लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के दूसरे हाथी रिजर्व, तराई हाथी रिजर्व (टीईआर) के लिए एक अधिसूचना जारी की है, जो चार जिलों में फैले 3,072 वर्ग किलोमीटर भूमि पर बनाया जाएगा. इस परियोजना को मई में केंद्र के प्रोजेक्ट हाथी से सैद्धांतिक रूप से मंजूरी मिल गई थी.


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चार जिलों में फैला होगा ये हाथी रिजर्व


टीईआर लखीमपुर खीरी, बहराइच, पीलीभीत और शाहजहांपुर में फैला होगा. इसमें दुधवा टाइगर रिजर्व (डीटीआर), पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) और दक्षिण खीरी वन प्रभाग के गोला और मोहम्मदी रेंज शामिल हैं.


यह राज्य के पहले हाथी रिजर्व, शिवालिक हाथी रिजर्व से लगभग चार गुना बड़ा होगा, जो बिजनौर और सहारनपुर में फैला हुआ है. टीईआर देश में क्षेत्रफल के लिहाज से आठवां सबसे बड़ा हाथी रिजर्व होगा. एलीफेंट रिजर्व होने के कारण टीईआर को भी प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत फंड मिलेगा.


किसानों की फसलें नहीं होगी बर्बाद!


डीटीआर के निदेशक संजय पाठक ने कहा, यह हाथियों के कारण फसल के नुकसान जैसे किसानों के मुद्दों को दूर करने में मदद करेगा. मौजूदा आबादी का प्रबंधन नेपाल और भारत के बीच जंबो द्वारा उपयोग किए जाने वाले वन्यजीव गलियारों की बहाली और रखरखाव, बंदी हाथियों को रखने के लिए सहायता और मानव-हाथी संघर्ष से बेहतर तरीके से निपटना भी संभव होगा.


दुधवा में कुछ वर्ष पूर्व तक हाथियों की आबादी नहीं थी. उनमें से अधिकांश नेपाल के भीतर और बाहर तब तक घूमते रहे जब तक कि वे तराई क्षेत्र में वापस रहने के लिए प्रवृत्त नहीं हुए. वे केवल मानसून के दौरान बाहर जाते थे और बाद में वापस आते थे.


इस रिजर्व कितनी होगी हाथियों की संख्या?


2020 की जनगणना के अनुसार दुधवा में लगभग 149 हाथी थे, जो बढ़कर लगभग 175 हो गए हैं. इससे हाथी-मानव संघर्ष भी बढ़े हैं. अधिकारी ने कहा, हाथी रिजर्व की स्थापना से संघर्ष को सुलझाने में मदद मिलेगी.


चूंकि डीटीआर, पीटीआर और टीईआर के लिए पहचाने गए अन्य हिस्से पहले से ही संरक्षित क्षेत्र हैं, इसलिए इसके लिए भूमि अधिग्रहण या अन्य गतिविधियों की आवश्यकता नहीं होगी जो इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को प्रभावित करे.


 (इनपुट- आईएएनएस)


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