नई दिल्ली: केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति ने सीएनजी (परिवहन) और पीएनजी (घरेलू खाना पकाने) की श्रेणी में शहरी गैस वितरण क्षेत्र में कंप्रेस बायो-गैस (सीबीजी) के चरण-वार अनिवार्य मिश्रण की शुरुआत की घोषणा की है. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शनिवार को कहा कि इस फैसले से लगभग 37,500 करोड़ रुपये के निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और 2028-29 तक 750 सीबीजी परियोजनाओं की स्थापना संभव होगी.


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मुख्य उद्देश्य सीबीजी की मांग को प्रोत्साहित करना है जिससे महंगी तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के आयात में कमी आएगी और शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करते हुए विदेशी मुद्रा की बचत होगी. यह निर्णय लिया गया है कि सीबीजी सम्मिश्रण दायित्व वित्तीय वर्ष 2024-2025 तक स्वैच्छिक होगा और अनिवार्य सम्मिश्रण दायित्व 2025-26 से शुरू होगा.


वित्त वर्ष 2025-26, 2026-27 और 2027-28 के लिए सीबीजी मिश्रण दायित्व कुल सीएनजी/पीएनजी खपत का क्रमशः एक प्रतिशत, तीन प्रतिशत और चार प्रतिशत रखा जाएगा. वर्ष 2028-29 से सीबीजी मिश्रण दायित्व पाँच प्रतिशत होगा.


एक केंद्रीय भंडार निकाय (सीआरबी) पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री द्वारा अनुमोदित परिचालन दिशानिर्देशों के आधार पर सम्मिश्रण अधिदेश की निगरानी और कार्यान्वयन करेगा.


मक्का से इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सभी हितधारकों, विशेषकर कृषि विभाग और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के साथ आने वाले वर्षों में इसे एक प्रमुख फीडस्टॉक बनाने पर भी चर्चा हुई। चर्चा की गई कि पिछले कुछ वर्षों में मक्के की खेती का क्षेत्रफल, प्रति हेक्टेयर उपज और उत्पादन में वृद्धि हुई है.


कृषि विभाग और डीएफपीडी के परामर्श से इस मंत्रालय द्वारा उच्च स्टार्च उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने, एफ्लाटॉक्सिन को हटाकर मक्का डीडीजीएस (सूखे डिस्टिलर्स ग्रेन सॉलिड्स) की गुणवत्ता में सुधार करने, उच्च स्टार्च के साथ नई बीज किस्मों के तेजी से पंजीकरण के लिए काम शुरू किया गया है.


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