नई दिल्ली. परम रामभक्त श्री हनुमान शक्ति के देवता भी हैं. वैसे तो उनके चित्रों में अधिकतर वे राम-दरबार में श्री राम और सीता जी के चरणों में बैठे दिखाई देते हैं या बहुधा पर्वत ले कर या श्री राम लक्ष्मण को अपने कांधों पर उठाये हुए उड़ते दृष्टिगत होते हैं. मूर्ति-रूप में वे लाल सिन्दूर लपेटे हुए लाल देह लाली लसे वाले अपने तेजस रूप में दर्शित होते हैं. किन्तु बहुत ही कम उनके रूप ऐसे देखने में आते हैं जिनमें वे पंचमुखी स्वरुप धारण किये होते हैं. मूर्तियों में तो नहीं, चित्रों में ही उनके ऐसे रूप हम कभी कभी देख पाते हैं. क्या है श्री हनुमान जी के इस पंचमुखी रूप का रहस्य?
विशेष महत्व है पंचमुखी रूप का
भक्तों के बीच कहा जाता है कि बजरंगबली के दर्शन मात्र से ही सारे दुख दूर हो जाते हैं. घर की विपदाओं को दूर करने के लिए श्री हनुमान जी का पूजन किया जाता है जिसमे अधिकतर उनकी चालीसा का पाठ होता है. वक्र दृष्टि वाले शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए भी हनुमान जी को प्रसन्न किया जाता है. लेकिन श्री हनुमान जी के पंचमुखी रूप के दर्शन का अपना अलग या कहें विशेष महत्व है.
इसके पीछे है एक पौराणिक कथा
इस पंचमुखी स्वरूप के पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है. इस कथा के परिदृश्य में लंका के राम-रावण युद्ध का समय दिखाई देता है. जिस समय दोनों सेनाओं के बीच बीच भयंकर युद्ध चल रहा था, तभी अचानक रावण को अनुभव हुआ कि अब उसकी पराजय निकट है. उसे तुरंत अपने मायावी भाई अहिरावण की याद आई. अहिरावण मूल रूप से दुर्गा मां का परम भक्त था साथ ही वह तंत्र-मंत्र का में भी निपुण था. रावण की आज्ञा से वह तुरंत युद्ध भूमि में पहुंचा और अपनी मायावी शक्ति से उसने भगवान राम की सारी सेना को गहरी नींद में सुला दिया. उसके बाद उसने बड़े आराम से श्री राम और लक्ष्मण का अपरहण किया और उनको अपने साथ पाताल लोक ले गया.
हनुमान जी ने किया मकरध्वज से युद्ध
माया का प्रभाव कम होने पर सारी सेना जाएगी और विभिषण ने सारी स्थिति पर विचार किया तो उन्हें समझ में आ गया कि हो न हो ये कार्य अहिरावण ने ही किया है. तुरंत उन्होंने श्री हनुमान जी से श्री राम और लक्ष्मण की सहायता हेतु पाताल लोक जाने को कहा. श्री हनुमान जी ने विलम्ब नहीं किया, वे तुरंत पाताल के लिए निकल पड़े. पाताल लोक के मुख्य द्वार उन्हें उनका पुत्र मकरध्वज मिला और युद्ध में जब उन्होंने उसे पराजित कर दिया तब उन्हें वहां बंधक बने श्री राम और लक्ष्मण दिखाई पड़े.
तंत्र शक्ति से बंधे पांच दीपों की चुनौती
श्री हनुमान जी बुद्धि के देवता भी हैं. बुद्धिमन्त श्री हनुमान ने श्री राम और लक्ष्मण के बन्धनस्थल केआसपास दृष्टि डाली तो उन्हें वहां पांच दीपक जलते दिखाई दिए जिनका मुख पांच अलग-अलग दिशाओं में था. ये विशेष दीपक अहिरावण ने दुर्गा मां के लिए जलाए थे. श्री हुनमान जी को स्मरण आया जो उन्हें विभीषण ने बताया था कि तंत्र शक्ति से बंधे पांच दीपक अहिरावण के प्राणो से जुड़े हैं. इन पांचों दीपकों को एक साथ बुझाने पर अहिरावण का वध सरल जाएगा.
तब धारण किया पंचमुखी रूप
बस फिर क्या था. हनुमान जी ने सोचने का भी समय नहीं लिया और पंचमुखी रूप धारण किया. इस पंचमुखी स्वरुप में उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख और पूर्व दिशा में हनुमान मुख सुशोभित हो रहे थे. इस रूप को धरकर उन्होंने वे पांचों दीपक एक साथ बुझा दिए बुझाए और फिर सामने प्रकट हुए अहिरावण का भी कामतमाम कर डाला. फिर श्री राम और लक्ष्मण को बंधनमुक्त कर वे वापस ले आये. तभी से ही हनुमान जी का पंचमुख रूप प्रचलित हुआ है जो कि विशेष परिस्थितियों में श्री हनुमान जी का स्मरण करने और उनकी कृपा पाने तथा संकट में समाधान प्राप्त करने हेतु कारगर है.
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