बेटी की कहानियां होती हैं. ये कहानियां संबंधों में छिपे प्रेम और उसके ना रहने पर होने वाले कष्टों को दिखाते हैं. हम सभी ने बचपन में वह कहानी जरुर सुनी होगी. जिसमें एक मां मरने के बाद अपने बच्चों के लिए फलों का पेड़ या दूध देने वाली गाय बन जाती है. इसी तरह अपनी बहन को बचाने वाले भाईयों या फिर अपने बेटे को राजा बनाने वाली माता की कहानी भी कही-सुनी जाती है. 
इस तरह की सभी कहानियां रिश्तों की मर्यादा, अनुशासन, अंतर्संबंधों को दर्शाने वाली होती हैं. यह कहानियां बच्चों को रिश्तों का महत्व समझाती हैं. 


4. हास्यकथाएं


 लोक कथाओं का एक बडा हिस्सा हास्यकथाओं का होता है. जो कि खूब पसंद की जाती हैं प्रधानमंत्री ने भी रविवार 27 सितंबर को अपने मन की बात कार्यक्रम में बेंगलुरु की स्टोरी टेलिंग सोसायटी की अर्पण अथरेया से कहानी सुनाने का आग्रह किया था. जिन्होंने बैगन राजा की कहानी सुनाई. जो कि तेनालीराम और राजा कृष्ण देवराय की कथा श्रृंखला का एक हिस्सा है. यह एक प्रसिद्ध हास्य कथा है. 



तेनालीराम की ही तरह बिहार में गोनू झा, बंगाल में गोपाल भांड की चतुराई की हास्य कथाएं कही जाती हैं. माना जाता है कि अकबर बीरबल की प्रचलित कथाओं का प्रेरणास्रोत यही पुरानी लोक प्रचलित हास्यकथाएं हैं.


5. जानवरों की कहानियां


जानवरों की कहानियां भी बच्चों को बहुत पसंद आती हैं. इनकी शुरुआत भी भारत से ही हुई. जहां विष्णुगुप्त नाम के एक शिक्षक ने अपने बिगड़ैल राजकुमार शिष्यों को सिखाने के लिए पंचतंत्र की रचना की थी. जिसमें जानवरों के जरिए नीति, राज्य शासन और कार्य व्यवहार की शिक्षा दी गई थी. कुछ इसी तरह की जानवरों की कथाएं बौद्धों के पवित्र ग्रंथ त्रिपिटक में मिलती हैं. जिनमें भगवान बुद्ध के पिछले पशु जीवन और बोधिसत्व होने वर्णन है. इसकी प्रसिद्ध मगरमच्छ और बंदर की कहानी सभी ने सुनी होगी. जिसमें बुद्धिमान बंदर अपना कलेजा पेड़ पर होने की बात कहकर मगरमच्छ से अपनी जान बचाता है. इसी तरह रंगा सियार की कहानी भी फेमस है. जिसमें नीले रंग से रंगा सियार झूठ बोलकर जानवरों का राजा बन जाता है.


     
पंचतंत्र की कहानियां पूरे संसार में पसंद की जाती है. इसकी प्रसिद्धि का आलम ये है कि दुनिया की कई भी ऐसी भाषा बची नहीं है. जिसमें पंचतंत्र का कहानियों का अनुवाद नहीं हुआ हो. क्योंकि इसमें बेहद गूढ़ शिक्षा बेहद मनोरंजक तरीके से समझा दी जाती है.   



6. कहानियों की कहानियां


किस्से कहने की यह विधि भी प्राचीन काल से बेहद प्रसिद्ध रही है. जिसमें एक कहानी के अंदर दूसरी कहानी चलती है. यह परंपरा अरबी कथा साहित्य के अलिफ लैला और भारतीय कथासरित्सागर में देखी जाती है. जिसमें कहानी के अंदर कहानियां चलती रहती हैं. कालिदास के कई प्रसिद्ध नाटकों में भी कहानियों के अंदर कहानियां चलती हुई दिखती हैं.
इस तरह के कथा साहित्य की खास बात ये होती है कि यह कई महीनों या फिर सालों तक सुनाई जा सकती हैं. जैसे अलिफ लैला में एक शहजादी अपनी जान बचाने के लिए अपने बादशाह पति को कहानी सुनाती है. वह जानबूझकर सुबह होने तक अधूरी कहानी छोड़ देती. जिससे कि उसका पति कहानी का अगला हिस्सा सुनने के लिए उसे एक रात और जिंदा रहने दे. क्योंकि वह बादशाह हर एक रात के बाद अपनी पत्नियों का कत्ल कराने के लिए बदनाम था.



अलिफ लैला का अर्थ है 'हजार रातें'. जिसमें कहानी को लंबा खींचते हुए उसे दिलचस्प तरीके से कई साल तक सुनाया गया. जिसके बाद बादशाह को अपनी बुद्धिमान पत्नी से प्यार हो जाता है और वह उसकी जान बख्श देता है.    


प्रधानमंत्री ने बिल्कुल सच कहा है कि कहानियों का इतिहास मानव सभ्यता जितना पुराना है. लेकिन सच ये भी है कि कहानियां कभी खत्म नहीं हो सकतीं. आज भले ही कहानियां कहने सुनने वाले कम होते जा रहे हैं. लेकिन कहानियां कहने और सुनाने की परंपरा ने अपना स्वरुप बदल लिया है. 
अब कहानियां ऑनलाइन हो गई हैं. अगर आपको पंचतंत्र या फिर लोककथाएं सुननी हों तो यूट्यूब हाजिर है. 
ऑनलाइन कहानियों के प्रतिलिपि या कथा सागर जैसे कई ऐप्स आ गए हैं. कहानियों के साथ कविताओं के लिए 'कथा कोश' और गद्य कोष पाठकों के बीच फेमस हैं.  
कहानियों के जरिए बच्चों के शिक्षण की परंपरा को पीएम मोदी के गृहराज्य गुजरात के शिक्षा शास्त्री गिजूभाई बधेका ने बड़ी अच्छी तरह समझा था. 1885 में जन्मे इस महान शिक्षक को 'बच्चों का गांधी' कहा जाता था. उन्होंने बच्चों को स्कूलों तक खींच लाने के लिए शिक्षण को मनोरंजक बनाने पर जोर दिया और अपनी पढ़ाई में कहानियों का समावेश किया. 


गिजूभाई ने 100 से ज्यादा बाल साहित्य की किताबें लिखीं और बाल नाटकों की परंपरा डाली. जिससे बच्चों की पढ़ाई को आसान और मनोरंजक बनाया जा सकते. गिजूभाई के प्रयासों ने लोकगाथाओं और बाल साहित्य पर उल्लेखनीय काम किया है. 


कहानियां मिट नहीं सकतीं. बस अपना स्वरुप बदल लेती हैं. वह हमेशा मौजूद हैं. हमें खुद को बस उनके नजदीक ले जाना होगा. प्रधानमंत्री ने भी यही समझाने की कोशिश की है. 


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