Vinesh statement before olympic wrestling: महिलाओं की 50 किग्रा फ्रीस्टाइल श्रेणी में विनेश फोगाट फेवरेट नहीं थीं. ऐसा इसलिए नहीं कि उन्हें दो विश्व चैंपियनशिप, तीन राष्ट्रमंडल खेलों और आठ एशियाई चैंपियनशिप पदकों के साथ भारत की सबसे सफल महिला पहलवान होने के बावजूद अभी तक सबसे बड़े मंच पर अपनी योग्यता साबित करनी थी, बल्कि इसलिए कि पेरिस ओलंपिक 2024 में अपने पहले मुकाबले में उनका मुकाबला दुनिया की नंबर 1 और मौजूदा ओलंपिक चैंपियन युई सुसाकी से था. लोग कह रहे थे कि सुसाकी अपना अजेय क्रम जारी रखेंगी, जबकि विनेश कांस्य (Bronze) पदक जीतने के लिए लड़ेंगी.
लेकिन विनेश ने सिर्फ सुसाकी को नहीं हराया बल्कि और हजारों लाखों दर्शकों को भी आश्चर्यचकित कर दिया. उन्होंने मंगलवार को फाइनल में पहुंचने के लिए एक आसान सी दिखने वाली लड़ाई लड़ी और कुश्ती में ओलंपिक स्वर्ण के लिए लड़ने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं. लेकिन पेरिस खेलों के 11वें दिन विनेश ने जो शानदार प्रदर्शन किया, वह किसी को साबित करने के लिए नहीं था, बल्कि वह एक बड़े उद्देश्य के लिए लड़ रही थी. बता दें कि टोक्यो ओलंपिक के बाद से खासकर पिछले कुछ महीनों में उन्होंने बहुत कुछ झेला है.
टोक्यो में हारीं थीं
2021 में टोक्यो खेलों में, विनेश को 53 किग्रा वर्ग के क्वार्टर फाइनल में करारी हार का सामना करना पड़ा. बाद में उन पर कदाचार का आरोप लगाया गया और कई कथित उल्लंघनों के लिए भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) द्वारा उन्हें निलंबित कर दिया गया. मैदान के बाहर की उथल-पुथल ने उन्हें जरूर तोड़ा होगा. लेकिन विनेश ने मैदान के बाहर भी लड़ाई लड़ी और बाद में WFI प्रमुख के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया, उन पर यौन दुराचार का आरोप लगाया गया. अदालतों में लंबी लड़ाई जारी है, लेकिन अभी मामला चर्चा से बाहर है.
हालांकि, इसके बाद विनेश को ये झटका लगा कि वे 53 किग्रा वर्ग में पहलवानी करने के लिए पेरिस नहीं जा सकेंगी, क्योंकि वह विश्व चैंपियनशिप में भाग नहीं ले सकी थीं. लेकिन 29 वर्षीय बाद में क्वालीफाई करने के लिए 50 किग्रा वर्ग में उतर गईं.
बीते दिन मंगलवार को विनेश ने प्री-क्वार्टरफाइनल मुकाबले के आखिरी क्षणों में सुसाकी को चौंका दिया, जिससे गत चैंपियन को 83 मुकाबलों में पहली हार का सामना करना पड़ा और फिर क्वार्टर फाइनल में यूक्रेन की 2018 की यूरोपीय चैंपियन ओक्साना लिवाच को हराया. बाद में, उन्होंने सेमीफाइनल में क्यूबा की युस्नेलिस गुजमैन लोपेज को 5-0 से हराकर अपनी सामरिक सूझबूझ का प्रदर्शन किया और अपने तीसरे ओलंपिक में कम से कम रजत पदक (Silver Medal) पक्का किया.
लेकिन यह लड़ाई पदक की नहीं थी बल्कि यह 'पहलवानों की भावी पीढ़ी के लिए' लड़ाई है, ऐसा विनेश ने बजरंग पुनिया से कहा, जिन्होंने पूर्व WFI प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में उन 18 महीनों के दौरान उनका समर्थन किया था.
बजरंग पुनिया से विनेश ने क्या कहा?
ESPN से बात करते हुए टोक्यो खेलों में कांस्य पदक विजेता पुनिया ने खुलासा किया, 'विनेश ने मुझसे कहा- मैं पहलवानों की भावी पीढ़ी के लिए लड़ रही हूं. अपने लिए नहीं, मेरा करियर खत्म हो चुका है और यह मेरा आखिरी ओलंपिक है. मैं उन युवा महिला पहलवानों के लिए लड़ना चाहती हूं जो उनके बाद आकर लड़ेंगी ताकि वे सुरक्षित रूप से कुश्ती कर सकें. इसीलिए मैं जंतर-मंतर पर थी और इसीलिए मैं यहां हूं.' बता दें कि विनेश बुधवार को स्वर्ण पदक (Gold Medal) के लिए अमेरिकी सारा एन हिल्डेब्रांट से भिड़ेंगी.
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