नई दिल्ली: आम आदमी के लिए महंगाई लगाताार एक समस्या के तौर पर बनी हुई है. खाने-पीने के सामानों की कमतों में भी लगाताार इजाफा देखने को मिल रहा है. लेकिन अब देश के केंद्रीय बैंक को इस बारे में सरकार को रिपोर्ट भी सौंपनी पड़ेगी. जिसके लिए RBI ने मॉनिट्री पॉलिसी की एक बैठक भी बुलाई है. 


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RBI ने बुलाई MPC की बैठक


भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी शीर्ष मौद्रिक संस्था एमपीसी की तीन नवंबर को एक विशेष बैठक बुलाई है जिसमें मुद्रास्फीति को लगातार तीन तिमाहियों तक छह प्रतिशत से नीचे रख पाने में नाकामी से जुड़ी रिपोर्ट तैयार की जाएगी. आरबीआई ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि आरबीआई अधिनियम की धारा 45जेडएन के प्रावधानों के अनुरूप मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन नवंबर को एक विशेष बैठक बुलाई गई है.


सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी RBI


आरबीआई अधिनियम की इस धारा में प्रावधान है कि मुद्रास्फीति को सरकार की तरफ से तय सीमा के भीतर रख पाने में नाकाम रहने पर केंद्रीय बैंक को इसके बारे में सरकार को रिपोर्ट देनी होती है. सरकार ने मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत कम या अधिक) पर सीमित रखने का लक्ष्य केंद्रीय बैंक को दिया हुआ है. लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद आरबीआई महंगाई को छह प्रतिशत के भीतर सीमित रख पाने में नाकाम रहा है. इस साल जनवरी से ही मुद्रास्फीति लगातार छह प्रतिशत के ऊपर बनी हुई है. 


लगातार तीसरे महीने RBI के कंट्रोल से बाहर महंगाई


इस तरह आरबीआई लगातार तीन तिमाहियों से अपने महंगाई को काबू करने के लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रहा है लिहाजा वैधानिक प्रावधानों के अनुरूप उसे सरकार को इसपर रिपोर्ट देनी होगी. आरबीआई ने मौद्रिक नीति के बारे में फैसला लेने वाली एमपीसी की यह विशेष बैठक इसी रिपोर्ट को तैयार करने के मकसद से बुलाई है. एमपीसी की अनुशंसाओं के अनुरूप गत मई से अब तक नीतिगत रेपो दर में 1.90 प्रतिशत की कुल वृद्धि की जा चुकी है. इस तरह अब रेपो दर 5.90 प्रतिशत पर पहुंच चुकी है.


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