Ganga Snan 15 or 16 November: ऐसा मेला जहां मिलते हैं धर्म, संस्कृति और मनोरंजन, जानें- कब लगाई जाएगी पवित्र डुबकी?
Ganga Snan Mela: कार्तिक मास में गंगा स्नान का त्यौहार हिंदू पौराणिक कथाओं में धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है.
Ganga Snan Date 2024: हजारों-लाखों श्रद्धालु गंगा तट पर डेरा डाले हुए हैं. 15 नवंबर को कार्तिक गंगा स्नान के अवसर पर पवित्र डुबकी लगाई जानी है. मखदूमपुर (मेरठ), शुक्रताल (मुजफ्फरनगर), विदुरकुटी (बिजनौर), तिगरी (अमरोहा), गढ़ मुक्तेश्वर (हापुड़), अनूपशहर (बुलंदशहर) और कई अन्य स्थानों पर गंगा नदी के तट पर आयोजित मेले में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों से श्रद्धालु एकत्रित होते हैं.
कार्तिक मास में गंगा स्नान का त्यौहार हिंदू पौराणिक कथाओं में धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है. ऐसा कहा जाता है कि यह मेला महाभारत काल में शुरू हुआ था और इसका संबंध भगवान कृष्ण से है. लाखों लोग आज भी गंगा स्नान के दिन डुबकी लगाने की इस परंपरा का पालन करते हैं और लोगों का कहना है कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.
मेरठ की मंडलायुक्त सेल्वा कुमारी जे ने मंगलवार शाम को मंत्री कपिल देव अग्रवाल, अन्य अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ गढ़ मुक्तेश्वर मेले का उद्घाटन किया.
गढ़ में लगता है सबसे बड़ा मेला
लोक गायिका मैथली ठाकुर भी गढ़ मुक्तेश्वर में अपने लोकगीतों से लोगों को आनंदित कर चुकी हैं. सबसे बड़ा मेला गढ़मुक्तेश्वर में लगता है, जहां दिल्ली, हरियाणा के दूर-दराज इलाकों से भी श्रद्धालु आते हैं.
ग्रामीण इलाकों से लोग स्नान के मुख्य दिन से एक सप्ताह पहले ही अपने परिवार के साथ इन स्थानों पर पहुंचना शुरू कर देते हैं. वे मेले तक पहुंचने के लिए भैंसा गाड़ी, ट्रैक्टर ट्रॉली, मिनी ट्रक और कार का इस्तेमाल करते हैं. एक सप्ताह से अधिक समय तक गाड़ियां और ट्रैक्टर ट्रॉलियां ही उनके अस्थायी घर बन जाती हैं.
मेले में युवाओं को कुश्ती, दौड़, वॉलीबॉल, बैडमिंटन और अन्य खेल गतिविधियों में भाग लेते देखा जा सकता है. जो लोग शिविरों में रहने का खर्च उठा सकते हैं, वे कॉटेज किराये पर ले सकते हैं और उनमें से कई लोग अपने साथ फोल्डेबल कैंप भी लाते हैं.
इसके अलावा स्नान व्यापारिक गतिविधियों का भी केंद्र है. गढ़मुक्तेश्वर का पशु बाजार भैंसों, गधों, गायों और अन्य मवेशियों की खरीद-फरोख्त का सबसे बड़ा केंद्र था, जहां देश के अलग-अलग हिस्सों से विक्रेता और खरीदार आते थे और यह परंपरा आज भी जारी है.
मेले में दिलचस्पी इतनी चुनाव आगे बढ़ गया
सप्ताह भर चलने वाले इस मेले में लोगों की दिलचस्पी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव आयोग ने पश्चिमी यूपी के मीरापुर, कुंदरकी, गाजियाबाद उपचुनाव के लिए मतदान की तिथि स्नान से दो दिन पहले 13 नवंबर को घोषित कर दी थी. तब रालोद और भाजपा के नेताओं ने आयोग से तिथि 17 नवंबर के बाद टालने की गुहार लगाई थी, क्योंकि इन निर्वाचन क्षेत्रों के हजारों मतदाता मतदान के दौरान गंगा स्नान मेला में रहेंहे और वे वोट नहीं डाल पाएंगे.
आखिरकार चुनाव आयोग ने उनकी मांग मान ली और मतदान की तिथि 20 नवंबर को टाल दी. इस बीच हापुड़, अमरोहा, बुलंदशहर, बिजनौर और मुजफ्फरनगर के जिला प्रशासन ने स्नान को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं.
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