सिर्फ 1 ब्लड टेस्ट 15 साल पहले ही पता लगा देगा डिमेंशिया का खतरा, वैज्ञानिकों ने किया दावा
`डेली मेल` में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक अल्जाइमर या उससे जुड़ी बीमारी से पीड़ित लोगों के खून में 11 प्रोटीन बायोमार्कर पाए गए. इससे उनमें 90 प्रतिशत तक डिमेंशिया का अनुमान लगाने में मदद मिली.
नई दिल्ली: हाल ही में हुई एक रिसर्च में सामने आया है कि ब्लड टेस्ट के जरिए 15 साल पहले ही डिमेंशिया के खतरे को पता लगाया जा सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक इससे हजारों लोगों की जिंदगी बदल सकती है. 'डेली मेल' में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक अल्जाइमर या उससे जुड़ी बीमारी से पीड़ित लोगों के खून में 11 प्रोटीन बायोमार्कर पाए गए. इससे उनमें 90 प्रतिशत तक डिमेंशिया का अनुमान लगाने में मदद मिली. इससे जाहिर हो सकता है कि एक सिंपल ब्लड टेस्ट के जरिए डिमेंशिया का खतरा काफी समय पहले पता लग सकता है. इससे मरीजों का काफी समय और पैसा बचेगा साथ ही उन्हें कई तरह के टेस्ट भी नहीं करवाने पड़ेंगे. रिसर्चर्स के मुताबिक प्रोटीन डिमेंशिया के खतरे को कम करने या रोकने के लिए दवाई को विकसित करने में भी मदद कर सकता है.
रिसर्च में हुआ ये खुलासा
'वारविक यूनिवर्सिटी' की प्रोफेसर जियानफेंग फेंग के मुताबिक ब्लड टेस्ट क NHS में निर्बाध रूप से एकीकृत किया जा सकता है और GP द्वारा मरीजों की जांच के लिए स्क्रीनिंग टूल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. रिसर्च में वारविक यूनिवर्सिटी और फुडन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन के बायोबैंक अनुसंधान भंडार से लगभग 50 हजार ब्लड सैंपल्स की स्टडी की, जिन्हें साल 2006-2010 तक उन लोगों से इकट्ठा गया किया गया था, जिनमें डिमेंशिया के कोई लक्षण नहीं थे. इनमें से 1,417 लोगों में किसी कारण से अल्जाइमर रोग या डिमेंशिया का खतरा विकसित हो गया. रिसर्चर्स ने इन लोगों में आम तौर पर पाए जाने वाले प्रोटीन लक्षणों को लेकर रिसर्च की और डिमेंशिया से जुड़े 1,463 प्रोटीनों का पता लगाया. इसके बाद इन्हें इस मुताबिक रैंकिंग दी गई कि इनमें डिमेंशिया की भविष्यवाणी करने की कितनी संभावना थी.
इन लोगों में पाया गया डिमेंशिया का ज्यादा खतरा
रिसर्चर्स ने पाया कि जिन लोगों के खून में GFAP, NEFL, GDF15 और LTBP2 जैसे प्रोटीन का स्तर ज्यादा होता है उनमें अल्जाइमर या डिमेंशिया का खतरा होने की संभावना ज्यादा होती है. जिन लोगों में GFAP का स्तर ज्यादा था उनमें डिमेंशिया का खतरा 2.32 गुना ज्यादा था. अल्जाइमर सोसाइटी में रिसर्च और इनोवशेन के डायरेक्टर डॉ. रिचर्ड ओकले ने कहा,' अभी शुरुआती दिन हैं और हमें ज्यादा काम करने की जरूरत है, लेकिन यह डिमेंशिया की प्ररंभिक भविष्यवाणी के लिए आधार तैयार कर सकता है और हमें इस बारे में और अधिक सिखा सकता है कि कैसे इससे जल्दी निदान मिल सकता है.'
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.
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