जयपुर: मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार जाने के बाद से सभी की नजरें राजस्थान की अल्पमत की सरकार पर टिकी थी. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के लिए भी संकट खड़ा हो गया है. सचिन पायलट के गुट ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का दबाव बढ़ा दिया है. इसी सिलसिले में अशोक गहलोत से दूर सचिन पायलट दिल्ली में शीर्ष नेताओं से मुलाकात करके अपनी मांग रख रहे हैं.


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राजस्थान के दस विधायक दिल्ली में होने का अनुमान


आपको बता दें कि राजस्थान के लगभग 10 विधायक भी दिल्ली में हैं. ये विधायक कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात कर अपनी पीड़ा पार्टी अध्यक्ष को बताना चाहते हैं. बताया जा रहा है कि ये विधायक गुरुग्राम के आसपास रुके हुए हैं. सचिन पायलट के समर्थक विधायक पहले तो राहुल गांधी की बात मानकर शांत हो गए थे लेकिन उसके बाद जब सचिन पायलट को ही राज्य में दरकिनार किया जाने लगा तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर उनका पारा बढ़ गया है.


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केवल एक ही नेता हो सकता है मुख्यमंत्री- अशोक गहलोत


अशोक गहलोत ने ये कहकर विवाद और बढ़ा दिया कि मुख्यमंत्री बनने की सबकी इच्छाएं कभी पूरी नहीं की जा सकती हैं. इस पर सचिन पायलट का खेमा नाराज है.


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अशोक गहलोत ने आज फिर से दबे स्वर में स्वीकार किया कि उनके राज्य के कई नेताओं के साथ मतभेद है और राजनीतिक मतभेद कोई गलत बात नहीं है. कल अशोक गहलोत ने कहा था कि सभी नेता मुख्यमंत्री बनने का सपना देखते हैं और सभी की ये इच्छा पूरी नहीं की जा सकती है.


2018 में सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे


उल्लेखनीय है कि सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष और राज्य के उपमुख्यमंत्री है. 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की जीत के बाद वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही सीएम पद की रेस में थे, लेकिन पार्टी हाईकमान ने अशोक गहलोत को सीएम पद की जिम्मेदारी दी और सचिन पायलट को उनका डिप्टी बनाया गया. इसके बाद जब से सचिन पायलट पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने तब से अशोक गहलोत का खेमा उनके पर कतरने में लगा है.