नई दिल्ली. भैंसों का चारा खा कर हजम कर जाने वाले लालू यादव की जेल से वापसी तो हो गई है लेकिन उनकी राजनीति में वापसी की दूर तक कोई आशंका नज़र नहीं आती. लेकिन लालू अपनी हरकतें जेल से भी चालू रखते हैं. उनकी हरकतों को जानकारियां जेल स्टाफ से लेकर जज तक को है. इसलिए जब सुप्रीम कोर्ट में जज ने लालू को नोटिस थमाया तो उनसे पूछ भी लिया - क्यों न आपकी जमानत रद्द कर दें!


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सीबीआई की याचिका पर हो रही है सुनवाई 


सीबीआई ने लालू के खिलाफ अपनी याचिका में कहा है कि झारखंड हाइकोर्ट ने लालू प्रसाद को अपराधी मानने और उनको दंड देने के निचली अदालत के निर्णय को निलंबित रखने का आदेश तो दिया साथ ही लालो को को जमानत पर रिहा करने का आदेश भी दिया और उसके इन तीनों फैसलों में त्रुटि हुई है.


''जमानत मिलना ठीक नहीं हुआ''


सीबीआई का कहना है कि बहुचर्चित चारा घोटाला से जुडे़ लालू वाले मामले में झारखंड हाईकोर्ट से लालू को जमानत मिलना त्रुटिपूर्ण रहा है. इसी मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस थमाया है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने लालू प्रसाद से इसी दौरान ये भी पूछा कि क्यों न आपकी जमानत रद्द कर दी जाए.



 


4 हफ्ते की मिली है मोहलत 


जजों का यह पूछना कि क्यों न आपकी जमानत रद्द कर दी जाए - यह अदालती भाषा का वाक्य यह ज़ाहिर करता है कि अदालत लालू की जमानत रद्द करने पर विचार कर रही है और लालू से इस दिशा में स्पष्टीकरण माँगा गया है. लालू को 4 हफ्ते में जवाब देना है. 


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