नई दिल्ली: आज साल का आखिरी और तीसरा सबसे बड़ा सूर्यग्रहण लगने वाला है. विदा होते साल 2019 के इस आखिरी सूर्यग्रहण में ग्रहों का बेहद खतरनाक संयोग बनने जा रहा है. जिसके परिणाम विध्वंस मचा सकते हैं. वैज्ञानिकों की भाषा में इसे वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाएगा. जिसमें सूर्य आग से भरी अंगूठी या किसी कंगन की तरह नजर आएगा.


'रिंग ऑफ फायर'


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इस बार पूर्ण सूर्यग्रहण नहीं हो रहा है. इसलिए वैज्ञानिकों ने इसे 'रिंग ऑफ फायर' नाम दिया है. भारतीय समय के मुताबिक सूर्य ग्रहण सुबह 8 बजकर 15 मिनट पर शुरू होना माना जा रहा है. हालांकि आंशिक रूप से ग्रहण सुबह 8:04 बजे लगने की बात कही जा रही है.


खास बात ये है कि ये सूर्य ग्रहण पूरी दुनिया समेत भारत में भी देखा जा सकेगा. इसलिए सावधान रहिए और सूतक संबंधी नियमों पालन करना बेहद जरूरी होगा. छाया ग्रह राहु की वजह से सूर्य ग्रहण होता है. इस बार सूर्य ग्रहण में विशेष योग बन रहा है, जो लगभग 296 साल बाद बन रहा है. एक ही राशि धनु पर 6 ग्रहों की युति है सातवां ग्रह राहु इसे देख रहा है. ऐसी ही युति 296 साल पहले बनी थी और आने वाले साल 2020 पर इसका प्रभाव निश्चित रूप से पड़ेगा. राजनीतिक तौर पर भी ये सूर्य ग्रहण अच्छा नहीं माना जा रहा है.


सभी 12 राशियों पर पड़ेगा प्रभाव


इस सूर्य ग्रहण में सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ेगा. जिनमें चार राशि कर्क, तुला, कुंभ और मीन राशि के लिए ये सूर्य ग्रहण शुभ माना जा रहा है जबकि बाकि राशियों के लिए इस सूर्य ग्रहण में सावधान रहने की जरूरत है.


सूर्यग्रहण के समय कुछ खास बातें ध्यान रखने की जरूरत है. ग्रहण के समय घर से कम ही निकलने की कोशिश करें. खासकर गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, मरीज और बच्चे बाहर ना जाएं. ज्योतिषियों की मानें तो ग्रहण के दौरान खाना खाने और पकाने की भी मनाही है. इस बार लगने वाले सूर्य ग्रहण में 6 ग्रह एक साथ हैं केवल एक की ही कमी है. वो 6 ग्रह सूर्य, चंद्रमा, शनि, बुध, बृहस्पति, केतु हैं.


जब स्याह अंधेरे में खो जाएगा सूरज


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन 6 ग्रहों के एक साथ होने से सूर्य ग्रहण का प्रभाव लंबे समय तक रहेगा. सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ विशेष परिस्थितियां भी बन रही हैं. आज लगने वाले ग्रहण के समय जो स्थिति बन रही है कुछ वैसी ही स्थिति साल 1962 में बनी थी, जब 7 ग्रह एक साथ थे.


आज लगने वाले साल के आखिरी सूर्य ग्रहण को लेकर वाराणसी के सभी मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे. और जातकों को गंगा स्नान और भजन कीर्तन के साथ पूजा पाठ करना चाहिए. जिससे उनके राशियों पे जो ग्रहण का प्रभाव पड़ता है वो कम हो सके. माना जाता है कि सूर्य ग्रहण खत्म होने के बाद मंदिर के पुजारी और ब्राह्मण को दान देना शुभ माना जाता है.


साल के आखिरी सूर्यग्रहण से सावधान


ग्रहण के वक्त देश के सभी मंदिर बंद कर दिए जाते हैं तो वहीं एक मंदिर ऐसा है जहां सूर्य ग्रहण के वक्त भी पूजा पाठ होती है. ये मंदिर दक्षिण भारत के श्री कालाष्ठी में स्थित कालहटेश्वर मंदिर है. ये देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां राहु और केतु की पूजा होती है. इसलिए ग्रहण के वक्त मंदिर को बंद नहीं किया जाता है.


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साल 2019 खत्म होने को है और नए साल का स्वागत करने से पहले दुनियाभर के लोगों को 2019 की आखिरी खगोलीय घटना देखने का मौका मिलेगी. जो किसी अद्भुत संयोग से कम नहीं है.


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