नई दिल्ली World Leprosy Day: कुष्ठ रोग एक संक्रामक बीमारी है जो कि माइकोबैक्टीरियम लेप्री जीवाणु की वजह से होती है. कुष्ठ रोग को लेप्रोसी रोग भी कहा जाता है. इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 30 जनवरी को World Leprosy Day मनाया जाता है. इस बीमारी के लक्षण और बचाव को लेकर शारदा हॉस्पिटल के डर्मेटोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड, डॉक्टर क्षितिज गोयल ने इस विषय पर जानकारी शेयर की है. 


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क्या होती है लेप्रोसी रोग 
इस बीमारी में स्किन पर विकृत घाव होने लगते हैं जो कि तंत्रिकाओं नुकसान पहुंचाते हैं. यह बीमारी सदियों से दुनिया भर में फैली हुई है. आज के समय में भी लाखों लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं. 


कुष्ठ रोग के लक्षण 
लाल या पीली स्किन 
स्किन का लाल या पीना होगा. शरीर की त्वचा पर पैच पड़ने लगते हैं या त्वचा का रंग हल्का पड़ने लगता है. 


नाक से खून आना
कुष्ठ रोग के दौरान बार-बार नाक से खून आता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कुष्ठ रोग नाक के ऊतको को नुकसान पहुंचाने लग सकता है. 


तालु के छाले 
लेप्रोसी रोग में तालू पर छाले हो सकते हैं लेकिन यह किसी अन्य बीमारी के लक्षण भी हो सकते हैं. 


लेप्रोसी रोग को लेकर फैले मिथक 
लेप्रोसी रोग का कोई इलाज नहीं है. यह भी एक गलत धारणा है. लेप्रोसी रोग का इलाज संभव है. 


इलाज- साल 1982 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी तरह के कुष्ठ रोग के लिए मल्टीड्रग थेरेपी विकसित की थी. डॉक्टर क्षितिज के बताया है कि यह थेरेपी लेप्रोसी रोग के बैक्टीरिया को मारने में प्रभावी है और इस बीमारी की जटिलताओं को रोकने में भी मदद करती है. 


लेप्रोसी रोग केवल बुजुर्गों में होता है
यह भी एक गलत धारणा है. लेप्रोसी रोग किसी भी उम्र में हो सकता है.  लेप्रोसी रोग वाले  बैक्टीरिया के लक्षण देर से विकसित होते हैं. ऐसे में अगर व्यक्ति को यंग ऐज  के दौरान बैक्टीरिया ने प्रभावित किया है तो बुढ़ापे में उसमें लक्षण दिखेंगे. 


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