नई दिल्ली. कोरोना से पहले भी एक महामारी सारी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले चुकी हैं और वह हैं मधुमेह. इसके रोगियों की संख्या अगर गिनी जाए तो ये आज के दुनिया के कुल कोरोना संक्रमण मामलों की चौगुनी से भी ज्यादा हो सकती हैं. और हैरानी की बात ये भी हैं कि इस खामोश महामारी के रोगियों की संख्या घट नहीं रही हैं बल्कि हर दिन बढ़ रही हैं.


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गलत जीवनचर्या से होता हैं मधुमेह


मधुमेह अर्थात डायबिटीज़ या कहें शुगर गलत दिनचर्या का परिणाम है. गलत समय पर खाना-पीना और गलत समय पर सोना-जगना पैदा करता है डायबेटीज़. इसकी भारत में स्थति ये है कि 25 वर्ष से कम आयु के हर चार लोगों में से एक को टाइप 2 डायबेटीज़ है. इस पर ध्यान न देने से अर्थात इसका नियंत्रण न करने से रोगी की हालात इतनी बिगड़ सकती है कि उसकी जान भी जा सकती है.


नॉर्मल डाइट में पोषक तत्व अनिवार्य हैं 


डायबेटीज़ के रोगियन के लिए आहार सबसे महत्वपूर्ण परहेज है और यही इसका इलाज भी सिद्ध हो सकता है. इस बीमारी के शिकार होने पर हमें अपने आहार पर विशेष ध्यान देना होता है. डायबेटीज़ के मरीजों के लिए अपने डाइट में प्रोटीन, फाइबर के अलावा अन्य पोषक तत्वों को भी शामिल करना अनिवार्य है. इतना ही नहीं ऐसे मरीजों के लिए प्रोसेस्ड और चीनीयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन भी कम से  कम करना बहुत जरूरी है. 



 


ये हैं शुगर-रोधी पांच अनाज 


साबुत अनाज जैसे रागी या नचनी, बाजरा, जौ, सोयाबीन, ज्वार, काबुली चना, रामदाना/राजगीरा को आपस में मिला कर पीस लीजिये तो आपका ये विशेष डायबिटिक फ़्रेंड्ली आटा बनकर तैयार हो जायेगा. ये साबुत अनाज हैं जो पोषक तत्वों से समृद्ध होता है और इनके भीतर डाइट्री फ़ाइबर्स तो होते ही हैं साथ ही कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट भी काफी अच्छी मात्रा में होते हैं. 


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