नई दिल्ली. अब ये बात कई बार कई तरह से सिद्ध हो गई है कि भारतीय लोग पिछड़े हुए नहीं हैं न ही कभी पिछड़े हुए थे. भारतीय संस्कृति में जिस जीवन शैली की सीख दी गई है, वह विश्व में न केवल अनुपम है बल्कि वैज्ञानिक मानकों पर सदियों से परखी हुई भी है. उदाहरण के लिए हांथ से भोजन करने की शैली, जो सदा से ही भारतीयों के जीवन का अंग  थी, आज पाश्चात्य जगत में भी अपनाई जा रही है क्योंकि वैज्ञानिकों के शोध से निष्कर्ष निकला है कि भोजन का ये तरीका फोर्क और स्पून से बेटर है.  



 


हांथ से खाना देता है स्वाद भी, संतुष्टि भी 


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वैज्ञानिकों ने शोध के द्वारा इन तथ्यों की पुष्टि की है और बताया है कि भारतीय तरीके से हांथ से छू कर भोजन करना न केवल बेहतर स्वाद देता है बल्कि भोजन की पूर्ण संतुष्टि भी देता है. और स्वास्थ्य की दृष्टि से स्वाद और संतुष्टि दोनों ही आवश्यक हैं. वैज्ञानिकों ने बताया कि भोजन को स्पर्श करने से मस्तिष्क को संतुष्टि की अनुभूति होती है. मात्र स्पर्श ही मस्तिष्क को विश्वास दिला देता है कि खाना स्वादिष्ट है.


हांथ से खाएंगे तो ज्यादा खा जाएंगे आप


वैज्ञानिकों ने तीन शोधों के माध्यम से इस बात की तरफ भी ध्यान दिलाया है कि छुरी-चम्मच के बदले यदि आप हाथों से खाते हैं तो इसका फायदा आप को तब ही मिलता है, जब आप अपनी डाइट को नियंत्रित रख पाते हैं. इसका कारण यह है कि हाथों से खाते समय भोजन अधिक स्वादिष्ट लगता है इसलिए हम प्रायः अपनी डाइट से ज्यादा खाना खा लेते हैं. 



 


इस हेतु किये गए तीन प्रयोग 


न्यूयॉर्क के स्टीवेंस यूनिवर्सिटी में हुए इस शोध में 45 लोगों के सामने पनीर के टुकड़े रखे गए. उनको बोला गया कि वे कुछ देर केवल पनीर को देखें, फिर उसे पकड़ें और तब उसको खा लें. पनीर  को पकड़ने के लिए आधे लोगों को कांटेदार चम्मच दिया गया और बाकी से कहा गया कि हांथ से पकड़ें. अपनी डाइट पर नियंत्रण रखने वाले अधिकांश लोगों ने कहा कि हाथों से पकड़ने के बाद जब उन्होंने पनीर खाया तो वह ज्यादा स्वादिष्ट लगा. वहीं, डाइट पर नियंत्रण नहीं रखने वाले अधिकांश लोगों का जवाब इससे अलग था.


हांथ से छूने वालों को नज़र आई ज्यादा खासियतें 


यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किये गए दूसरे प्रयोग में 145 अंडरग्रेजुएट छात्र दो समूहों में विभक्त किये गए. प्रथम समूह से कहा गया कि वे डाइट पर नियंत्रण रखें जिससे उनकी फिटनेस बेहतर हो. दूसरे समूह को फिटनेस की चिंता छोड़ कर पूरी मस्ती से खाने को कहा गया. दोनों समूहों को दिए गए स्वादिष्ट कप केक जिसके साथ एक समूह को  चम्मच मिले और एक से कहा गया कि हांथ से छुएं. दोनों समूहों को केक की खासियतें बताने के लिए बोलै गया. जिन लोगों को अपनी डाइट पर नियंत्रण था और उन्होंने केक को हांथ से छुआ था, उन्होंने दूसरे समूह के लोगों की अपेक्षा केक की ज्यादा खासियतें बताई.


डाइट पर नियंत्रण ही  फायदेमंद है 


जो तीसरा प्रयोग किया गया उसमें 77 लोगों को एक भगोने में चीज के टुकड़े दिए गए. साथ ही उनको भरने के लिए एक फॉर्म भी दिया गया और इस दौरान जितना चाहें चीज के टुकड़े खाने को उनसे कहा गया. उनसे कहा गया कि आप अपनी इच्छा से हांथ से खाएं या चम्मच से, आपको स्वतंत्रता है. इस प्रयोग के परिणामों ने बताया कि हाथ से खाने वाले और डाइट पर नियंत्रण रखने वाले लोगों ने चम्मच से खाने वालों के मुकाबले ज्यादा टुकड़े खाए. इसके साथ ही डाइट पर नियंत्रण नहीं रख सकने वालों ने चम्मच से चीज के औसतन छह टुकड़े खाए, लेकिन हाथ से वे चार टुकड़े ही खा सके. 


हांथ और चम्मच का असर अलग-अलग 


इस शोध के परिणाम जर्नल ऑफ रिटेलिंग में प्रकाशित हुए जिनमें मुख्य शोधकर्ता एड्रियाना मझारोव ने बताया कि हाथ से या चम्मच से खाने वाले लोगों के बीच का अंतर बड़ा बारीक है लेकिन वह खाने की चीजों के प्रति लोगों के रवैये में होने वाले परिवर्तन का संकेत देता है. उनके अनुसार यदि आप अपनी डाइट को नियमित रूप से नियंत्रित रखते हैं तो यदि आप अपने हाथों से खाना खाएंगे तो वह आपके लिए ज्यादा स्वादिष्ट और संतुष्टिदायक होगा.


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