नई दिल्लीः कम्यूनिस्टों की फौज और वामपंथियों की भारत विरोधी सोच हमेशा एक ही राग अलापती है. इस वक्त जब चीन से लगती पहाड़ की सीमा पर तनाव बरकरार है और शनिवार को इस मसले पर बड़ी वार्ता हो रही है तो वामपंथी धड़ों ने एक बार फिर से विचारधार की उल्टी पट्टी का राग अलापना शुरू कर दिया है.


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मामला है कि एक रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एचएस पनाग ने लेख लिखकर भारत की स्थिति को कमजोर बताया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उसे जरूरी बताकर साझा किया. 


इस लेख में क्या लिखा है, यह जानने से पहले इस ओर ध्यान दिलाना जरूरी है कि लिखने वाले रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल हैं. इससे आगे की बात है कि वह अब आम आदमी पार्टी के नेता हैं. अपने लेख में उन्होंने कहा है कि 6 जून यानी शनिवार (आज) की बातचीत में चीन का पलड़ा भारी रहेगा.



इसके आगे वह यह भी बता रहे हैं कि पूर्वी लद्दाख के तीन अलग-अलग इलाकों में भारत के करीब 40 से 60 स्क्वैयर किमी जमीन पर घुसपैठ कर ली है. अब वह भारत के सामने समझौते की ऐसी शर्तें रखने की कोशिश करेगा जिसे मानना भारत के लिए आसान नहीं होगा और, अगर भारत ने शर्तें नहीं मानीं तो चीन सीमित युद्ध भी छेड़ सकता है.


आखिर विपक्ष भारत को कमजोर क्यों साबित करता है?
आप नेता पनाग ने जो लिखा, उसके लिए सवाल उठता है कि आखिर विपक्षी धड़ा हर बार वैश्विक मुद्दों में भारत की स्थिति को कमजोर साबित करने पर क्यों तुला जाता है. अगर राजनीतिक टकराव है तो वह देश के अंदर होना चाहिए. ऐसे कई मुद्दे हैं जिनमें देश के भीतर रहकर राजनीतिक आकंक्षा की पूर्ति की जा सकती है.


ध्यान रहे कि यह पहली बार नहीं है जब किसी विदेशी ताकत के सामने भारत की स्थिति कमजोर करने की कोशिश की गई है. अभी हाल ही में मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन को लेकर भी अमेरिका की ओर दबाव की बात उड़ाई गई थी. 


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राहुल गांधी ने शेयर किया पनाग का लेख
अब आते हैं राहुल गांधी की भूमिका पर. कांग्रेस नेता राहुल गांधी खुद अपनी पूर्वजों की सीट अमेठी गंवा चुके हैं और केरल के वायनाड से सांसद हैं. उन्हें इस कठिन समय में भारत की ओर से सब कुछ हारा ही हुआ लगता है. एक न्यूज वेबसाइट पर पनाग के लिखे इस आर्टिकल को राहुल गांधी ने शेयर किया है.


उन्होंने यह भी लिखा है कि 'सभी देशभक्तों को जनरल पनाग का आर्टिकल जरूर पढ़ना चाहिए.' इस लेख की एक पंक्ति भी उनके ट्वीट में शामिल है कि 'इनकार कोई समाधान नहीं है'. यानी राहुल मान चुके हैं कि इस मामले में भारत हारा ही हुआ है और कोई रास्ता नहीं है. 



सवाल है कि आखिर क्यों विपक्षी दलों का झुंड जब भी कोई देश हित की बात होती है या किसी संकट का मिल कर सामना करना होता है तो ये एकजुट होकर अलग ही राह बुनने लगते हैं. नकारात्मकता का माहौल गढ़ते हैं. ध्यान देने वाली बात है कि यह वही आम आदमी पार्टी है, जिसने लगातार कांग्रेस को ही निशाना बना-बनाकर अपनी राजनीतिक धूरी जमाई है.


कोरोना संकट के इस माहौल में जब देश सीमा पर भी तनाव झेल रहा है तो आपस में ही विरोधी यह दोनों दल गलबहियां करते दिख रहे हैं, क्यों? जाहिर है, केवल राजनीतिक स्वार्थ 


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