लॉकडाउन में भी `नौटंकी`! पढ़ें, कांग्रेसियों की `कोरोना करतूत` के 5 बड़े सच
कोरोना काल से पूरी दुनिया जूझ रही है. लेकिन, कांग्रेस पार्टी को लॉकडाउन में मजा नहीं आ रहा है. ऐसे में कांग्रेस जब उसे इस मुश्किल वक्त में कोई काम नहीं है, राजनीति के लिए कोई मुद्दा नहीं है... तो वो लॉकडाउन पर ही सरकार को कोसकर अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश में जुट गई है. लेकिन इस रिपोर्ट से समझिए कांग्रेसियों की करतूत के 5 असलियत...
नई दिल्ली: मुद्दा चाहें कितना भी गंभीर हो, हालात चाहें कितने भी नाजुक हों या फिर परेशानी चाहें कितनी बड़ी क्यों ना हो... कांग्रेस पार्टी अपनी आदत से मजबूर है. शहादत से लेकर सेना की शौर्य पर सवाल उठाना मानों कांग्रेस की राजनीति का अहम चैप्टर बन चुका है. तभी तो कोरोना काल में जब राजनीति के लिए कोई मुद्दा नजर नहीं आ रहा तब, कांग्रेसियों ने लॉकडाउन को कोसकर अपनी सियासत चमकाने की रणनीति बना ली है.
बुरे वक्त में दुकान चमकाने में माहिर है कांग्रेस
वो कहते हैं न 100 चूहे खाकर बिल्ली हज को चली, कांग्रेस पार्टी हर बार कुछ ऐसा कर देती है कि ये कहावत उसके उपर बिल्कुल सटीक बैठता है. इस वक्त जब पूरी दुनिया कोरोना से जूझ रही है तब, कांग्रेस पार्टी के आंखों में लॉकडाउन गड़ने लगा है. लेकिन वो कहते हैं ना जब आप सामने वाले पर एक उंगली उठाएंगे तो बाकी 4 आपकी ही ओर रहेंगी.
आपको कांग्रेस पार्टी के उस 5 मंसूबों से रूबरू करवाते हैं, जिसे वो अपने हथियार के तौर पर इस्तेमाल तो करना चाहती है लेकिन वो शायद उन मंसूबों का असल अंजाम नहीं सोच पा रही है.
कांग्रेसियों के कोरोना ड्रामा के '5 बड़े सच'
पहला सच). दोहरी राजनीति की सबसे बड़ी परिचायक है कांग्रेस
यहां सबसे पहले आपको एक बात जाननी बेहद जरूरी है. लॉकडाउन के बाद जब देशवासी घर में रहकर कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे थे, तो राहुल गांधी समेत कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं ने ये बात कही थी कि वो इस मुश्किल घड़ी में सरकार के साथ खड़े हैं. लेकिन, जब मौका इम्तिहान का आया तो कांग्रेसियों ने इसे लेकर राजनीति करनी शुरू कर दी. कांग्रेस ने सरकार पर बिना प्लानिंग के लॉकडाउन लागू करने का आरोप लगाया.
इतना ही नहीं पार्टी ने ये दावा तक कर दिया कि लॉकडाउन से हर दिन अर्थव्यवस्था को 35 हज़ार करोड़ का नुकसान हो रहा है. ये बात बिल्कुल सही है, क्योंकि ये जानकारी कांग्रेस पार्टी की अपनी नहीं है, बल्कि फिक्की ने पहले ही इस बात की जानकारी दी थी, आपको समझाएंगे लेकिन कांग्रेस ने तो ये भी कहा कि अब तक 14 करोड़ लोग बेरोज़गार हो चुके हैं.
अब हम आपको बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी कैसे दोहरी राजनीति की सबसे बड़ी परिचायक है. आपको याद होगा, आज से कुछ महीने पहले तक कैसे कांग्रेस की बेटी और बेटे (प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी) घूम-घूमकर CAA विरोधियों को ना सिर्फ उकसा रहे थे, बल्कि देश ठप कराने की सलाह दे रहे थे.
