West Bengal Election से पहले ममता `दीदी` को लग सकता है तगड़ा झटका, जानिए कैसे?
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव को लेकर इस बार ममता बनर्जी के TMC को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ सकता है. जिसकी शुरुआत आगामी 19 दिसंबर को ही हो सकती है, क्योंकि इस दिन बंगाल के दिग्गज नेता शुवेंदु अधिकारी भाजपा का दामन थाम सकते हैं..
कोलकाता: 19 दिसंबर पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक अहम तारीख साबित हो सकती है. 19 दिसंबर को गृहमंत्री अमित शाह पश्चिम बंगाल के दौरे पर होंगे और उसी दिन ममता बनर्जी ने नाराज चल रहे तृणमूल कांग्रेस के नेता शुवेंदु अधिकारी अमित शाह की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. इस ख़बर की पुष्टि अभी तक किसी ने नहीं की है, लेकिन सूत्रों के हवाले से ये जानकारी सामने आई है.
शुवेंदु अधिकारी का बीजेपी में शामिल होने की ख़बर सामने आई है, लेकिन अब ये समझिये कि शुवेंदु अधिकारी के बीजेपी में शामिल होने से बीजेपी को क्या फायदा है और टीएमसी को कितना नुकसान है?
बीजेपी को होने वाले फायदे को समझिये
शुवेंदु अधिकारी का मेदिनीपुर, झारग्राम, पुरुलिया, बांकुरा, बीरभूम, मुर्शिदाबाद और मालदा में अच्छा खासा असर है. इस इलाके की कम से कम 50 विधानसभा सीटों पर शुवेंदु अधिकारी का वर्चस्व है. लोकसभा की बात करें तो इस इलाके में तकरीबन 13 सीटें आती हैं. 2019 में बीजेपी ने यहां 9 सीटें जीत ली थी. बीजेपी के लिए लोकसभा की जीत को विधानसभा में तब्दील करना मुश्किल होता रहा है. ऐसे में शुवेंदु के अधिकारी के बीजेपी में शामिल होने पर बीजेपी को 50 विधानसभा सीटों पर बड़ा फायदा हो सकता है.
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बीजेपी को फायदे के बाद टीएमसी (TMC) को होने वाले नुकसान को समझिये. अगर शुवेंदु अधिकारी ममता बनर्जी का साथ छोड़ते हैं तो टीएमसी को बड़ा नुकसान होगा. ये हम क्यों कह रहे हैं इसे इन आंकड़ों को समझिये..
TMC को होने वाले नुकसान को समझिये
साल 2016 विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने 211 सीटें जीती थीं. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक जिन 50 सीटों पर शुवेंदु अधिकारी का असर है. उसमें तकरीबन 36 सीटें टीएमसी ने जीती थी. जिसके बाद शुवेंदु अधिकारी को लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिलाकर राज्य में परिवहन मंत्री बना दिया गया था. अब अगर शुवेंदु अधिकारी ममता बनर्जी का साथ छोड़ते हैं तो इन 50 सीटों पर ममता बनर्जी को नुकसान की आशंका है.
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शुवेंदु अधिकारी ममता बनर्जी को इतना बड़ा नुकसान कैसे पहुंचा सकते हैं. इसे समझने के लिए आपको 12 साल पीछे चलना होगा. ये 2007 का साल था. लाख कोशिशों के बाद भी ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में वामपंथी दलों को सत्ता से बाहर नहीं कर पा रही थी. तभी सिंगुर में लेफ्ट सरकार ने SEZ लगाने के लिए किसानों से ज़मीन लेना शुरू किया. जिसके खिलाफ ममता बनर्जी ने नंदीग्राम में ऐतिहासिक रैली की थी और शुवेंदु अधिकारी को इस रैली का सूत्रधार कहा जाता है. इस रैली के बाद सिंगुर और नंदीग्राम के जंगल महल वाले पूरे इलके में पार्टी के विस्तार की जिम्मेदारी शुवेंदु को दे दी गई. और फिर 2009 में लोकसभा चुनाव में टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में शानदार प्रदर्शन किया. शुवेंदु अधिकारी खुद तुमलुक से लोकसभा चुनाव जीते और 2011 में विधानसभा चुनाव जीत कर ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी.
क्यों TMC छोड़ रहे हैं शुवेंदु अधिकारी?
अब सवाल ये है कि ऐसी क्या नौबत आ गई की ममता के इतने करीबी रहे शुवेंदु अधिकारी को टीएमसी छोड़ना पड़ रहा है. इसकी वजह हैं ममता बनर्जी के भतीजे और डायमंड हार्बर से सांसद अभिषेक बनर्जी..
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टीएमसी में अभिषेक बनर्जी के बढ़ते कद से शुवेंदु अधिकारी खुश नहीं थे. और तो और पिछले दिनों से संगठन से शुवेंदु अधिकारी के कई समर्थकों को हटा दिया गया. जिसके बाद 10 नवंबर को नंदीग्राम आंदोलन दिवस पर शुवेंदु अधिकारी ने एक रैली की. इस रैली में टीएमसी के नेताओं को शामिल नहीं किया गया. ना ही ममता बनर्जी की एक भी तस्वीर लगाई गई. पूरे इलाके में बड़े बड़े बैनर लगाये गये हैं जिन पर बांग्ला में लिखा था - अमरा दादार अनुगामी यानी हम दादा के अनुयायी हैं. कई जगह तो शुवेंदु अधिकारी को 'बांग्लार महागुरु' के रूप में पेश और प्रचारित किया गया.
इतना कुछ होने के बाद अब शुवेंदु बीजेपी में शामिल होने के संकेत हैं. हांलाकि बीजेपी पहले ही कई बार शुवेंदु अधिकारी पार्टी में शामिल होने का न्योता दे चुकी है. शुवेंदु अधिकारी बीजेपी में शामिल होने टीएमसी को नुकसान तय है, लेकिन अभी इस पर साफ-साफ कोई कुछ भी नहीं बोलना चाहता है.
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शुवेंदु अधिकारी से पहले मुकुल रॉय TMC से बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. ममता सरकार में मंत्री राजीव बनर्जी भी ममता बनर्जी से नाराज हैं. अगर तृणमूल कांग्रेस में नेता ऐसे ही नाराज होते रहे और पार्टी छोड़ते रहे तो विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की मुसीबत जरूर बढ़ सकती है.
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