Depression: कोरोना वायरस की महामारी के चलते पिछले 2 सालों में लोगों को अपने घर पर बंद रहने पर मजबूर होना पड़ा जिसके बाद एक बहुत बड़ी समस्या जिसने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है वो है मेंटल हेल्थ. मौजूदा समय में मेंटल हेल्थ की समस्या बहुत बड़ी है और लाखों लोग टेंशन, डिप्रेशन और बाकी की मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं. 


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एक तिहाई लोग हैं मेंटल प्रॉब्लम्स का शिकार


एक स्टडी के अनुसार ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली आधी जनसंख्या अपने जीवनकाल के आधे समय में मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्या का सामना करती है. ऐसे में मेंटल हेल्थ की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति और उससे जुड़े समाज को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है. इतना ही नहीं डिप्रेशन और टेंशन का असर शरीर के बाकी हिस्सों पर भी पड़ता है और पीड़ित व्यक्ति अक्सर किसी न किसी बीमारी से ग्रसित हो जाता है.


कोरोना वायरस के बाद बढ़ी है मेंटल हेल्थ की समस्या


कोरोना वायरस के आने के बाद मानसिक समस्या से जूझ रहे लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है और मौजूदा समय में एक तिहाई लोग इससे ग्रसित हैं. ऐसे में डिप्रेशन का शिकार लोगों को तुरंत ही डॉक्टर के परामर्श पर दवाई और काउंसलिंग जरूर करानी चाहिये. हालांकि पारंपरिक तरीकों के अलावा भी मेंटल हेल्थ को कंट्रोल किया जा सकता है और इसमें सबसे बड़ा योगदान एक्सरसाइज दे सकती है.


एक्सरसाइज से मिलता है लोगों को फायदा


ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में पब्लिश किये गये हालिया रिसर्च में इस बात का जिक्र है कि कैसे एक्सरसाइज करने से टेंशन, डिप्रेशन और साइकोलॉजिकल प्रॉबल्म्स से बचा जा सकता है. इस रिसर्च में 1000 से ज्यादा सैंपल कलेक्ट किये गये हैं और बताया है कि दवाई और काउंसलिंग से ज्यादा प्रभावी एक्सरसाइज हो सकती है.


रिसर्च में साफ किया है कि 1039 टेस्ट और 128,119 प्रतिभागियों पर रिसर्च करने के बाद पाया गया है कि अगर कोई व्यक्ति हर हफ्ते 150 मिनट एक्सरसाइज (जैसे तेज चलना, वजन उठाना और योग करना) करता है तो वो डिप्रेशन, टेंशन और साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम्स की बीमारियों से दवा खाने वाले लोगों की तुलना में काफी कम बीमार होता है. इसका सबसे ज्यादा असर टेंशन, एचआईवी, गुर्दे की बीमारी, प्रग्नेंसी और प्रग्नेंसी के बाद वाली महिलाओं और स्वस्थ व्यक्तियों में देखा गया है.


मेडिकेशन और काउंसलिंग से 1.5 गुना ज्यादा प्रभावी


रिसर्च में दावा किया गया है कि एक्सरसाइज की स्पीड जितनी ज्यादा होती है उतना ही उसमें लाभ देखने को मिलता है. इतना ही नहीं 6 से 12 हफ्तों तक रेगुलर एक्सरसाइज करने वालों को ज्यादा आराम मिलता है. रिसर्च के अनुसार थेरेपी और दवाइयों की तुलना में एक्सरसाइज से लगभग 1.5 गुना ज्यादा फायदेमंद साबित होता है.


जानें कैसे करता है ये काम


रिसर्च के अनुसार एक्सरसाइज के तुरंत बाद, दिमाग में एंडोर्फिन और डोपामाइन तेजी से फैलता है और बहुत कम समय में मूड को अच्छा करने में मदद करता है. इससे तनाव भी कम होता है. वहीं लंबे समय तक, एक्सरसाइज के बाद न्यूरोट्रांसमीटर के रिलीज होने से मस्तिष्क में बदलाव को बढ़ावा मिलता है जो न सिर्फ मूड को बेहतर करता है बल्कि सोच में बदलाव कर चीजों को महसूस करने में भी मदद करता है.रेगुलर एक्सरसाइज से नींद में सुधार हो सकता है, जो कि डिप्रेशन और टेंशन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.


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