भोपाल: शिक्षा का अधिकार को संविधान में देश के मौलिक अधिकारों में रखा गया है. जाहिर है यह एक महत्वपूर्ण अधिकार है. शिक्षा के जरिए ही समाज में जागरूकता फैलाई जा सकती है. इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों ही कुछ न कुछ प्रयास कर रहे हैं. कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, छात्रवृत्तियां दी जा रही हैं तो कई जगहों पर इसको लेकर जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं.


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कुछ ऐसा ही एक प्रयास मध्यप्रदेश के झाबुआ में जिले में किया जा रहा है. लेकिन उस प्रयास में भ्रष्टाचार का बोलबाला हो गया है. 


स्टेशनरी सामानों के लिए बच्चों को दिए जाते हैं 70 रुपए


यह बात मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले की है जहां सरकार ने दूसरी कक्षा तक के बच्चों को स्टेशनरी सामान देने के लिए कम से कम 70 रुपए प्रति बच्चे पर खर्च करने का प्रावधान चलाया था. कुछ दिनों तक तक तो यह प्रोग्राम लगा कि ठीक-ठीक चल जाएगा, लेकिन धीरे-धीरे इसके लूपहोल दिखने लगे.



छात्रों को स्टेशनरी की सामानें दी तो गईं लेकिन उसकी क्वालिटी इतनी घटिया थी कि वह ज्यादा टिक न सकी. बच्चों को आधी कीमत पर बनाई गई चीजें थमा दी गईं और बजट के पैसे बाबुओं की जेब में चले गए. 


पड़ताल के बाद भ्रष्टाचार आया सामने


मेघनगर ब्लॉक के स्कूली बच्चों की स्टेशनरी सामानों को जब देखा गया तो उसकी खराब क्वालिटी का पता चला. धीरे-धीरे जांच पर मालूम हुआ कि यहीं हाल लगभग पूरे जिले का है. जी मीडिया के पत्रकारों ने इसकी पड़ताल की तो राज खुलने लगे. भ्रष्टाचार का मामला भी सामने आया. 


सीईओ ने जांच के दिए आदेश नप सकते हैं कई लोग


सर्व शिक्षा अभियान के कार्यक्रम संचालक और जिला पंचायत सीईओ ने जांच के आदेश जारी किए. जिला पंचायत सीईओ संदीप शर्मा का कहना है कि उन्होंने 2 सदस्यीय टीम का गठन कर दिया है. हफ्ते भर के अंदर रिपोर्ट सौंपी जाएगी. जांच में गड़बड़ी पाए जाने के बाद बहुत से लोगों पर कार्रवाई होगी. कई लोगों के नपने की आशंका जताई जा रही है.