National Pension Scheme Amendment: केंद्र सरकार इस साल के अंत तक राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) में संशोधन कर सकती है. एक अखबार की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है, 'वर्तमान में मामले की जांच कर रही एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों पर सरकार बदलाव करने जा रही है,  जिसका उद्देश्य यह गारंटी देना है कि कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन के आधार पर कम से कम 40-45 प्रतिशत सेवानिवृत्ति भुगतान मिले.'


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पेंशन का मुद्दा विवाद का मुद्दा बन गया है, खासकर जब विपक्षी शासन वाले राज्यों में पुरानी पेंशन योजना (OPS) वापस लागू कर दी गई है और लोगों की भी यह ही मांग थी. कई रिपोर्टों की मानें तो OPS के तहत, पेंशनभोगियों को सेवानिवृत्ति के समय उनके वेतन के 50 प्रतिशत के बराबर मासिक लाभ मिलता है. हालांकि, हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं.


NPS कब शुरू हुई?
2004 में शुरू की गई NPS, OPS के विपरीत, गारंटीशुदा आधार राशि के बिना बाजार-लिंक्ड मॉडल पर काम करती है, जिसमें कर्मचारी योगदान की आवश्यकता नहीं होती है. NPS में, कर्मचारी अपने वेतन का 10 प्रतिशत योगदान करते हैं, जबकि सरकार 14 प्रतिशत योगदान देती है, जिससे अधिक अनुकूल पेंशन योजना पर चल रही बहस तेज हो गई है. मुख्य बात यह है कि गारंटीशुदा आधार की अनुपस्थिति और अनिवार्य कर्मचारी योगदान इस चल रही चर्चा का मूल है.


मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि संशोधित NPS में प्रस्तावित समायोजन में लाभार्थियों के लिए उच्च रिटर्न प्रदान करने के उद्देश्य से बीमांकिक गणना (actuarial calculations) में संशोधन शामिल किए जाने की संभावना है. साथ ही, ये समायोजन पेंशन योजना के भीतर योगदान के अधिक संतुलित और अनुकूलित वितरण को सुनिश्चित करना चाहते हैं, जिसका लक्ष्य इसमें शामिल हितधारकों के लिए समग्र प्रभावशीलता और लाभों को बढ़ाना है.


NPS का क्या लाभ है?
एनपीएस के तहत, सेवानिवृत्त लोगों के पास सेवानिवृत्ति के समय संचित राशि का 60 प्रतिशत कर-मुक्त निकालने का विकल्प होता है, शेष 40 प्रतिशत का उपयोग वार्षिकी खरीदने के लिए किया जाता है. वहीं, यह शेष 40 प्रतिशत भुगतान कर योग्य होता है.


राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब जैसे विपक्षी दलों द्वारा शासित कई राज्यों ने OPS में लौटने का विकल्प चुना है. हालांकि, अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि यह कदम संभावित रूप से राज्य की वित्त स्थिति पर दबाव डाल सकता है, जिससे संभवतः राज्य सरकारों के लिए वित्तीय चुनौतियां पैदा हो सकती हैं.


OPS वित्तीय रूप से अस्थि
मौजूदा NPS में लगभग 87 लाख संघीय और राज्य सरकार के कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत योगदान करते हैं, जबकि सरकार 14 प्रतिशत योगदान करती है. अंतिम भुगतान फंड द्वारा उत्पन्न रिटर्न पर आधारित होता है, जो मुख्य रूप से सरकारी ऋण उपकरणों में निवेश किया जाता है.


OPS को वित्तीय रूप से अस्थिर माना जाता है. भारत के सबसे बड़े ऋणदाता, भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने चिंता व्यक्त की है कि OPS पर वापस लौटने से राज्य सरकारों का ऋण बोझ बढ़ सकता है.


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