IPL 2023: दुनिया की सबसे मशहूर टी20 लीग आईपीएल के 16वें सीजन का आगाज 31 मार्च से गुजरात जाएंट्स और चेन्नई सुपर किंग्स के मैच के बीच से होने जा रहा है. साल 2008 में शुरू हुए इंडियन प्रीमियर लीग ने महज 15 सालों में दुनिया भर की स्पोर्ट्स लीग को पछाड़ दिया है और फिलहाल दुनिया की दूसरी सबसे महंगी और क्रिकेट की सबसे महंगी लीग बन चुकी है. इस लीग के दौरान खिलाड़ियों पर खूब पैसों की बरसात देखने को मिलती है तो वहीं पर दुनिया भर के क्रिकेटर्स इस लीग का हिस्सा बनना चाहते हैं.


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खिलाड़ियों की नीलामी पहले ही हो चुकी है और अब बस खिलाड़ी तैयारियों के लिहाज से अपनी-अपनी फ्रैंचाइजी के प्रैक्टिस कैंपेन में जुड़ रहे हैं. ऐसे में फैन्स के मन में अक्सर यह सवाल आता है कि आखिरकार आईपीएल से टीमों की किस तरह से कमाई होती है जो एक खिलाड़ी पर वो कई करोड़ रुपये खर्च कर डालते हैं. इसके जवाब में आज हम आपको आईपीएल के रिवेन्यू मॉडल समझाने की कोशिश करते हैं.


क्या है आईपीएल की कमाई का सबसे बड़ा जरिया


इंडियन प्रीमियर लीग का संचालन बीसीसीआई करती है, ऐसे में बोर्ड और लीग की कमाई का सबसे बड़ा जरिया मीडिया और उसके प्रसारण के अधिकार हैं जिसे वो बोली लगाकर चैनल्स और बाकी मीडिया यूजर्स को बेचती है. शुरुआत में इन मीडिया अधिकारों और प्रसारण अधिकारों को बेचने के बाद जो पैसा मिलता था उसका 20 प्रतिशत हिस्सा बीसीसीआई के पास जाता है तो वहीं पर 80 फीसदी टीमों को मिलता था लेकिन धीरे-धीरे यह रकम 50-50 हो गई है. फिलहाल टीवी प्रसारण के अधिकार स्टार स्पोर्ट्स तो वहीं पर डिजिटल प्रसारण के अधिकार जियो सिनेमा के पास हैं.



एडवरटाइजिंग से होती है करोड़ों की कमाई


आईपीएल में हिस्सा लेने वाली फ्रैंचाइजियां मीडिया प्रसारण के अधिकारों के अलावा कई एड कैंपेन और स्पॉन्सरशिप्स से भी पैसा कमाती हैं, जिसके तहत वो मैच में खेलने के लिये उतरने वाले खिलाड़ियों की जर्सी का स्पेस बेचती हैं. इसमें अक्सर खिलाड़ियों की टोपी,जर्सी और हेलमेट पर दिखने वाले कंपनियों के नाम अलग होते हैं और इनके LOGO का इस्तेमाल वहां करने के लिये कंपनियां खूब पैसा देती हैं. लीग के दौरान टीमें इन कंपनियों के साथ अपने प्राइम प्लेयर्स का एड शूट कराने के लिये भी काफी पैसा लेती हैं.


आईपीएल में 3 तरह से होती है टीमों की कमाई


आसान भाषा में कहें तो सभी आईपीएल टीमों की कमाई 3 हिस्से में बटी है जिसका पहला हिस्सा है सेंट्रल रिवेन्यू- इसमें मीडिया प्रसारण अधिकार और टाइटल स्पॉन्सरशिप आती है. सेंट्रल रिवेन्यू से टीमें कुल कमाई का करीब 60 से 70 फीसदी हिस्सा बटोरती हैं. वहीं पर प्रमोशनल रिवेन्यू से 20 से 30 फीसदी कमाई हो जाती है. इसके अलावा तीसरा हिस्सा लोकल रिवेन्यू होता है जिसमें टिकटों की बिक्री समेत बाकी चीजें शामिल होती हैं और इससे फ्रैंचाइजी को करीब 10 फीसदी कमाई होती है.


कुल कमाई में टिकटों की बिक्री भी देती है बड़ा योगदान


कोरोना काल के बाद आईपीएल में फिर से होम और अवे वेन्यू के फॉर्मेट की वापसी हुई है जिसके चलते हर टीम कम से कम 7 मैच अपने होम वेन्यू पर खेलती है. इसके चलते हर मैच में होने वाली टिकट बिक्री का करीब 80 प्रतिशत रिवेन्यू फ्रैंचाइजी मालिकों के पास जाता है तो वहीं पर 20 प्रतिशत हिस्सा बीसीसीआई और उस राज्य के संघ के बीच बंटता है. फ्रैंचाइजियों को टिकटों की बिक्री से काफी कमाई होती है जबकि मर्चेंडाइज और बाकी सामन बेचकर बहुत कम पैसा जनरेट होता है.


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