उस वक्त हर तरफ नफरत और विरोध की आग दहक रही थी, पूरे देश को शाहीन बाग में तब्दील करने की बात करने वालों की कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी हितैषी बन गई थी. लेकिन, आज कांग्रेस ये दुहाई दे रही है कि 35 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है. लेकिन, ये बात उन्हें उस वक्त नहीं याद आई जब वे सोने-चांदी की चम्मच से चटनी चाटने वाली महारानी प्रियंका गांधी घूम-घूमकर देश की आर्थिक सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने की वकालत कर रही थी.
उस वक्त उन्हें फिक्की की रिपोर्ट ज़ेहन में नहीं आई क्योंकि उस वक्त कांग्रेस की राजनीति चमकाने का वक्त था. और अब कोरोना वायरस से जब पूरी दुनिया जूझ रही है. देशवासियों की जान पर आफत बन आई है, तब कांग्रेसियों को देशवासियों की जान से अधिक कीमती देश की अर्थव्यवस्था को हो रहा नुकसान लग रही है. भला ये राजनीति का दोहरा चरित्र है या नहीं?
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दूसरा सच). भारत का विश्वगुरू बनना कांग्रेस को मुनासिब नहीं
कोरोना के खिलाफ सिर्फ हिन्दुस्तान नहीं बल्कि पूरा विश्व जंग लड़ रहा है. लेकिन, हमारा देश काफी मजबूत स्थिति में खड़ा है. देशवासियों ने हालात के गंभीरता को समझते हुए सरकार के कदम से कदम मिलाकर चलने का फैसला लिया, जिसके चलते भारत अन्य देशों की तुलना में काफी मजबूत है. भारत ने सिर्फ अपनी ही नहीं सोची बल्कि उदारता का परिचायक बनते हुए हमारे देश ने 50 से ज्यादा देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा दी. जिसके बाद हर कोई भारत के इस फैसले की प्रशंसा कर रहा है.
लेकिन, कांग्रेस पार्टी से भला ये कैसे देखा जाएगा? क्योंकि ये फैसला भारत सरकार ने किया. अब भला जब पूरी दुनिया भारत की तारीफ कर रही है तो इससे सरकार की बड़ाई हो रही है, इसी लिए कांग्रेस को बुरा लगने लगा.
इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी की आंखों में ये बात भी गड़ने लगी होगी, जो बिल गेट्स ने हमारे देश के प्रधानमंत्री को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में नंबर 1 नेता बताया था. इसके अलावा अमेरिकी एजेंसी https://morningconsult.com/ के सर्वे पीएम मोदी दुनिया के नंबर 1 नेता उभर कर आए तो भी कांग्रेस को तकलीफ तो होनी ही थी. जो अब उसकी राजनीति से दिखाई दे रहा है, मतलब साफ है कि भारत का विश्वगुरू बनना कांग्रेस को मुनासिब नहीं है.
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तीसरा सच). लॉकडाउन की सफलता नहीं देख पा रही है कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी का कहना है कि बिना प्लान देश में लॉकडाउन लागू हुआ, जिसके चलते अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है. लेकिन सवाल तो ये है कि कांग्रेस पार्टी किस प्लानिंग की बात कर रही है. क्या कांग्रेस पार्टी के अनुसार जब हालात बिगड़ रहे थे, उस वक्त नरेंद्र मोदी की सरकार को लॉकडाउन में देरी करनी चाहिए थी. यानी इससे तो ये साफ होता है कि अगर देश में ऐसी परिस्थितियों में कांग्रेस पार्टी की सरकार रहती या रहेगी, तो वो लोगों की सुरक्षा से पहले खजाने की सुरक्षा सुनिश्चित करती या करेगी.
हद है, जब पूरे देशवासियों ने इस बात को स्वीकार किया है कि लॉकडाउन ही सबसे बेहतर और कारगर कदम है. कोरोना वायरस की इस चेन को तोड़ने के लिए पूरी दुनिया में भारत, यहां की सरकार और भारत के लोगों की तारीफ हो रही है तो कांग्रेस पार्टी को ठेस पहुंच रहा है. तो क्या लॉकडाउन की सफलता को नहीं देख पा रही है कांग्रेस?
