नई दिल्ली .  हो सकता है शराब प्रेमियों को दिल का दौरा पड़ जाये जब उनकी आंखों को सड़कों पर बहती दारू नजर आये. जिन शराब प्रेमियों के पास शराब पीने के लिये पैसा नहीं है उनको ये देख कर दुख भरा दिल का दौरा पड़ सकता है और जिन शराब प्रेमियों के पास पैसा है उनको दारू की ऐसी भारी  बेइज्जती देख कर दुख भरा दिल का दौरा पड़ सकता है. लेकिन दारू-प्रेमियों को दिल का दौरा पड़ना पक्का है और इसकी वजह बन सकता है कोरोना वाला लाकडाउन.


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शराब पुरानी अच्छी लेकिन एक्सपायर्ड अच्छी नहीं


शराब जितनी पुरानी हो और शवाब जितना नया हो उतना सुरूर देता है - ऐसा अक्सर शौकीन लोगों के मुह से सुनने में आता है. लेकिन पुरानी शराब पर ये एक्सपायरी डेट का लाकडाउन क्यों? - ये बात समझ में नहीं आती है. सुरूर वाली चीज पर तो कोई एक्सपायरी नहीं होनी चाहिये, ये तो सरासर नाइन्साफी है.


बियर, रम और ब्रेज्जा होने वाली है एक्सपायर


बियर, रम और ब्रेज्जा की बोतलों में लिखी जाती है एक्सपायरी डेट. अब नशे में नाचने वाली ये बोतलें होने वाली हैं एक्सपायर. कोरोना के निकम्मे वायरस के कारण ऐसा हुआ है. कोरोना आया तो लाकडाउन हुआ, लाकडाउन हुआ तो मद्यपानगृह याने बारों और पबों में भी तालाबन्द हो गयी. अब जब इनका ताला खुला है तो बाहर लाईन लगी है और अन्दर लाखों लीटर बीयर एक्सपायर होने वाली है.


किसको होगा बड़ा नुकसान


ये जो नशीली जानकारी मिली है उसके अनुसार दिल्ली के पबों और बारों में बीयर, ब्रीजर, वाइन की बोतलों पर संकट मंडरा रहा है. तीस प्रतिशत के करीब नशीला स्टॉक अब एक्सपायरी डेट के करीब आ पहुंचा है. एक्सपायरी वाले इस स्टाक को लोगों के पेट में जाने से रोकने के लिये जमीन पर फेंकना मजबूरी बन गई है.  ये हिसाब लगाना थोड़ा मुश्किल हो रहा है कि इससे ज्यादा नुकसान किसे होगा - शराब के पीने वालों को या शराब फेंकने वालों को?


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