Robin Uthappa Team india: पिछले लगभग एक दशक में जहां भारतीय टीम ने दुनिया भर में अपनी क्रिकेट का दबदबा बनाया है तो वहीं पर आईसीसी टूर्नामेंट में उसके प्रदर्शन ने उसे मौजूदा समय की चोकर टीम बना दिया है. भारतीय टीम ने साल 2013 में अपना आखिरी टूर्नामेंट चैम्पियन्स ट्रॉफी के रूप में जीता था जिसके बाद से वो एक भी आईसीसी खिताब नहीं जीत पाई है. इस दौरान भारत ने 8 आईसीसी टूर्नामेंट खेले हैं जिसमें दो वनडे विश्वकप, 4 टी20 विश्वकप एक चैम्पियन्स ट्रॉफी और एक टेस्ट चैम्पियनशिप शामिल है लेकिन इस दौरान वो 3 बार फाइनल और 4 बार सेमीफाइनल तक का ही सफर तय कर पाई है और खिताब का सूखा मिटा पाने में नाकाम रही है.
साल 2023 में भी भारत को आईसीसी के वनडे विश्वकप की मेजबानी करनी है तो वहीं पर टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचने की उम्मीदें बरकरार हैं. ऐसे में जहां फैन्स को उम्मीद है कि शायद दोनों में से कम से कम एक खिताब जीतकर भारत खिताब के सूखे को खत्म करेगा तो वहीं पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके भारत के पूर्व क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा ने बीसीसीआई और भारतीय टीम मैनेजमेंट पर बड़ा निशाना साधते हुए उस बात का खुलासा किया है जिसके चलते भारत बड़े टूर्नामेंट में असफल हो रहा है.
टीम में असुरक्षित महसूस करते हैं खिलाड़ी
इन दिनों इंटरनेशनल लीग टी20 में दुबई कैपिटल्स को अपनी सेवाएं दे रहे रॉबिन उथप्पा का मानना है कि भारत की नेशनल टीम में जगह को लेकर खिलाड़ियों में असुरक्षा की भावना बनी रहती है जो कि बड़े टूर्नामेंटों के अहम मैचों में टीम के लिए घातक साबित हो रही है. भारत की टी20 विश्व कप विजेता टीम (2007) का हिस्सा रहे उथप्पा ने इसको लेकर आईपीएल का उदाहरण भी दिया.
उथप्पा ने कहा , ‘मुझे लगता है कि खिलाड़ियों में टीम में अपनी जगह को लेकर सुरक्षा की भावना की कमी है. पिछले काफी समय से टीम में लगातार बदलाव हो रहे है. जब एक खिलाड़ी सुरक्षित महसूस नहीं करता तो वह हमेशा अपनी जगह बचाने की मानसिकता के साथ रहता है. इसके उलट जब वह जगह को लेकर आश्वस्त रहता है तो अपने प्रदर्शन पर बेहतर तरीके से ध्यान दे सकता है. आप आईपीएल को ही देख लीजिये, ज्यादातर बार ऐसी टीमों ने खिताब जीते है जिसने अंतिम एकादश में कम बदलाव किये है. चेन्नई (सुपर किंग्स) और मुंबई (इंडियन्स) की सफलता भी इस बात पर मुहर लगाते है. मुझे लगता है कि खिलाड़ियों में सुरक्षा की भावना देना जरूरी है. पिछले कुछ समय से भारतीय टीम में जो हो रहा उससे खिलाड़ी सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे और अहम मौकों पर उनका प्रदर्शन उभर कर नहीं आता. ’
अच्छे प्रदर्शन के बाद भी खिलाड़ी को कर दिया जाता है बाहर
भारत लिए 46 एकदिवसीय और 13 टी20 अंतरराष्ट्रीय खेलने वाले उथप्पा ने टीम मैनेजमेंट के फैसलों पर बात करते हुए उसके उस फैसले की भी आलोचना की जिसमें अच्छा प्रदर्शन करने के बाद अगले मैच में खिलाड़ियों को टीम से बाहर कर दिया जाता है. उल्लेखनीय है कि हालिया समय में कुलदीप यादव के साथ यह कई बार देखने को मिला है कि मैन ऑफ द मैच लेने के बाद अगले ही मैच में उन्हें बाहर बैठना पड़ जाता है.
उन्होंने कहा, ‘बांग्लादेश टेस्ट श्रृंखला में मैन ऑफ द मैच लेने के बाद कुलदीप को टीम से बाहर करने से बड़े स्तर पर एक अच्छा संदेश गया है. आप कुलदीप को एक बार समझा सकते है लेकिन टीम को क्या संदेश जाता है? इससे युवा खिलाड़ियों में एक गलत संदेश जाता है कि मैन ऑफ द मैच लेने के बाद भी टीम में आपकी जगह पक्की नहीं है. टीम में अंदर क्या हो रहा मुझे इसकी जानकारी नहीं है लेकिन बाहर से मुझे ऐसा ही लगता है. यह जरूर है कि हमारे पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं है लेकिन टीम में जगह को लेकर उन्हें भरोसा होना चाहिये.’
खिलाड़ियों को मिलना चाहिये विदेशी लीग में खेलने का मौका
विदेशी लीग में खेलने के लिए उथप्पा को भारतीय क्रिकेट से संन्यास लेना पड़ा लेकिन उन्हें इसका कोई मलाल नहीं है. उथप्पा ने इस लीग में अपने शुरुआती मुकाबले में 43 रन की शानदार पारी खेली थी. उनकी इस पारी से दुबई कैपिटल्स ने अबुधाबी नाइट राइडर्स को 73 रन के बड़े अंतर से हराया. उन्होंने अगले टी 20 विश्व कप (2024) की तैयारियों के लिए युवा खिलाड़ियों को कैरेबियाई प्रीमियर लीग जैसे टूर्नामेंट में खेलने की अनुमति देने की वकालत की
उन्होंने कहा, ‘मैं छह महीने में पहली बार प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलने को लेकर रोमांचित हूं. यह अच्छा टूर्नामेंट है, दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ी यहां खेल रहे है. यह (विदेशी लीग में खेलने के लिए भारतीय क्रिकेट से संन्यास) तो बीसीसीआई का नियम है , नियम हम नहीं बनाते लेकिन हमें पालन करना होता है. मुझे एक फैसला करना था तो मैंने यही फैसला किया. बीसीसीआई विश्व क्रिकेट में इतनी अच्छी स्थिति में है कि वह अपनी जरूरत के हिसाब से भारतीय खिलाड़ियों को बाहर के लीगों में खेलने का मौका दे सकता है. अगला टी20 विश्व कप वेस्टइंडीज और अमेरिका में होगा, ऐसे में कम से कम से कम युवा खिलाड़ियों को कैरेबियाई प्रीमियर लीग में खेलने का मौका दिया जा सकता है. जिससे उन्हें परिस्थितियों को परखने और दबाव की स्थिति से निपटने का कौशल आयेगा.’
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