चौथा सच). राजनीति खत्म होने का सताने लगा है खौफ
लॉकडाउन में कांग्रेसियों को समझ नहीं आ रहा है कि वो क्या करें, किस मुद्दे को चमकाकर सियासी आग भड़काएं या क्या काम करें. कांग्रेस पार्टी की तकलीफ का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि किसी तरह तो पहले कांग्रेस पार्टी देश में CAA दैसे मुद्दों को भुनाकर राजनीति में वापसी करने की कोशिश में जुटी हुई थी. क्योंकि, कांग्रेस के पास फिलहाल तो कोई मुद्दा बचा नहीं है. आलोचना भी मुद्दों और तथ्यों पर होती है. बिना तथ्य के विपक्ष में रहकर मजबूर बनी रहती है.
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीच, चायवाला और पता नहीं क्या क्या बोलकर की राजनीति करना तो कांग्रेसियों की पुरानी फितरत रही है. यही वजह है कि वो देश से विलुप्त होती जा रही है. अकेली सरकार बनाने की क्षमता अब विधानसभा में भी न के बराबर है. हाल ही में उसने कर्नाटक के बाद अब मध्य प्रदेश को भी गंवा दिया है. कांग्रेस को अपने भविष्य में अंधकार दिखाई दे रहा है. जिससे बौखलाकर वो कोरोना के संकट में भी उल्टी सीधी बातें कर रही है.
पांचवां सच). लाशों पर राजनीति करनी कांग्रेस की पुरानी आदत
ऐसा हम यूं ही नहीं कह रहे हैं, ये कांग्रेस पार्टी की पुरानी आदत है. बिना मुद्दों की बात करने के अलावा कांग्रेस ने मुद्दे बहुत सारे उठाए, जैसे जब उरी अटैक हुआ तो सेना के जवानों की मौत पर राजनीति, जिसके बदले में हिन्दुस्तान के शूरवीरों ने सर्जिकल स्ट्राइक में मारे गए तो आतंकियों की लाश पर राजनीति, पुलवामा अटैक हुआ तो उसे चुनावी साजिश करार देकर फिर से सैनिकों की शहादत पर राजनीति, जब इंडियन एयरफोर्स ने एयर स्ट्राइक किया तो उसे चुनावी मास्टरस्ट्रोक कहकर सरकार को घेरने की राजनीति... लाशों पर राजनीति मानों कांग्रेस पार्टी की फितरत है.
तभी तो वो चाहती है कि लॉकडाउन का फैसला सही नहीं है. हर कोई जानता है कि अगर हमारी सरकार ने इस फैसले में ज़रा भी देर की होती तो अंजाम बहुत बुरा होता. पीएम मोदी ने कहा भी था जान है तो जहान है, अर्थव्यवस्था के नुकसान को बचाने से ज्यादा अहम हमारे भारत के एक-एक लोगों की जान कीमती है. लेकिन कांग्रेस पार्टी को तो जैसे ये बात उस वक्त समझ ही नहीं आई. तभी तो मैडम सोनिया जी को कांटे चुभने लगे. तकलीफ होने लगी. क्योंकि इस बार तो लाशों पर राजनीति हो नहीं पाई, सरकार ने वक्त रहते लॉकडाउन लागू कर दिया तो लॉकडाउन पर ही राजनीति चमकाने लगी.
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कांग्रेस पार्टी अपनी छाती पीट-पीटकर ये चिल्ला रही है कि कोरोना के खिलाफ जंग में भारत सरकार की ये कमी है, वो कमी है... लेकिन दुनिया भर के अलग-अलग देश, सर्वे और संस्था भारत के कदमों को सलाम कर रही है. लेकिन सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा के राजनीति का मकसद और उसकी असलियत हर कोई समझ रहा है. यही वजह है कि कांग्रेस ऐसी अजीब-ओ-गरीब बातें कर रही है.
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