नई दिल्ली.  यह बड़ा कार्यक्रम है विश्व हिन्दू परिषद का जिसे करने का लक्ष्य परिषद ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से पूर्व का रखा है. लगभग 2.75 लाख गाँवों में विश्व हिन्दू परिषद भगवान राम की प्रतिमा की स्थापना करेगी.



25 मार्च से 8 अप्रेल तक चलेगा रामोत्सव


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विश्व हिन्दू परिषद द्वारा इस कार्यक्रम का नाम रामोत्सव रखा गया है. वीएचपी ने श्री राम प्रतिमा लगाने का यह महती कार्य मात्र पंद्रह दिन में सम्पन्न करने का लक्ष्य रखा है. परिषद के कार्यकर्ता गाँव-गाँव जा कर वहां के स्थानीय लोगों की मदद से श्री राम प्रतिमाओं की स्थापना करेंगे. 


राम मंदिर की ईंटों वाले हैं ये गाँव 


ध्यान देने योग्य बात ये है कि साल 1989 में जब राम मंदिर आंदोलन की प्रारम्भि हुई थी, तब इन्हीं गांवों से मंदिर निर्माण के लिए ईंटें आईं थीं. विश्व हिन्दू परिषद शुरू से ही अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण के लिए प्र्यत्नरत रही है. अब मंदिर निर्माण के अदालती फैसले पर अपनी प्रसन्नता की अभिव्यक्ति के तौर पर वीएचपी इन पौने तीन लाख गाँवों में श्री राम प्रतिमा की स्थापना का बड़ा आयोजन कर रही है. यह आयोजन इन गाँवों को धन्यवाद स्वरुप भी है जो कि आंदोलन की शुरुआत में 1989 में इन गाँवों के विशेष सहयोग के लिए परिषद इनको देना चाहती है. 



दलित पुजारी रखने की इच्छा भी है वीएचपी की  


विश्व हिन्दू परिषद एक आदर्शवादी कार्य और भी करने जा रही है. जिस प्रकार भगवान राम ने वनवासिनी अहिल्या और शबरी का उद्धार किया था, उसी को दृष्टि में रख कर वीएचपी भगवान राम के जन्मस्थान में बनने वाले इस ऐतिहासिक राम मंदिर में एक दलित पुजारी भी रखना चाहती है. परिषद की आदर्शवादी सोच के अनुसार दलित पुजारी की नियुक्ति के माध्यम से हिन्दू समाज में सामाजिक समरसता का बड़ा संदेश जायेगा. 


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