नई दिल्ली: पूरी दुनिया कोरोना के चक्रव्यूह में फंसकर हाहाकार कर रही है. चीन, यूरोप और अब अमेरिका. हर तरफ लाशों के ढेर लगते जा रहे हैं. लेकिन भारत आकर कोरोना खुद ही लाचार होता हुआ दिख रहा है. देखिए ये अहम संकेत - 


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1. कोरोना भारत में औंधे मुंह गिरा  
अब ये बात आंकड़ों के आधार पर साबित हो गई है कि भारत में कोरोना की गति मंद पड़ रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय(Ministry of health) के वरिष्ठ अधिकारी लव अग्रवाल 
ने प्रेस कांफ्रेन्स करके जानकारी दी है कि भारत में टेस्टिंग बढ़ाने के बावजूद भी कोरोना वायरस(Corona Virus) के केस बढ़ने में 40 फीसदी की कमी देखी जा रही है. 



ये कमी 1 अप्रैल से दर्ज की जा रही है. जो कि फिलहाल 1.2 के आंकड़े पर है. जबकि पहले यानी 15 से 31 मार्च तक यह लगभग दोगुना यानी 2.1 के आंकड़े पर था. 


लॉकडाउन(Lock Down) से पहले तीन ही दिन में कोरोना वायरस के मामले दोगुनी गति से बढ़ जा रहे थे. लेकिन पिछले 7 दिनों के आंकड़ों पर नजर डाला जाए तो कोरोना के मामले दोगुना होने में औसतन 6.2 दिन का समय लग रहा है. यानी कोरोना के प्रसार की गति आधी रह गई है. 



देश में अब तक कोरोना के 3,19,400 टेस्ट(Corona Test) हुए हैं. जिसके मुताबिक शनिवार को 12 घंटों में कोरोना के 543 नए मामले सामने आए, जो उससे पिछले दिन के 628 मामलों से कम हैं. ये कोरोना के प्रसार में बड़ी गिरावट है. 



2. प्रति 10 लाख में सबसे कम संक्रमण और मौतें भारत में 
भारत की कुल जनसंख्या के हिसाब से यहां प्रति 10 लाख की आबादी में कोरोना के सिर्फ 9 मरीज पाए गए हैं. जो कि पूरी दुनिया में सबसे कम हैं. क्योंकि 
कोरोना प्रभावित बाकी देशों में प्रति 10 लाख की आबादी में अमेरिका(America) में 1,946 मरीज हैं,  इटली(Italy) में 2,732, फ्रांस(France) में 2,265 और स्पेन(Spain) में सर्वाधिक 3,864 मरीज हैं.


केवल यही नहीं प्रति 10 लाख की जनसंख्या के हिसाब से भारत में मौतों की संख्या भी बेहद कम है. भारत में प्रति 10 लाख लोगों में औसतन 0.3 लोगों की मौत हुई है. जबकि प्रति 10 लाख की आबादी पर फ्रांस में 263, इटली में 358 और स्पेन में कोरोना से 402 लोगों की मौतें हुई हैं.


यही नहीं भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना के 80 फीसदी संक्रमित मरीज ठीक भी हो जा रहे हैं. 


इससे संबंधित विस्तृत रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं 



3. भारत में घुसने के बाद कमजोर हो गया कोरोना
इस बात के भी संकेत मिले हैं कि भारतीय धरती पर प्रवेश करने के बाद कोरोना वायरस खुद भी कमजोर पड़ गया है. पद्मभूषण से सम्मानित और एशियाई 
गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष प्रतिष्ठित डॉ. डी.नागेश्वर रेड्डी ने जानकारी दी है कि भारत में घुसने के बाद कोरोना में बदलाव आए हैं. 



डॉ. राव ने बताया कि कोरोना वायरस के उपर एस-प्रोटीन की एक परत होती है. जिसपर कांटेदार हुक(spike) बने होते हैं. जिनके जरिए कोरोना वायरस किसी भी सतह से खुद को चिपका लेता है और संक्रमण फैलाने के लिए सही समय का इंतजार करता है. 


लेकिन डॉ. नागेश्वर रेड्डी के मुताबिक भारत आने के बाद कोरोना वायरस के जीनोम स्ट्रक्चर में म्यूटेशन(बदलाव) आया है. जिसकी वजह से उसके कांटेदार हुक यानी स्पाइक कमजोर पड़ गए हैं. इससे उसके चिपकने की क्षमता घट गई है और उसका प्रसार कम हो गया है. 



हालांकि यही कोरोना वायरस ने जब चीन से इटली में प्रवेश किया तो उसमें तीन म्यूटेशन(बदलाव) हुए. लेकिन ये बदलाव मनुष्य के लिए ज्यादा घातक साबित हुए. लेकिन भारतीय मिट्टी पर आकर कोरोना वायरस कमजोर पड़ गया.  


