New Year 2021 के पहले दिन मोरों की मौत, जानिए क्या कहता है शकुन शास्त्र
सनातन परंपरा में ऋषि-मुनियों ने शकुन शास्त्र भी बताया है. शकुन शास्त्र वह ज्ञान है, जिसके जरिए प्राकृतिक संदेशों को समझकर भविष्य की शुभ-अशुभ घटने वाली घटनाओं का अनुमान लगाया जाता है.
नई दिल्लीः Year 2020 में बहुत सारे संघर्ष झेलकर अब हम New Year 2021 में हैं. नए साल की शुरुआत इस उम्मीद से हुई कि अब जो भी हो सब बेहतर हो. लेकिन साल के पहले ही दिन इस उम्मीद पर धुंधलापन आने लगा. वजह है राजस्थान से आई एक बुरी खबर, यहां के नागौर में 100 से अधिक संख्या में राष्ट्रीय पक्षी मोर की मौत हो गई.
इससे ठीक एक दिन पहले झालावाड़ में 50 कौवों की मौत हो गई थी. पक्षियों के बड़ी संख्या में इस तरह की मौत को लेकर लोगों में काफी चर्चा है. वह इसे अशुभ संकेत के तौर पर देख रहे हैं.
बीते साल भी हुई हैं ऐसी घटनाएं
हालांकि मोरों की मौत कैसे हुई यह अभी स्पष्ट नहीं है, वहीं प्रशासन ने कौवों की मौत के पीछे Bird Flu होने की आशंका जताई है. वजह जो भी हो, लेकिन लोगों में डर इस बात से भी है, क्योंकि बीते साल भी उन्होंने ऐसी कई घटनाएं देखी-सुनी हैं और 2020 का बुरा हाल रहा है,
किसी से छिपा नहीं है. कभी चमगादड़ों की मौत, कभी कौवों की तो कभी कबूतरों की और कभी गायों की अचानक और बड़ी संख्या में मौत लोगों को नकारात्मक सोचने पर भी मजबूर कर रही है.
क्या कहता है शकुन शास्त्र
सनातन परंपरा के अनुसार जो भी जीव जन्म लेता है, वह तो मृत्यु को प्राप्त होगा ही. खुद गीता में श्रीकृष्ण भी इसकी व्याख्या करते हैं. लेकिन इसी सनातन परंपरा में ऋषि-मुनियों ने शकुन शास्त्र भी बताया है. शकुन शास्त्र वह ज्ञान है, जिसके जरिए प्राकृतिक संदेशों को समझकर भविष्य की शुभ-अशुभ घटने वाली घटनाओं का अनुमान लगाया जाता है.
पशु-पक्षियों की अचानक मृत्यु पर भी शकुन शास्त्र अपना नजरिया रखता है.
किसी भी पक्षी का मरना अशुभ
शकुन शास्त्र कहता है कि कोई भी पक्षी या चिड़िया राहु से संबंधित है. अगर इनकी अचानक मृत्यु होती है तो यह राहु के अशुभ प्रभाव का कारण हो सकता है. कबूतर, मोर या कोई भी चिड़िया की मृत्यु आने वाले अशुभ का संकेत है.
इसी तरह काले रंग के कुत्ते को छोड़कर अन्य कोई कुत्ता मर जाता है तो इसे भी राहु का अशुभ प्रभाव समझना चाहिए.
पालतू पशु की मृत्यु, कुछ बुरा होने वाला है
अगर अचानक भैंस या काले रंग के कुत्ते की मौत हो जाए तो यह शनि का प्रकोप होता है. यह भविष्य के अनिष्ट का भी संकेत होता है. इस दौरान लोग आगे आने वाली यात्राओं को रोक देते हैं. घर की पालतू बिल्ली अगर मर जाए तो इसका कारण राहु का अशुभ प्रभाव भी हो सकता है.
बिल्ली का मरना प्राचीन काल से हर सभ्यता में अशुभ संकेत माना गया है. मिस्त्र, मैसोपोटामिया और सिंधु घाटी सभ्यता में भी बिल्ली के साथ शकुन-अपशकुन जुड़ा रहा है.
पालतू गाय भी देती है शुभ-अशुभ संकेत
पालतू गाय का मरना बहुत ही बड़ा अपशकुन माना जाता है. ऐसा शुक्र ग्रह के अशुभ प्रभाव देने के कारण होता है. ये भविष्य में किसी अशुभ घटना का संकेत भी हो सकता है.
फिश एक्वेरियम की मछली मर जाए तो ये चंद्रमा के अशुभ प्रभाव के कारण हो सकता है. काली मछली मरे तो समझना चाहिए कि कोई मुसीबत टल गई है.
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