नई दिल्ली: सरकार से लेकर आम आदमी तक इस समय लेबर कोड पर चर्चा कर रहा है. मोदी सरकार ने इसका प्रारुप तैयार कर लिया है. लेबर कोड को लेकर लोगों के मन में तरह तरह के सवाल भी हैं. सबसे बड़ा सवाल तो ये हैं कि क्या इसके आने के बाद मासिक वेतन पर भी कुछ असर पड़ेगा? 


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नये लेबर कोड का सैलरी पर भी पड़ेगा असर 


आपको बता दें कि नये लेबर कोड के मुताबिक अगर सरकार भत्ते की नई परिभाषा को लागू करती है तो पीएफ कंट्रीब्यूशन बढ़ जाएगा. पहले PF (Provident Fund) केवल बेसिक सैलरी, डीए और अन्य स्पेशल भत्तों पर कैलकुलेट किया जाता था. नए नियम के तहत तमाम भत्ते कुल सैलरी (salary structure) के 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकते हैं यानी कि अप्रैल 2021 से कुल सैलरी में बेसिक सैलरी (Basic salary) का हिस्सा 50 फीसदी या फिर उससे भी अधिक रखना होगा.


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ये नया वेज रूल आने के बाद सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा अर्थात हाथ में आने वाले वेतन में कुछ बढ़ोत्तरी हो सकती है. 


भारत में सभी इंडस्ट्रीज में Compensation structure में बेसिक सैलरी और अलॉवेंस शामिल होते हैं. बेसिक सैलरी (Basic Salary) ग्रॉस सैलरी की 30 से 50 फीसदी होती है. नए नियम के मुताबिक हर कंपनी को सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव करना होगा, ताकि बेसिक सैलरी टोटल CTC का 50 फीसदी हो जाए और बाकी के सब अलाउंस बची हुई 50 फीसदी सैलरी में रहें. 


नोटीफाई नहीं हुआ है लेबर कोड


उल्लेखनीय है कि श्रम एवं रोजगार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Labour and Employment) ने 4 श्रम संहिताओं यानी लेबर कोड (Labour Codes) के तहत नियमों को अंतिम रूप दे दिया है. इन चारों संहिताओं को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अधिसूचित किया जा चुका है लेकिन इन्हें अमल में लाने के लिए नियमों को भी नोटिफाई किए जाने की जरूरत है.


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48 घंटे से ज्यादा काम नहीं करा सकतीं कंपनियां


आपको बता दें कि नए लेबर कोड के हिसाब से कंपनियां हफ्ते में 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं करा सकती. श्रम और रोजगार सचिव अपूर्व चंद्र ने कहा है कि कंपनियों को 3 दिन की पेड लीव और हर दिन 12 घंटे काम करने का नियम बनाने की छूट होगी, लेकिन इसके लिए कर्मचारियों की सहमति जरूरी होगी. 


लेबर कोड में कंपनियों को वर्किंग डे की संख्या घटाकर हफ्ते में 4 दिन करने और स्टेट इंश्योरेंस के जरिए कर्मचारियों को फ्री में मेडिकल चेकअप की सुविधा देने जैसी छूट मिल सकती है.


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