Mystery of Giza: पिरामिडों के नीचे रहस्यमय दुनिया, खोज में जुटे वैज्ञानिक
मिस्र में गीजा के पिरामिड के नीचे सुरंगों और गुफाओं में मौत के बाद की दुनिया बसी हुई है. जापान की क्योशो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने Muon तकनीक के जरिए अंदर की फोटो निकालने की तैयारी की. तब तक दुनिया में कोरोना फैल गया और ScanPyramids प्रॉजेक्ट ठप पड़ गया.
नई दिल्ली: मिस्र (Egypt) के रहस्यमय पिरामिडों के बारे में कई दंत कथाएं प्रचलित हैं. इनमें सबसे विशाल है फराहो खुफु का पिरामिड. जिसे 'गीजा का महान पिरामिड' (Great Pyramid of giza) के नाम से जाना जाता है. इसके बारे में कुछ नई बातें पता चली हैं.
पिरामिड के नीचे रहस्यमय दुनिया
फराहो खुफु का गीजा पिरामिड (Giza Pyramids) बेहद विशाल है. इसकी ऊंचाई 450 फुट है. इसका आधार 13 एकड़ में फैला हुआ है. इसी के नीचे रहस्यमय दुनिया का रास्ता छिपा हुआ है.
दरअसल इस विशाल पिरामिड के अंदर अभी तक तीन तहखाने (Secret chambers) मिले हैं. जिन्हें नाम दिया गया है आधार का तहखाना, राजा का तहखाना और रानी का तहखाना. लेकिन इन तहखानों से कोई ममी नहीं मिली है. जबकि इनका निर्माण फराहो खुफु और उनकी रानी की ममी यानी संरक्षित शवों को रखने के लिए बनाया गया था.
इससे यह आशंका प्रकट होती है कि राजा-रानी के शवों को कहीं और सुरक्षित रखा गया है. जिसकी तलाश अभी तक नहीं हो पाई है.
पिरामिड के नीचे कई सुरंगें
मिस्र के बारे में शोध करने वाले डॉ. एंड्यू कॉलिंस (Andrew Collins) के मुताबिक गीजा के विशाल पिरामिड के नीचे सुरंगों, गुफाओं और मानव निर्मित कक्षों का जाल फैला हुआ है. इसके नीचे एक पूरी रहस्यमय दुनिया (Mysterious world) है. जिसके बारे में अभी हम कुछ भी नहीं जानते. इस पिरामिड के निर्माण में 20 साल लगे थे. शायद इस दौरान ही इस इलाके में मौजूद प्राकृतिक गुफाओं, सुरंगों को जोड़कर एक अलग व्यवस्था तैयार की गई.
शोधकर्ता डॉ. कॉलिंस ने पाया कि महान पिरामिड के प्रवेश द्वार के नीचे से गुप्त सुरंगों को पता लगाया. हालांकि इसके बारे में विस्तार से शोध अभी बाकी है. डॉ. कॉलिंस को इन गुप्त सुरंगों के बारे में ब्रिटिश राजनयिक शोधकर्ता हेनरी सॉल्ट (Henry Salt) के शोधपत्रों से पता चला, जिन्होंने 1817 में गीजा के पिरामिड के नीचे की सुरंगों के बारे में पड़ताल की थी.
डॉ. कॉलिंस ने पिरामिडों के नीचे रहस्यमय दुनिया की अपनी थ्योरी पर एक किताब 'Beneath the Pyramids' भी लिखी है.
बेहद खतरनाक है पिरामिड के नीचे की दुनिया
डॉ. कॉलिंस ने बताया है कि पिरामिडों के नीचे के रहस्यों को जानना इतना आसान भी नहीं है. सबसे पहले तो उसके बारे में जानना ही मुश्किल है. क्योंकि इन्हें बेहद गुप्त रुप से बनाया गया है. डॉ. कॉलिंस को इनके बारे में तब पता चला, जब उन्होंने चट्टान के बीच में एक दरार की पड़ताल करनी शुरु की. जिसके बाद उन्हें पता चला कि वह एक विशाल गुफा में जाकर खुलती थी.
शोधकर्ता ने बताया कि वहां तक पहुंचना इतना आसान नहीं. क्योंकि इस तरह के रास्ते अनजाने गढ्ढों से भरे होते हैं. जिसमें कभी भी कोई गिरकर प्राण गंवा सकता है. इसके अलावा 4500 साल पुरानी इन सुरंगों में चमगादड़ों की बस्ती बस गई है. इसके अलावा उसमें जहरीली मकड़ियां और दूसरे जहरीले जीव भी मौजूद हैं. जो कि किसी के लिए भी घातक साबित हो सकते हैं.
