1947 में भारत को आजादी मिली थी जिसके बाद सरोजनी नायडू को उत्तर प्रदेश का गवर्नर बनाया गया. गर्वनर बनने वाली सरोजनी देश की पहली महिला गवर्नर थी. लेकिन अचानक से 2 मार्च 1949 को ऑफिस में काम करते हुए सरोजनी जी को हार्टअटैक आया और उनका देहांत हो गया.
सरोजनी नायडू एक महान कवयित्री और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थी.
सरोजनी नायडू पहली महिला थीं, जो इंडियन नेशनल कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं.
सरोजनी नायडू की कविताओं में एक चुलबुलापन होता था जिसकी वजह से उन्हें ‘भारत की बुलबुल’ कहा जाता था.
सरोजनी नायडू ने स्वतंत्रता संग्राम में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया. गांधी जी के साथ मिलकर वह गांव-गांव में घूमी और महिलाओं को भी प्रेरित किया. सरोजनी जी ने महिलाओं के लिए काफी कुछ किया जिस वजह से उनके जन्म दिन को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है.
सरोजनी नायडू को हिंदी के अलावा उर्दू, तेलगु, इंग्लिश, बंगाली भाषाओं की जानकारी थी.
सरोजनी नायडू पढ़ने में काफी अच्छी थी और महज 12 साल की उम्र में सरोजनी ने मद्रास यूनिवर्सिटी में मैट्रिक की परीक्षा में टॉप किया था.
सरोजनी नायडू सोच से ही बगावती थीं. विदेश में पढ़ते हुए उनकी मुलाकात डॉ गोविन्द राजुलू नायडू से हुई. और 19 साल की उम्र में पढाई खत्म करने के बाद सरोजनी जी ने अपनी पसंद से 1897 में दूसरी कास्ट में शादी कर ली.
1905 में सरोजनी की कविता बुल बुले हिन्द प्रकाशित हुई. जिसके बाद सरोजनी को एक पहचान मिली और लोग जानने लगे.
सरोजनी की कविता के प्रशंसक कई महान लोग भी थे जिनमें जवाहरलाल नेहरु, रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे महान लोग शामिल थे.
1930 में जब गांधीजी को गिरफ्तार कर लिया गया था उस समय सरोजनी ने गांधीजी की जगह कमान संभाली. इतना ही नहीं 1942 में गांधीजी के भारत छोड़ो आन्दोलन में उनकी मुख्य भूमिका भी रहीं. सरोजनी भी गांधीजी के साथ 21 महीनों तक जेल में रहीं.