अभी तक के वैज्ञानिक शोध से मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना वायरस में 29,903 न्यूक्लियस बेस होते हैं, जिनमें स्थानीय जलवायु(Environment) और परिस्थितियों के मुताबिक परिवर्तन आते हैं. भारत आने के बाद इसमें जो परिवर्तन हुए उसने कोरोना वायरस की मारक क्षमता को कम कर दिया. 


डॉ. नागेश्वर रेड्डी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत पहुंचा कोरोना वायरस की उम्र मात्र एक हफ्ते की ही रह गई है.


कोरोना वायरस पर डॉ. रेड्डी का अंग्रेजी में इंटव्यू सुनने के लिए यहां क्लिक करें



4. भारतीयों के खून में है कोरोना वायरस को टक्कर देने की क्षमता
कोरोना वायरस भारत तो आ गया. लेकिन उसे नहीं पता था कि भारतीय लोगों ने उस जैसे पता नहीं कितने इंसानियत के दुश्मनों को निगल कर पचा लिया 
है.  



नई दिल्ली स्थित इंटरनेशनल सेन्टर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी(International center for genetic engineering and biotechnology) के वैज्ञानिक डॉ. दिनेश गुप्ता और उनकी टीम ने अपने शोध में पाया कि भारतीय लोगों के खून में hsa-miR-27b(एचएसए-एमआइआर-27-बी) नाम का एक बेहद खास माइक्रो RNA(राइबो न्यूक्लिक एसिड) मौजूद है. जो कि कोरोना वायरस को टक्कर दे रहा है. 



ये खासियत दुनिया के किसी और देश के नागरिकों के खून में नहीं पाई जाती है. खास बात ये है कि कि कोरोना वायरस भी एक तरह का RNA(राइबो न्यूक्लिक एसिड) ही है. लेकिन इसकी काट यानी एंटीबॉडी भारतीयों के शरीर में पहले से ही मौजूद है.



hsa-miR-27b के संपर्क में आने के बाद कोरोना वायरस के जीनोम में बदलाव आने लगता है. जिससे वह कुंद पड़ने लगता है. 


डॉ. दिनेश गुप्ता की टीम ने अपने चार सदस्यों की टीम के साथ दुनिया के पांच देशों भारत, इटली, अमेरिका, नेपाल और चीन के मरीजों पर स्टडी की और यह परिणाम हासिल किया. उनका यह रिसर्च पेपर 21 मार्च को ऑनलाइन जर्नल में प्रकाशित हुआ था.  



नई दिल्ली स्थित इंटरनेशनल सेन्टर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. दिनेश गुप्ता और उनकी टीम का पूरा शोधपत्र आप यहां क्लिक करके देख सकते हैं. 


 


5. कोरोना से लड़कर जीत रहे हैं भारतीय 
भारतीय लोगों में कोरोना से लड़ने की विशेष क्षमता है. ये बात साबित भी हो गई है. जब चीन के वुहान शहर में कोरोना फैला हुआ था. तो वहां से कई 
लोगों को एयरलिफ्ट(Airlift) करके भारत लाया गया. लेकिन इसमें से किसी पर भी कोरोना का घातक असर नहीं दिखा. कुछ लोगों में मामूली संक्रमण था. लेकिन वो भी इलाज के बाद ठीक हो गए. 


इसी तरह इटली के 18 नागरिक जब राजस्थान(Rajasthan) में घूमने आए थे तो वह 150 से ज्यादा लोगों के संपर्क में आए. लेकिन उनके बीच बैठकर लगातार गाड़ी चलाने वाले ड्राईवर के अलावा कोई भी संक्रमित नहीं हुआ.


कोरोना से बर्बाद हुए ईरान(Iran) से लाए गए लोगों राजस्थान के जैसलमेर में रखा गया. लेकिन ये लोग भी कोरोना के संक्रमण से बचे रहे. 


उसी तरह बेबी डॉल सिंगर कनिका कपूर(Kanika kapoor) के संपर्क में उत्तर प्रदेश के लगभग 70 लोग संपर्क में आए थे. लेकिन इसमें से किसी को घातक कोरोना संक्रमण नहीं हुआ.   



कोरोना वायरस से संक्रमित भारतीयों के लगातार ठीक होने और मृत्यु दर के न्यूनतम होने से वैज्ञानिकों की यह बात साबित हो जाती है कि कोरोना वायरस भारतीय जमीन पर दम तोड़ रहा है. 


हम लोग अगर अपने सबसे बड़े हितचिंतक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी(PM Modi) के निर्देशों के मुताबिक अगर पूरी तरह लॉकडाउन बनाए रखते हैं तो कोरोना वायरस  भारतीय जमीन से पूरी तरह खत्म हो जाएगा. 


घर में रहें सुरक्षित रहें. 


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