नई दिल्ली. मुगलकालीन भारत मे शक्तिशाली राजाओं और उस दौरान बनाई गई ऐतिहासिक इमारतों समेत कई बातों पर अब भी चर्चा होती रहती है. यही नहीं मुगलकाल में राजाओं के युद्ध समेत हरम पर भी खूब लिखा-पढ़ा गया है. लेकिन हरम में रह रही महिलाओं के साजोश्रृंगार पर चर्चा कम ही देखने को मिलती है. कहते हैं कि अकबर के हरम में कई हजार महिलाएं रहती थीं. तो हजारों की संख्या के बीच इन महिलाओं को सजने संवरने का मौका कैसे मिलता था? या फिर मुगल महारानियां किन ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती थीं? 


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मुगलकालीन महिलाओं के श्रृंगार की बात करें तो आज के समय जैसे प्रोडक्ट उस समय नहीं होते थे लेकिन उद्देश्य एक जैसा ही होता था. खूबसूरती को फेयरनेस यानी गोरेपन से जोड़कर देखा जाता था. संजने-संवरने के लिए ज्यादातर नेचुरल प्रोडक्ट्स का ही इस्तेमाल किया जाता था. डॉ. आर नाथ ने अपनी किताब ' द प्राइवेट लाइफ ऑफ द मुगल्स ऑफ इंडिया' में उस वक्त इस्तेमाल होने वाले कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट पर पूरा एक चैप्टर लिखा है. उस वक्त चंदन के पेस्ट, आमला तेल, काजल, हल्दी, विशेष मिट्टियों के लेप (मुल्तानी) का इस्तेमाल कुलीन महिलाओं से लेकर मुगल महारानियां तक करती थीं. 


बालों के लिए मेहंदी या हिना का इस्तेमाल 
वहीं बालों के लिए मेहंदी या हिना का इस्तेमाल किया जाता था. लेप लगाने के लिए कस्तूरी के इस्तेमाल के भी जिक्र मिलते हैं. वहीं इत्र के रूप में चंपा, चमेली, मोतिया, हरश्रृंगार, केवड़ा, रातरानी, लिली और गुलाब का इस्तेमाल किया जाता था. 


नहाने में फूलों का इस्तेमाल
विभिन्न फूलों का पानी में इस्तेमाल कर नहाने के जिक्र भी मिलते हैं. इनमें गुलाब और चंपा के फूल को खूब इस्तेमाल में लाया जाता था. चेहरे की चमक बनाए रखने के लिए चंदन के लेप का इस्तेमाल प्रमुखता के साथ किया जाता था. 


पन्ना, फीरोजा़, मोती के पाउडर 
वहीं आई-शैडो के रूप में इस्तेमाल करने के लिए पन्ना, फीरोजा़, मोती के पाउडर को इस्तेमाल में लाया जाता था. आखों की खूबसूरती बढ़ाने के लिए काजल या सूरमे का इस्तेमाल भी होता था. 


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