कांग्रेस स्थापना दिवस: जब `गांधी` ही पार्टी डुबाए तो कौन बचाए?
गांधी परिवार के तीन सदस्य सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी इस समय कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सबसे प्रभावशाली भूमिकाओं में हैं, लेकिन पार्टी में असंतोष सतह पर आ गया है और खराब प्रदर्शन का सिलसिला लगातार जारी है..
नई दिल्ली: 28 दिसंबर यानी आज कांग्रेस (Congress) अपने 136वें स्थापना दिवस के मौके पर देश भर में तिरंगा यात्रा का आयोजन कर रही है. पार्टी का सोशल मीडिया विभाग ‘सेल्फी विद तिरंगा’ अभियान चला रहा है. इसके जरिए पार्टी अपने उन कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम कर रही है जो एक के बाद एक लगातार मिलती हार से निराश हो चले हैं. गौरतलब है कि कांग्रेस आजादी के बाद के अपने सबसे कठिन दौर से गुजर रही है. पार्टी के नेता शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ अब सार्वजनिक रूप से बयानबाजी कर रहे हैं. पार्टी को लगातार दूसरे आम चुनाव में भयानक हार का सामना करना पड़ा है और गांधी परिवार का करिश्मा भी काम नहीं आ रहा है.
पार्टी की बुरी है हालत
कांग्रेस (Congress) को लगातार दो आम चुनाव में भयानक हार का सामना करना पड़ा है. 2014 के आम चुनाव में 44 लोकसभा सीटें लाने वाली पार्टी 2019 के आम चुनाव में मात्र 52 सीट ही हासिल कर सकी है. यह हार इतनी बुरी थी कि देश के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पार्टी का खाता नहीं खुल पाया है. दिल्ली, गुजरात, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, ओडिशा, त्रिपुरा, मणिपुर, मिज़ोरम, नगालैंड, सिक्किम, दमन दीव, दादर नगर हवेली और चंडीगढ़ में कांग्रेस का कोई सांसद चुनाव नहीं जीत पाया. वहीं, उत्तरप्रदेश, पुडुचेरी, ओडिशा, मेघालय, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, गोवा, बिहार, अंडमान और निकोबार जैसे 11 राज्यों में पार्टी के सिर्फ 1 सांसद ने जीत हासिल की है. देश में सिर्फ केरल इकलौता ऐसा राज्य रहा है जहां पार्टी के सांसदों की सूची दो अंको में है. पार्टी के बुरे हालात का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि राहुल गांधी परंपरागत सीट अमेठी से लोकसभा चुनाव हार गए.
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गांधी परिवार का मैजिक फेल
पिछले कई दशकों से यह आम राय थी कि कांग्रेस को गांधी परिवार (Gandhi Family) का मैजिक जीत दिला देगा लेकिन अब यह करिश्मा भी फेल होता नजर आ रहा है. पार्टी को जोड़े रखने की नेहरू गांधी परिवार की काबिलियत भी खत्म हो गई है. कांग्रेस के नेता लगातार पार्टी छोड़ रहे हैं और जो पार्टी के भीतर हैं उसमें भी बड़ी संख्या में आवाज उठा रहे हैं. हालांकि यह बात कांग्रेस के परिवार समर्थक नेताओं के अभी समझ में नहीं आ रही है. अभी नेहरू गांधी परिवार के तीन सदस्य सोनिया, राहुल और प्रियंका कांग्रेस में तीन सबसे प्रभावशाली भूमिकाओं में हैं और ठीक उसी वक्त पार्टी अपने सबसे खराब दौर में है. बता दें कि सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं. राहुल गांधी पूर्व अध्यक्ष हैं और पार्टी में नंबर दो की हैसियत से काम कर रहे हैं. वहीं, प्रियंका गांधी महासचिव हैं.
विचारहीनता है असली संकट
कांग्रेस का असल संकट विचारहीनता का है. लगातार मिल रही हार के बावजूद भी कांग्रेस में विचारधारा, संगठन और शीर्ष नेतृत्व के स्तर पर कोई खास बदलाव नहीं हो रहा है. इसके उल्ट जो लोग इस तरह के बदलाव की मांग कर रहे हैं उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है या फिर नेहरू गांधी परिवार के वफादार नेताओं द्वारा ट्रोल किया जाता है. आपको याद दिला दें कि सात अगस्त को कांग्रेस के 23 प्रमुख नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर मृतप्राय कांग्रेस को संजीवनी देने के लिए संगठन, उसकी कार्यप्रणाली और नेतृत्व में आमूलचूल परिवर्तन की मांग की थी. उसके बाद से इन नेताओं के खिलाफ ट्रोलिंग की शुरुआत हो गई. इसके बाद पार्टी कार्यकारिणी की बैठक भी हो गई लेकिन बदलाव पर कोई खास चर्चा नहीं हुई. हालत यह है कि पार्टी के पास अभी एक नियमित अध्यक्ष नहीं है. सोनिया गांधी कांग्रेस की कार्यवाहक या अंतरिम अध्यक्ष बनी हुई हैं.
अब राष्ट्रवाद का भरोसा
कांग्रेस का सबसे बड़ा संकट यह है कि वह हर जरूरी सवाल से भाग रही है. नेतृत्व का मसला सुलझाए और संगठन में बदलाव किए बिना कांग्रेस का संकट खत्म नहीं होने वाला है लेकिन पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इसे छोड़कर हर बार कुछ नया प्रयोग करने लग जा रहा है. मंदिर घूमने से लेकर हालिया तिरंगा यात्रा इसी का प्रतिफल है. बता दें कि 136वें स्थापना दिवस के मौके पर पार्टी देश भर में तिरंगा यात्रा निकाल रही है. और उसका सोशल मीडिया विभाग ‘सेल्फी विद तिरंगा’ अभियान चला रहा है. कांग्रेस के नेता एवं कार्यकर्ता फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर राष्ट्रीय ध्वज के साथ अपनी तस्वीरें या वीडियो पोस्ट कर रहे हैं.
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