Love Zihad व धर्मांतरण पर योगी सरकार सख्त, लाने जा रही है अध्यादेश
यूपी सरकार अन्य राज्यों के धर्मांतरण के खिलाफ बने कानूनों और अधिनियमों का अध्ययन कर रही है और इसके बाद धर्मांतरण को लेकर उत्तर प्रदेश का अपना कानून बनाया जाएगा. इस कदम के पीछे हाल ही में हुए `लव-जेहाद` के मामलों की एक चेन है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बीते कुछ महीनों से धर्मांतरण के कई मामले सामने आए हैं. इसके साथ ही लव जेहाद (Love Jihad) ने भी पांव पसारा है. ऐसे में योगी सरकार (Yogi Government) इस पर सख्त ऐक्शन लेने जा रही है.
सामने आया है कि राज्य सरकार जल्द ही लव जेहाद में धर्मांतरण को लेकर ठोस रणनीति के तहत अध्यादेश लाने जा रही है. इसके तहत इस तरह के मंसूबे पालने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा.
धर्मांतरण विरोधी कानून
सूत्रों के अनुसार योगी सरकार ने इस बारे में अधिकारियों को आदेश जारी कर दिया है. देश भर की परिस्थितियों पर नजर डालें तो वर्तमान में, आठ राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून हैं- अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और उत्तराखंड. 1967 में ओडिशा इस कानून को लागू करने वाला पहला राज्य बना था,
जिसके बाद 1968 में मध्यप्रदेश में यह कानून लाया गया. अब ऐसे मामले में उत्तर प्रदेश 9वां राज्य जल्दी ही बन सकता है.'
अकेले कानपुर में हैं 11 मामले
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपी सरकार अन्य राज्यों के धर्मांतरण के खिलाफ बने कानूनों और अधिनियमों का अध्ययन कर रही है और इसके बाद धर्मांतरण को लेकर उत्तर प्रदेश का अपना कानून बनाया जाएगा. इस कदम के पीछे हाल ही में हुए 'लव-जेहाद' के मामलों की एक चेन है. ऐसे 11 मामलों की जांच अकेले कानपुर जिले में की जा रही है.
हाल ही में, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagawat) ने भी कानपुर और लखनऊ प्रवास के दौरान धार्मिक रूपांतरण का मुद्दा उठाया था. उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग (UP state law commission) ने सूबे में धर्मांतरण रोकने के लिए कानून बनाने की सिफारिश की है. स्टेट लॉ कमीशन ने यूपी में धर्मांतरण को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है.
268 पेज की रिपोर्ट की तैयार
उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने रिपोर्ट में कहा कि आयोग का विचार है कि मौजूदा कानूनी प्रावधान धार्मिक रूपांतरण की जांच करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. इस गंभीर मामले पर कुछ अन्य राज्यों की तरह एक नए कानून की जरूरत है. 268 पेज की रिपोर्ट में जबरन धर्मांतरण, धर्म के अधिकार पर अंतर्राष्ट्रीय करार, पड़ोसी देशों और भारत में धर्मांतरण विरोधी कानूनों के बारे में समग्र जानकारी शामिल थी.
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