नई दिल्ली: दिल्ली में ओल्ड राजेंद्र नगर के एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से 3 छात्रों की मौत हो गई. ये सभी छात्र UPSC की तैयारी कर रहे थे. इस हादसे के बाद से ही छात्र-छात्राएं सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. आजकल लोग घर या किसी भी तरह का मकान बनाने से पहले एक बेसमेंट बनाते हैं. कई लोग बेसमेंट में छोटी-मोटी दुकानें और ढाबा भी चलाते हैं. बता दें कि घर के नीचे बेसमेंट बनाना किसी खतरे से खाली नहीं है. बरसात में इसमें पानी भरने के अलावा यह अन्य मुसीबतों को भी न्यौता देता है.
बेसमेंट के नुकसान
'इन्वार्मेंटल हेल्थ साइंसेज सेंटर' में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक बेसमेंट में कई तरह के टॉक्सिक केमिकल्स होते हैं. वहां की एयर क्वालिटी भी काफी खराब होती है, जिससे आग लगने का खतरा काफी रहता है. बेसमेंट में मौजूद जहरीली गैस आपके घर के सभी कमरों को प्रभावित कर सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक बेसमेंट में कार्बन मोनोऑक्साइड और रोडॉन जैसे दो खतरनाक केमिकल होते हैं, जिनका कुछ उपकरणों से ही पता लगाया जा सकता है.
क्या है कार्बन मोनोऑक्साइड?
कार्बन मोनोऑक्साइड एक गंधहीन और रंगहीन जहरीली गैस है. आमतौर पर यह लकड़ी जलाने, कोयला और गैस के जरिए उत्पन्न होती है. कार्बन मोनोऑक्साइड के लगातार संपर्क में आने से व्यक्ति को थकान, बीमारी और बेहोशी होने लगती है. इतना ही नहीं ये गैस किसी व्यक्ति की मौत का कारण भी बन सकता है.
क्या है रेडॉन गैस?
कार्बन मोनोऑक्साइड की तरह रेडॉन भी गंधहीन और रंगहीन रेडियोएक्टिव गैस होती है. ये गैस आमतौर पर प्राकृतिक रूप से घर के नीचे की चट्टानों से मिलती है. ये टूटी-फूटी और गंदगी भरे फर्शों के जरिए दीवारों पर प्रवेश करते हुए पूरे क्षेत्र में फैलती है. सिगरेट के धुएं के बाद रेडॉन फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है.
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