नई दिल्लीः शुभमन गिल के सामने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला से पहले कुछ चुनौतियां थी, जिनमें फॉर्म में वापसी करना भी शामिल था क्योंकि अपनी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाने के कारण वह निराश थे. गिल के लिए भारतीय बल्लेबाजी क्रम में तीसरे नंबर पर उतरना नया अनुभव था. उन्होंने इस नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए अभी तक पांच मैच की श्रृंखला के पहले तीन मैच में 252 रन बनाए हैं जिसमें विशाखापत्तनम में खेली गई 104 रन की पारी और राजकोट में बनाए गए 91 रन भी शामिल हैं. 


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जानें क्या बोले शुभमन गिल
गिल ने बुधवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा,‘‘अपनी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाना थोड़ा मुश्किल था. जब बाहर बैठे लोग इस बारे में बात करते हैं तो मुझ पर खास प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन मैंने जो उम्मीदें खुद से लगाई थी उन पर खरा नहीं उतर पाने के कारण मैं थोड़ा निराश था.’’ उन्होंने कहा,‘‘आप निश्चित तौर पर खुद से कुछ अपेक्षाएं रखते हैं लेकिन मुझे नहीं लगता कि इससे मेरी मानसिकता बदली. मैं अब भी स्वयं से इस तरह की उम्मीदें रखता हूं. यह इस बात से जुड़ा है कि आप उन्हें कितनी जल्दी भूल पाते हैं और अगली चुनौती के लिए तैयार रहते हैं. एक बड़े खिलाड़ी और एक औसत खिलाड़ी के बीच यही अंतर होता है.’’ 


11 पारियों में नहीं लगाया था अर्धशतक
इस 24 वर्षीय खिलाड़ी ने लगातार 11 पारियों में एक भी अर्धशतक नहीं लगाया. इनमें पिछले महीने इंग्लैंड के खिलाफ खेला गया हैदराबाद टेस्ट भी शामिल है जिसमें उन्हें पहली बार पारी का आगाज करने के बजाय तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए उतरना पड़ा. गिल ने कहा कि तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करना उनके लिए अलग तरह की चुनौती थी भले ही वह घरेलू मैचों में इस नंबर पर बल्लेबाजी कर चुके थे. 


उन्होंने कहा,‘‘मैं भारत ए और रणजी ट्रॉफी के कुछ मैच में तीसरे और चौथे नंबर पर बल्लेबाजी की थी. यह ऐसा नहीं था जो मैंने पहले अपनी जिंदगी में नहीं किया हो. इसके लिए मैंने अपनी बल्लेबाजी में बहुत अधिक तकनीक बदलाव ही नहीं किये.’’ गिल ने कहा,‘‘लेकिन जब आप पारी की शुरुआत करते हो तो परिस्थितियां भिन्न होती हैं क्योंकि आपको सोचने का ज्यादा समय नहीं मिलता और टॉस के तुरंत बाद आपको बल्लेबाजी करनी होती है. आपको बल्लेबाजी में लय बनानी होती है.’’


 उन्होंने कहा,‘‘लेकिन जब आप तीसरे या चौथे नंबर पर बल्लेबाजी कर रहे होते हैं तो आपको उस समय की परिस्थितियों के अनुसार खेलना पड़ता है. अगर एक दो विकेट जल्दी गिर गए तो आपको पारी संवारनी होती है. सलामी बल्लेबाज के रूप में आप अपने हिसाब से खेलते हैं लेकिन मध्यक्रम में आपको परिस्थितियों के अनुसार खेलना होता है.


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