पिरामिड जितना ही रहस्यमय उसका रक्षक
गीजा के महान पिरामिडों के पास उसका रक्षक 'द ग्रेट स्फिंक्स' (The Great Sphinx) भी मौजूद है. जो कि 73 मीटर लंबी और 20 मीटर ऊंची बेहद आश्चर्यजनक मूर्ति है. माना जाता है कि इसे पिरामिड के रक्षक के तौर पर बनाया गया है. 4 हजार साल पुरानी इस विशाल मूर्ति को एक ही पत्थर से तराश कर बनाया गया है. स्फिंक्स दुनिया की सबसे विशाल एकल पत्थर मूर्तियों में से एक है. इस मूर्ति का चेहरा स्त्री के जैसा है. जबकि बाकी का पूरा शरीर शेर का बनाया गया है.
स्फिंक्स मिस्र के प्राचीन शासकों यानी महान फराहो के मकबरे के रक्षक के तौर पर जाना जाता है. लेकिन इसकी मूर्ति भी अपने मालिक फराहो के पिरामिड से कम आश्चर्यजनक नहीं है. गीजा के स्फिंक्स की पूंछ के नीचे एक गहरा छेद है. जो माना जाता है कि एक विशाल चेंबर से जुड़ा हुआ है. शोधकर्ताओं का मानना है कि स्फिंक्स के प्रतिमा के पास एक और छोटा चेंबर है. जो कि विशाल चैंबर से जाकर जुड़ता है. स्फिंक्स का निर्माण पिरामिड से दूर किया गया है.
पुरातत्व विज्ञानियों का मानना है कि गीजा के पिरामिड के नीचे गुफाओं और सुरंगों का जाल बिछा हुआ है. यह एक तरह के मौत के बाद की दुनिया की तरह तैयार की गई है. स्फिंक्स के नीचे का सीक्रेट चैंबर का कनेक्शन पिरामिड के नीचे की धरती के अंदर की दुनिया के से जरूर होना चाहिए.
कैसे खुलेगा मौत की दुनिया का राज?
मौत की दुनिया का राज खोलने की कोशिश वैज्ञानिक तरीके से जारी है. जापान के क्योशो यूनिवर्सिटी में रेडिएशन मेट्रोलॉजी डिपार्टमेन्ट के शोध के मुताबिक पिरामिडों के अंदर के रहस्य का पता लगाने के लिए म्यूऑन रेडियोलॉजी (muon radiography) सबसे कारगर तकनीक है. म्यूऑन सब एटॉमिक पार्टिकल हैं. जो कि 600 मीटर मोटी चट्टानों से भी गुजर सकते हैं.
Muon किरणों की मदद से गहरे चट्टानों में मौजूद गुफाओं और उसके स्ट्रक्चर के बारे में एक्सरे की तरह छवियां निकालना संभव है. क्यूशू यूनिवर्सिटी ने पिरामिडों के रहस्य का उद्घाटन करने के लिए जनवरी 2020 में ScanPyramids प्रॉजेक्ट की घोषणा की थी. लेकिन मार्च तक काम होने के बाद कोरोना संकट के कारण इसपर रोक लग गई.
मार्च तक की स्टडी के बारे में अभी जानकारी सामने नहीं आई है. लेकिन अब कोरोना त्रासदी का असर थोड़ा कम होने के बाद मिस्र की अंतरराष्ट्रीय उड़ानें फिर से शुरु हो गई हैं. जिसके बाद ScanPyramids प्रॉजेक्ट पर भी जल्दी ही काम शुरु हो गया है.
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कुछ अहम तथ्य-
- गीजा का पिरामिड 2560 ईसा पूर्व यानी लगभग 4500 साल पहले बनवाया गया था. यह दुनिया की सबसे ऊंची बनावट है.
- इसे प्राचीन मिस्र के महान फरोहा यानी महाशासक खुफू की कब्र के तौर पर बनाया गया था. इसकी लंबाई 481 फुट यानी 146 मीटर है.
- माना जाता है कि गीजा के पिरामिड को चांद से भी देखा जा सकता है.
- इस पिरामिड में 2.3 मिलियन लाइमस्टोन ब्लॉक्स और ग्रेनाइट पत्थर लगाए गए हैं. जिसमें सबसे बड़ा ग्रेनाइट पत्थर राजा के तहखाने में मिला है. जिसका वजन लगभग 80 टन है.
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