कुछ सालों में इंसान के उग आएंगे पंख और एक्स्ट्रा हाथ, जानें क्यों एक्सपर्ट्स ने की ये भविष्यवाणी

Human Evolution: मानव का मौजूदा स्वरूप कई सदियों के विकास के बाद मिला है, विज्ञान इसका साक्षी है कि कैसे पृथ्वी पर जीवन की रचना हुई और लाखों जीवों के साल दर साल विकास के बाद इंसान अस्तित्व में आये. इंसानों की कल्पना ने हमेशा उसे कुछ नया करने के लिये प्रेरित किया और उसी का नतीजा है मौजूदा समय में मिलने वाली आधुनिक सुविधाएं,

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 21, 2023, 12:18 PM IST
  • कुछ दशकों में आदमी उगा सकेगा पंख और एक्सट्रा हाथ
  • हकीकत में बदलती नजर आएगी मानव कल्पना
कुछ सालों में इंसान के उग आएंगे पंख और एक्स्ट्रा हाथ, जानें क्यों एक्सपर्ट्स ने की ये भविष्यवाणी

Human Evolution: मानव का मौजूदा स्वरूप कई सदियों के विकास के बाद मिला है, विज्ञान इसका साक्षी है कि कैसे पृथ्वी पर जीवन की रचना हुई और लाखों जीवों के साल दर साल विकास के बाद इंसान अस्तित्व में आये. इंसानों की कल्पना ने हमेशा उसे कुछ नया करने के लिये प्रेरित किया और उसी का नतीजा है मौजूदा समय में मिलने वाली आधुनिक सुविधाएं, हालांकि अभी भी मानव अपने इवॉल्यूशन की ओर ही बढ़ रहा है. इस फेहरिस्त में एक ऐसी रिपोर्ट आई है जो आने वाले समय में मनुष्य की कल्पनाओं को नये पंख दे देगी.

कुछ दशकों में आदमी उगा सकेगा पंख और एक्सट्रा हाथ

ये पंख वैचारिक नहीं है बल्कि असली वाले हैं, जी हां, भले ही आज तक इंसानों के लिये अपने शरीर में पंखों का होना, अतिरिक्त हाथ या अंगों का होना सिर्फ एक कल्पना थी लेकिन कुछ दशकों में यह कल्पना सच्चाई में बदल सकती है और इसका बड़ा कारण है मानव विकास (Human Augmentation). खोजकर्ताओं ने पहले ही एक तीसरा अंगूठा बना लिया है जो कि पैरों की मूवमेंट से कंट्रोल किया जा सकता है और विशेषज्ञों का मानना है कि ये मानव विकास की कड़ी में महज एक छोटा कदम है.

हकीकत में बदलती नजर आएगी मानव कल्पना

आने वाले समय में मानव शरीर में कई ड्रामेटिक बदलाव देखने को मिल सकते हैं. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में कॉगनिटिव न्यूरोसाइंस के प्रोफेसर तमर माकिन का कहना है कि मानव दिमाग के पास अतिरिक्त अंगों को कंट्रोल करने की अद्भुत क्षमता है. हालांकि बड़े स्तर पर अतिरिक्त अंगों का विकास अपनी समस्याओं के साथ आता है. सवाल यह है कि आप शरीर के उस अंग को कैसे कंट्रोल करेंगे जो कि आपके पास पहले कभी था ही नहीं. जब यह काम तकनीक या सबस्टिट्यूट के रूप में होता है तो प्रोस्थेटिक अंग तो उनका उद्देश्य साफ होता है और वो वही काम करते हैं लेकिन संवर्धन के मामले में आपको अपने शरीर का पूरा इस्तेमाल करना है और साथ ही उस अतिरिक्त अंग का भी जो आपको मिल रहा है.’

पंख बनाने से ज्यादा इस बात की है दिक्कत

प्रोफेसर ने आगे बात करते हुए कहा कि हम संसाधनों के बंटवारे की समस्या को लेकर भी चिंतित हैं कि क्या हम किसी और के संसाधनों को चोरी कर किसी और को तो नहीं दे रहे जैसे कि हम किसी को हाथ देने के लिये किसी के पैर काट रहे हों? इस दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या इंसानों के इस्तेमाल के लिये पंखों और अतिरिक्त हाथों को डिजाइन किया जा सकता है तो प्रोफेसर माकिन ने कहा कि तकनीकी नजरिए से कहूं तो यह संभव है. हमारे पास तकनीक मौजूद है बस हमें उन्हें मापने की दरकार है.

उन्होंने कहा,’ऐसी चीजों से निपटने के लिये हमारे पास तकनीकी चुनौतियां हैं जैसे कि यह पहनने लायक, आरामदायक होना चाहिए. इसे हम भारी नहीं बना सकते और न ही इसे इलेक्ट्रिक सॉकेट में लगाने की जरूरत होनी चाहिए. असल चुनौती कंट्रोल है, तो क्योंकि पंख मिलना आसान है क्योंकि इसमें एक ही दिशा में काम करना है ऊपर या नीचे, लेकिन जो चीज मुश्किल है वो है टेंटेक्ल, हमें उसके लिये बहुत ज्यादा कंट्रोल चाहिए. जैसे कि अगर आप टेंटेक्ल की मदद से दूर पड़ी कॉफी उठाना चाहते हैं तो आपको बहुत ज्यादा ध्यान लगाने की जरूरत है क्योंकि यह बहुत मुश्किल काम है. ऐसे में आपको खड़ा होकर उठाना ज्यादा आसान लगेगा.’

जानें क्या रहा था तीसरे अंगूठे की खोज का नतीजा

यूनिवर्सिटी में उनके साथ काम करने वाली डैनी क्लॉड ने ही तीसरे अंगूठे की खोज की है जिसे साल 2017 में दुनिया के सामने लाया गया था. इस रोबिटिक 3 डी प्रिंटेड अंगूठे को असली अंगूठे के बगल में पहना जाता है. इसे पहनने वाला पैर में जुड़े हुए प्रेशर सेंशर का इस्तेमाल कर एक वायरलेस कनेक्शन बनाता है और फिर आप उस अंगूठे का इस्तेमाल कर सकते हैं. अपनी स्टडी के लिए डैनी क्लॉड ने 20 प्रतिभागियों को 5 दिन के अंदर ट्रेन किया जिसमें कई सारी गेंद को उठाना और एक हाथ में ज्यादा वाइन ग्लास पकड़ना. ये प्रतिभागी बहुत जल्दी ही इस अतिरिक्त अंगूठे के आदी हो गये और जल्द ही बिना देखे इसे कंट्रोल करने लगे. साइंस रोबोटिक्स जनरल में लिखते हुए उन्होंने साफ किया है कि टीम और उसके प्रतिभागियों को ज्यादा इस्तेमाल के बाद यही अहसास होने लगा कि वो तीसरा अंगूठा उनके शरीर का ही हिस्सा है.

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