नई दिल्लीः संस्कृतियों और देश की सभ्यताओं की रक्षा करने के लिए जान भी देनी पड़ती है. हमारे पूर्वजों ने वह बलिदान दिया है. वे लड़े थे, मरे थे, कटे थे लेकिन कभी पीछे नहीं हटे जिन्होंने प्रजा को सदैव ईश्वर रूप में पूजा उनकी रक्षा के लिए अपने प्राण ,आत्मसम्मान व परिवार तक को न्योछावर कर दिया, जिन्होंने प्रजा की रक्षा के लिए अपने रक्त को पानी के मोल से सस्ता कर दिया. ऐसे वीरो हेतु उपयोग में लिए गए अपशब्दों की मैं कड़ी निंदा करता हूं. ये कहना है प्रसिद्ध समाजसेवी दिगराज सिंह शाहपुरा का. 


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शाहपुरा ने कहा कि वे यह भूल रहे हैं कि आज भी इस देश में जब उसे पल को याद किया जाता है तो ज्ञात होता है कि जिन राजा महाराजाओं पर वे टिप्पणी कर रहे हैं, उनके परिवार में 18 वर्ष से अधिक की आयु के युवा नहीं मिलते थे क्योंकि वह अपनी धरती मां व प्रजा की रक्षा हेतु अपने प्राणों को हथेली पर लेकर चलते थे. अपने आप को तप कि भांति समर्पित कर दुश्मन आक्रांताओं से लड़ते हुए अपने प्राणों को न्योछावर कर देते.
उस प्रत्येक मातृशक्ति ने अपना सम्पूर्ण जीवन न्यौछावर कर दिया उस प्रत्येक पीढी को तैयार करने में जिन्हें सदैव यही सिखाया गया की धरती तुम्हारी मां है. इसका इंच इंच जाना नहीं चाहिए. हमारा इतिहास इतिहास नहीं रक्त रंजित है. खून पिलाया है इस धरती को हमने खून.


आज कोई भी आकर अनावश्यक टिप्पणी करके अपने विवादित बयानों से केवल जनता को भ्रमित कर वोटो की राजनीति कर रहा है.


ऐसी स्थिति में आवश्यक है. इन्हें वह सब याद दिलाना जो यह भूल चुके हैं क्योंकि इन्होंने अपने सीवा जिसका गुणगान किया है, लिखा है और बाकी सब को पढ़ाया है. वे इनके करीबी आक्रांत जिन्होंने इस धरती को लूटपाट व आतंक के साये में पिरोया उनकी ही वाह वाही मैं अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर बिताया है. या यू कहे बीता रहे है. किन्तु अब इन्होंने हद को पार कर दिया है इस प्रकार के अमर्यादा पूर्ण शब्दो की बयानबाजी हमारा देवतुल्य समाज हमारा परिवार नहीं सहेगा. 


इसका मुह तोड़ जवाब दिया जायेगा. यह चुनौती दे रहे हैं. उस विचार परिवार के सदस्यो को जिन्होंने सदैव अपनी मातृभूमी व प्रजा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया इन्हें माँफी मांगनी होगी सभी से अन्यथा इन्हें एक विराट आंदोलन का सामना करना होगा. अगर आज भी हमारी धरती के एक इंच की भी पुकार है तो हमारे रक्त की अंतिम बूंद भी माँ धरती को समर्पित है.