Suryakumar Yadav: कैसे बल्लेबाजी में इतने सफल बने सूर्या, बचपन के कोच और दोस्त ने खोला राज
Suryakumar Yadav: सूर्यकुमार यादव ने हाल ही में खत्म हुए टी20 विश्वकप में शानदार प्रदर्शन किया और दुनिया के नंबर 1 टी20 बैटर बन गये हैं. सूर्यकुमार ने भारतीय क्रिकेट में कम समय में काफी सफलता हासिल की है.
Suryakumar Yadav: मौजूदा समय में भारतीय टीम के मध्यक्रम बल्लेबाज सूर्यकुमार यादव की बल्लेबाजी की तूंती चारो तरफ बोल रही है, जिसका असर यह है कि वो जल्द ही टेस्ट क्रिकेट में भी डेब्यू कर सकते हैं. सूर्यकुमार यादव ने हाल ही में खत्म हुए टी20 विश्वकप में शानदार प्रदर्शन किया और दुनिया के नंबर 1 टी20 बैटर बन गये हैं. सूर्यकुमार ने भारतीय क्रिकेट में कम समय में काफी सफलता हासिल की है. उनके कुछ शॉट ऐसे होते हैं जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. सूर्यकुमार 32 साल की उम्र में दुनिया के नंबर एक टी20 अंतरराष्ट्रीय बल्लेबाज बने हैं और यह सफर उन्होंने काफी तेजी से तय किया.
सूर्यकुमार यादव ने जिस तेजी से ये सफर तय किया है उसे देखने के बाद कई लोग ये सोचने लगते हैं कि उनकी सफलता का राज क्या है. इसको देखते हुए उनके बचपन के कोच विनायक का कहना है कि आप भविष्यवाणी नहीं कर सकते कि सूर्यकुमार यादव टेस्ट क्रिकेट में सफल होगा या नहीं लेकिन उन्होंने कहा कि अगर मौका मिला जो यह बल्लेबाज पूरा प्रयास करेगा.
सूर्यकुमार के विकास को इन दो लोगों ने करीब से है देखा
सूर्यकुमार के परिवार के अलावा जिन दो लोगों ने उनमें आए बदलाव को करीब से देखा है वह मुंबई के पूर्व सलामी बल्लेबाज माने और राज्य की टीम में लंबे समय से उनके साथी तथा बचपन के मित्र सूफियान शेख हैं. कोच माने ने सूर्यकुमार को सबसे पहले 18 बरस की उम्र में देखा जब उन्हें मुंबई का प्रतिभावान अंडर-19 क्रिकेटर होने के लिए भारत पेट्रोलियम से 2009 में स्कॉलरशिप मिली. माने ने हालांकि सूर्यकुमार को उस समय करीब से पहचाना जब यह क्रिकेटर पारसी जिमखाना से जुड़ा जहां के प्रमुख खोदादाद एस याजदेगाडी ने भी उनकी काफी मदद की.
प्रथम श्रेणी के 54 मैच खेलने वाले माने ने कहा, ‘सूर्या जब पारसी जिमखाना आया तो मैं थोड़ा बहुत क्रिकेट खेल रहा था और कोचिंग देना शुरू ही किया था. मुंबई क्रिकेट में उसके लिए असहज समय रहा था और वह अपनी छाप छोड़ने की कोशिश कर रहा था. उसके पास शॉट में विविधता हमेशा से थी और उसे जिसने भी देखा उसे पता था कि वह भारत के लिए खेलेगा.’
ऑस्ट्रेलियाई हालात के लिये कैसे किया खुद को तैयार
सूर्यकुमार ने ऑस्ट्रेलिया के हालात के लिए कैसे तैयारी की इस पर बात करते हुए माने ने कहा, ‘इसका श्रेय खोदादाद को जाना चाहिए जिन्हें सूर्या काफी पसंद है. पारसी जिमखाना मैदान में हमने विशेष रूप से उसके लिए काफी घास वाला कड़ा विकेट तैयार किया था. मेरे शिष्यों में से एक, जो मुंबई अंडर-23 खिलाड़ी है, ओम केशकमत ने बाएं हाथ से रोबो-आर्म के साथ थ्रो-डाउन देने का काम किया. मेरे पास भी हर तरह के गेंदबाज थे जो उसे अच्छा अभ्यास दे रहे थे.’
कैसे खुद को तैयार करते हैं सूर्यकुमार
कोच विनायक माने ने आगे बताया कि सूर्यकुमार 20 मिनट बल्लेबाजी करने के बाद निर्धारित लक्ष्य के साथ ट्रेनिंग करते हैं.
माने ने कहा, ‘जहां लक्ष्य दो ओवर में 28 रन जैसा होगा वहां लक्ष्य का पीछा करना अलग होगा और अगर पहले बल्लेबाजी करते हैं तो पावरप्ले के चार से छह ओवर में 30 रन बनाने हो कहते हैं. वह अकसर कहता था कि मेरे लिए क्षेत्ररक्षण सजाओ और मुझे लक्ष्य दो, अगर मैं आउट हो गया तो आउट होकर चला जाऊंगा, वह हमेशा मैच के नजरिए से खेलता था.’
इस तरीके से लगाते हैं विकेट के पीछे शॉट
क्रिकेट प्रेमी उनके विकेट के पीछे स्ट्रोक और डीप फाइन लेग पर पिक-अप शॉट्स से मोहित हैं लेकिन माने ने उन्हें हमेशा इन शॉट्स को खेलते हुए देखा है. मुंबई के लिए रणजी ट्रॉफी और 2010 में न्यूजीलैंड में अंडर-19 विश्व कप खेलने वाले शेख ने भी एक तकनीकी पहलू पर प्रकाश डाला.
शेख ने कहा, ‘लोग गेंद का शरीर से दूर होना पसंद करते हैं ताकि वे अपने हाथ खोल सकें. सूर्या इसके विपरीत है. वह कम से कम जगह मिलने पर भी शॉट खेलता है. वह स्टंप के पीछे अविश्वसनीय शॉट खेलता है और वह दृढ़ संकल्प होता है कि गेंदबाजों को अपने शरीर पर गेंदबाजी के लिए मजबूर करे. सबसे खराब स्थिति में यह होगा कि गेंद उसे लगेगी और वह चोट उसे याद दिलाएगी कि उसे और तेज होने की जरूरत है.’
शेख ने बताया सूर्यकुमार के काम करने का तरीका
सूर्यकुमार का दिमाग कैसे काम करता है इसे लेकर उन्होंने एक और बात बताई.
शेख ने कहा, ‘जाहिर है बहुत उछाल वाली ठोस पिचों पर वह जांघ में पैड पहनता था लेकिन अहमदाबाद में इंग्लैंड के खिलाफ अपने टी20 अंतरराष्ट्रीय पदार्पण पर उसने जांघ में पैड नहीं पहना था. भारतीय पिचों पर वह वजन कम करने के लिए कई बार ऐसा करता है और जिससे उसे दो और तीन रन तेजी से भागने में मदद मिलती है.'
(न्यूज एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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