David Warner: ऑस्ट्रेलियाई टीम के सलामी बल्लेबाज डेविड वॉर्नर ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के सामने एक याचिका दायर की थी जिसके तहत वो खुद पर लगे आजीवन कप्तानी बैन को हटाने की मांग कर रहे थे. हालांकि बोर्ड ने जिस तरह से नियम कानून को ताक पर रखते हुए उनका मीडिया ट्रायल करने की कोशिश की उसे देखते हुए वॉर्नर ने अपनी याचिका वापस ले ली और बोर्ड के रवैये को लेकर निराशाजनक बयान दिया.


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वॉर्नर को बनाया जा रहा है बलि का बकरा


अब इस सलामी बल्लेबाज के समर्थन में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क आ गये हैं और उन्होंने देश के क्रिकेट बोर्ड पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि गेंद से छेड़खानी मामले के बाद डेविड वॉर्नर को ‘बलि का बकरा’ बनाया गया. 


उस प्रकरण के चार साल बाद वॉर्नर पर अभी भी कप्तानी को लेकर आजीवन प्रतिबंध लगा हुआ है जबकि उस मामले में वॉर्नर के समान ही दोषी रहे स्टीव स्मिथ वेस्टइंडीज के खिलाफ दिन रात के टेस्ट में कप्तानी कर रहे हैं. वॉर्नर ने नाराजगी में बुधवार को कप्तानी से आजीवन प्रतिबंध हटाने के लिये अपना आवेदन वापिस ले लिया. 


बोर्ड कर रही है दोगुला व्यव्हार


क्लार्क ने बिग स्पोटर्स ब्रेकफास्ट में कहा ,‘ वह निराश और दुखी है. वह इस बात से और भी दुखी होगा कि स्टीव स्मिथ को टेस्ट कप्तानी का मौका दिया जा रहा है. मैं उसकी निराशा समझ सकता हूं. उसे कप्तानी से वंचित कर दिया गया. बोर्ड का रवैया भी अस्थिर रहा है. यह अविश्वसनीय है कि एक के लिये कुछ और नियम और दूसरे के लिये कुछ और. अगर बोर्ड को लगता है कि दक्षिण अफ्रीका में उस मामले में शामिल सभी लोगों को कप्तानी से परे रखा जायेगा तो यह उचित होता. लेकिन वॉर्नर पर प्रतिबंध बरकरार है और स्मिथ को कप्तान बना दिया गया है या कैमरून बेनक्रॉफ्ट को भी मौका मिल जाये तो फिर वॉर्नर को क्यो नहीं. उसे बलि का बकरा बनाया गया है.’


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