बर्फ की चादर से ढका है यह देश, फिर भी क्यों कहते हैं इसे ग्रीनलैंड?

ग्रीनलैंड एक स्वशासी देश है, हालांकि ये फिर भी डेनमार्क का हिस्सा है. भौगोलिक हिसाब से ये देश नॉर्थ अमेरिकी कॉन्टिनेंट का हिस्सा है. साल 1721 से यह देश डेनमार्क की कॉलोनी रहा है, लेकिन यह 1953 में डेनमार्क का हिस्सा बना. 

नई दिल्ली: दुनिया की सबसे अजीबोगरीब जगहों के नामों में अगर ग्रीनलैंड को शामिल कर दें तो इसपर चौंकने वाली कोई बात नहीं होगी. आखिर ग्रीनलैंड नाम वाली इस जगह पर आपको कुछ भी ग्रीन नजर नहीं आएगा. जितना ही रोचक इसका नाम है उतना ही रोचक इस द्वीप का इतिहास भी है. 

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ग्रीनलैंड विश्वव का सबसे बड़ा द्वीप है. 80 प्रतिशत बर्फ से ढके इस जगह का कुल क्षेत्रफल 21.6 लाख वर्ग किलोमीटर है. यहां की आबादी सिर्फ 56 हजार के आसपास ही है. ग्रीनलैंड विश्व के सबसे कम घनत्व वाले देशों में से एक है.  इसका ज्यादातर इलाका बर्फ और ग्लेशियरों से घिरा हुआ है. उपर से देखने में भी यह पूरा सफेद दिखता है. ग्रीनलैंड एक स्वशासी देश है, हालांकि ये फिर भी डेनमार्क का हिस्सा है. भौगोलिक हिसाब से ये देश नॉर्थ अमेरिकी कॉन्टिनेंट का हिस्सा है. साल 1721 से यह देश डेनमार्क की कॉलोनी रहा है, लेकिन यह 1953 में डेनमार्क का हिस्सा बना. 

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कई इतिहासकारों का मानना है कि ग्रीनलैंड का इतिहास 4,500 साल पुराना है. यहां मनुष्य 25,00 ईसा पूर्व आए थे. माना जाता है कि यहां आने वाले लोग लंबे समय तक टिक नहीं पाते थे. 10वीं सदी में यहां नॉर्समैन आकर बसे थे, जो 15वीं तक गायब हो गए थे. वहीं यहां 13वीं सदी में एशिया ले इन्युइट आए थे, जो आज भी वहां हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक 25 लाख साल पहले ये क्षेत्र वाकई में पूरा हरा-भरा था.  

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बेहद बड़ा द्वीप होने के बाद भी ग्रीनलैंड में सड़कें और किसी भी तरह का रेलवे स्टेशन नहीं है, हालांकि यहां कुछ छोटे शहरों के अंदर सड़कें जरूर बनाई गई हैं. शहरों के बीच में यात्रा करने के लिए यहां नाव, विमान और हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल होता है.   

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ग्रीनलैंड में 25 मई से 25 जुलाई के बीच सूरज बिल्कुल भी नहीं डूबता. इस दौरान रात के समय भी सूर्य को देखा जा सकता है. मिडनाइट सन को देखने के लिए दुनियाभर से लोग यहां आते हैं. 21 जून को यहां सबसे बड़ा दिन होता है. इस दिन यहां नेशनल हॉलीडे होता है. 

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ग्रीनलैंड के नाम का भी काफी रोचक इतिहास है. नॉर्स की कुछ कथाओं के मुताबिक यहां डेनमार्क से एक आइसलैंड के खूनी को निर्वासित किया गया था. उसे एरिक दे रेड कहा जाता था. उसी ने इस इलाके को बसाया और लोगों को आकर्षित करने के लिए इस जगह का नाम आइसलैंड रख दिया.