नई दिल्ली. भाजपा ने मध्यप्रदेश सरकार पर काबिज़ होने की कोई  कोशिश की हो या न की हो, लेकिन ये तो तय है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस का घमासान अंदरुनी ज्यादा है.


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कमल नाथ को फूटी आँखों न सुहाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि वह मध्य प्रदेश में सरकार नहीं गिरने देंगे. हालांकि ये तय नहीं हो पाया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ सरकार की बात की थी. क्योंकि वह कमलनाथ के कार्यों से हमेशा नाराज रहे.




कमलनाथ सरकार से सिंधिया का मोहभंग


मध्यप्रदेश में कमल नाथ सरकार के तुलसी सिलावट और गोविंद राजपूत ने भले ही बयान जारी करके कहा वह कमलनात की सरकार को गिरने नहीं देंगे. लेकिन वक्त ने उन दोनों को गलत साबित कर दिया है. मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया के क्रोध की भेंट चढ़ गई है. भाजपा ने इस मौके को लपकने में देर नहीं की. .




सिंधिया ने कमलनाथ को आखिर तक भुलावे में रखा


जब मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे थे तो  वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि प्रदेश की सरकार को अस्थिर करने के विपक्ष के गेम प्लान का मिल कर करारा जवाब दें. लेकिन यहां पर सिंधिया राजनीति का मास्टर स्ट्रोक खेल रहे थे. वह एक तरफ कमलनाथ सरकार के साथ दिख रहे थे. वहीं अंदखाने उसकी चूलें हिला रहे थे.



 बेंगलुरु ने निभाया अहम रोल 


मध्यप्रदेश सरकार के संकट को लेकर भले ही भाजपा की बेकरारी सामने न आई हो लेकिन सरकार बचाने की कांग्रेसी बेचैनी साफ़ महसूस की गई.  तुलसी सिलावट और गोविंद राजपूत भाग कर दिल्ली पहुंचे और यहां उन्होंने 6 मार्च को देर रात तक ज्योतिरादित्य सिंधिया से लंबा सलाह-मशवरा किया.  लेकिन जब मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायक बेंगलुरु पहुंचे तो यह तय हो गया कि कमलनाथ सरकार के दिन पूरे हो गए हैं.


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