नई दिल्ली: कोरोना महामारी के कारण विश्व की लगभग सभी अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हुई हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी कोरोना महामारी का बहुत बुरा प्रभाव देखने को मिला है. 


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मंदी की मार झेलने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने आखिरी तिमाही में अच्छा प्रदर्शन किया है.


अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 12.6 प्रतिशत रहेगी. इस लिहाज से भारतीय अर्थव्यवस्था साल 2021 में विश्व की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगी. 


अर्थव्यवस्था में गिरावट का अनुमान


OECD के अनुमान के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.4 प्रतिशत की गिरावट के आएगी. दिसंबर से पहले की दो तिमाहियों में भारतीय अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट दर्ज की गई थी.


इन दो तिमाहियों में भारतीय अर्थव्यवस्था के नकारात्मक रहने के बाद दिसंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था सकारात्मक रही. 


दिसंबर तिमाही में जब भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही थी, उसी दौरान विश्व के कई देशों में कोरोना का नया स्ट्रेन सामने आने के बाद लॉकडाउन की स्थिति पैदा हो गई थी. 



कोरोना का नया स्ट्रेन सामने आने के बाद विश्व के कई बड़े देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई. इस दौरान भारत, चीन और तुर्की जैसे देश ही अपनी अर्थव्यवस्था की गति को बनाए रखने में कामयाब रहे. 


इन सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए ही OECD ने अनुमान लगाया है कि साल 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगी.


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तीसरी तिमाही में धनात्मक रही अर्थव्यवस्था


लगातार दो तिमाहियों तक जीडीपी नकारात्मक रहने के बाद अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की जीडीपी में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. 


इससे पहले वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 24 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी. वहीं दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भी 7.5 प्रतिशत की गिरावट की गई थी.


वैक्सीन वितरण से प्रभावित हुई वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं


कोरोना काल में विश्व के कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हुईं हैं. कोरोना वैक्सीन के इजाद होने के बाद से कई देश की अर्थव्यवस्थाओं में सुधार देखा गया है. 


हालांकि विश्व के सभी देशों में कोरोना वैक्सीन का वितरण सामान रूप से नहीं हो रहा है, जिस कारण अर्थव्यवस्था में सुधार भी समान गति से नहीं हो रहा है. 


OECD ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बाजार में महंगाई बढ़ रही है, लेकिन इसके बावजूद भी अर्थव्यवस्था में रिकवरी होने की पूरी संभावना है. 


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