नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बाद बदलते हुए वैश्विक परिदृश्य में कंपनियों ने चीन से दूरी बनानी शुरु कर दी है. इसी सिलसिले में 24 मोबाइल कंपनियों ने चीन से अपना प्रोडक्शन प्लांट बंद करके भारत शिफ्ट करने की तैयारी में जुट गई हैं. 


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पैदा होंगे रोजगार के 10 लाख मौके
कोरोना महामारी(CoronaVirus) ने पूरी दुनिया का व्यापारिक संतुलन बदलना शुरु कर दिया है. पूरी दुनिया में चीन के खिलाफ गुस्सा है. इसकी वजह से ग्लोबल कंपनियां वहां से अपना व्यापार समेटना शुरु कर दिया है. भारत सरकार ने ऐसी कंपनियों को अपने यहां जगह देने में दिलचस्पी दिखाई है. जिसका नतीजा है कि सैमसंग(samsumg) से लेकर एप्पल(Apple) जैसी कंपनियों के एसेंबली पार्टनर्स ने अब भारत में अपना प्लांट लगाने के लिए तैयारी शुरु कर दी है. 
भारत की तरफ से कई रियायतों की घोषणा
चीन से नाराज होकर भारत का रुख करने वाली कंपनियों के लिए मोदी सरकार ने मार्च के महीने में कई तरह की घोषणा की थी. जिसकी वजह से लगभग 24 मोबाइल कंपनियों ने भारत में 1.5 अरब डॉलर निवेश करके मोबाइल यूनिट लगाने के लिए निवेश करने का समझौता किया है. इसमें सैमसंग के अतिरिक्त फॉक्सकोन, पेगाट्रॉन जैसी कई बड़ी कंपनियां शामिल हैं. 
'मेक इन इंडिया' चढ़ेगा परवान
एक्सपर्ट्स का मानना है कि मोबाइल कंपनियों द्वारा भारत में अगले 5 साल में 153 अरब डॉलर का इलेक्ट्रोनिक सामान तैयार किया जा सकता है. इस काम में 10 लाख लोग सीधे या परोक्ष रुप से जुड़ेंगे और उनकी आजीविका का प्रबंध होगा. मोबाइल कंपनियों के भारत की तरफ रुख करने से हमारे यहां 5 साल में 55 अरब डॉलर का अतिरिक्त निवेश कराया जाएगा. जिसकी वजह से देश की आर्थिक क्षमताओं में 0.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो सकती है. उम्मीद के मुताबिक अगले 5 साल में भारत में पूरी दुनिया में होने वाले मोबाइल फोन निर्माण उद्योग का 10 फीसदी भारत में आ जाएगा. 




अर्थव्यवस्था में बढ़ेगा मैन्यूफैक्चरिंग का योगदान
मोबाइल कंपनियों के भारत आने से भारतीय अर्थव्यवस्था(Indian Economy) में मैन्यूफैक्चरिंग का हिस्सा वर्तमान 15 फीसदी से बढ़कर एक चौथाई यानी 25 फीसदी हो जाएगा. सरकार ने कंपनियों को भारत में आकर्षित करने के लिए पहले ही कॉरपोरेट टैक्स में कमी की है. 
हालांकि मोबाइल कंपनियां अभी भी भारत से ज्यादा वियतनाम, कंबोडिया, म्यांमार, बांग्लादेश और थाईलैण्ड जैसे देशों को मैन्यूफैक्चरिंग हब के तौर पर पसंद कर रही हैं. लेकिन भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की वजह से भारत में भी उद्योगों के शिफ्ट होने का सिलसिला अब शुरु हो गया है. क्योंकि चीन पूरी दुनिया में बदनाम हो चुका है. 


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